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असि नदी पर महाअभियान: बचाव में उतरेंगी चार टीमें, ऐसे देंगी सुरक्षा
राजस्व विभाग के रिकार्ड में यह नदी नाले के रुप में भले ही दर्ज है, लेकिन काफी चौड़ी दर्शाई गई है। जबकि मौके पर इसका यह स्वरुप नहीं दिखता है जो राजस्व नक्शे में है।
वाराणसी गंगा और वरूणा नदी के बाद अब अब असि नदी को बचाने की कवायद शुरु हो गई। जिला प्रशासन इस बार अभियान चलाकर असि नदि को पुनर्जीवित करने की मुहिम शुरु की है। असि नदी को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिये जिला प्रशासन ने चार टीमें बनाई हैं। जिला प्रशासन के फैसले के बाद नदी किनारे मकान बनवाने वाले लोगों की धुकधुकी बढ़ गई है।
नदी के 25 मीटर के दायरे में बने मकान अवैध
विकास प्राधिकरण ने महायोजना 2031 में नदी के किनारे 25 मीटर की हरित पट्टी चिह्नित की जा चुकी है। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने असि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चार विभागों की संयुक्त टीम बनाई है। इसमें राजस्व विभाग के साथ सिंचाई व वन विभाग के साथ विकास प्राधिकरण को शामिल किया गया है। राजस्व विभाग के रिकार्ड में यह नदी नाले के रुप में भले ही दर्ज है, लेकिन काफी चौड़ी दर्शाई गई है। जबकि मौके पर इसका यह स्वरुप नहीं दिखता है जो राजस्व नक्शे में है।
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चिह्नित हो चुके हैं अवैध मकान
असि नदी का उद्गम स्थल कंदवा तालाब है। यह नदी कंदवा तालाब से निकलकर कर्माजीतपुर, सुंदरपुर, कौशलेशनगर, रोहितनगर, साकेतनगर, संकटमोचन, नगवां होते हुए संत रविदास पार्क के पास गंगा नदी से मिलती है। इन स्थानों पर नदी के दोनों किनारों पर अवैध कब्जे कर मकान आदि बनाए गए हैं। हालांकि उऩ्हें चिह्नित करने का काम शुरु कर दिया गया है। मगर इन्हें हटाना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
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सर्वे के बाद शुरू होगी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई
जिलाधिकारी की ओर से गठित चार विभागों की संयुक्त टीम सर्वे के बाद रिपोर्ट देगी। इसके बाद विकास प्राधिकरण सरकारी जमीनों पर बने अवैध भवनों को ध्वस्त करेगा। बता दें कि प्रशासन ने तीन वर्ष पहले भी असि नदी को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरु किया था। उस दौरान करीब एक हजार अवैध निर्माण चिह्नित किया गया और विकास प्राधिकरण ने उन्हें नोटिस भी जारी किया था।
रिपोर्टर आशुतोष सिंह