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हड़ताल से हाहाकार: सब्जी और टॉफी-बिस्कुट बेच रहे लोग, बुनकरों की हालत खराब
बुनकरों ने कभी भी किसी भी सरकारों से कुछ नहीं मांगा ना काफी नौकरी मांगी ना ही आरक्षण वाराणसी जनपद का बुनकर अपने घरों में पावरलूम लगाकर पूरे परिवार के साथ अपनी जीविका चलाते चला आ रहा है।
वाराणसी: साड़ी बनाने वाले हुनर के हाथ अब खाली है। बुनकर बेबसी की जिन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं। परिवार का पेट पालने के लिये बुनकर अब सब्जी और टाफी बिस्कुट बेंच रहे हैं। दरअसल फ्लैट बिजली बिल की मांग को लेकर पावरलूम बुनकरों की हड़ताल लगातार पांच दिनों से जारी है। नतीजा ये है कि बनारस के कई मुहल्लों में विरानी पसरी है।
योगी सरकार पर वादाखिलाफी का लगाया आरोप
फ्लैट रेट की मांग को लेकर बुनकरों ने सितम्बर महीने में अनिश्चित्कालीन हड़ताल शुरु किया था। हालांकि सिर्फ दो दिन के अन्दर ही राज्य सरकार के आश्वासन के बाद बुनकरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी। उस वक्त सरकार की नुमाईंदों ने फ्लैट बिजली बिल की मांग पर विचार करने का वादा किया था। इसके लिये एक महीने की मोहलत भी मांगी गई थी। बुनकरों के अनुसार अब तक इसपर अमल नहीं किया गया। बुनकरों ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार बार-बार बराबर झूठा वादा करके मुकर रही है। जबकि बुनकरों को फ्लैट रेट में बिजली मिलती है। बिजली का मामला बुनकरों की रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है।
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आर-पार की लड़ाई के मूड में बुनकर
बुनकर इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रहे है। बातचीत के दौरान बुनकरों ने कहा की हमने आज तक सरकार से कभी कुछ नहीं मांगा। ना नौकरी मांगी और ना ही कभी आरक्षण। अब बुनकरों के समक्ष भुखमरी की समस्या है। खाना-पीना तो दूर दवा-इलाज के लिए भी बुनकरों के पास पैसा नहीं है। कोरोना महामारी ने पहले ही बुनकरों की कमर तोड़ दी है। अब सरकार भी बुनकरों को जीते जी मरना चाहती है। बुनकरों ने केंद्र तथा उत्तर प्रदेश सरकार से बुनकरों को फ्लैट रेट पुनः बहाल करने की मांग की है।
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बुनकरों ने कभी भी किसी भी सरकारों से कुछ नहीं मांगा ना काफी नौकरी मांगी ना ही आरक्षण वाराणसी जनपद का बुनकर अपने घरों में पावरलूम लगाकर पूरे परिवार के साथ अपनी जीविका चलाते चला आ रहा है। फ्लैट रेट बिजली को समाप्त कर रीडिंग से भुगतान सरकार बुनकरों से लेना चाहती है। जो बुनकरों किसी कीमत पर उसे जमा करने के लिए तैयार नहीं है।
रिपोर्टर आशुतोष सिंह