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Varanasi News: GI क्षेत्रों में काला नमक चावल के परीक्षण को बढ़ावा देगा इर्री, 80 से ज्यादा प्रजातियों पर वाराणसी में शोध

Varanasi News:पिछले साल से इनमे से चयनित उत्तम गुणवत्ता वाली 10 प्रजातियों को प्रदेश के जी आई क्षेत्रों वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ मिलकर तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा हैं।

Purushottam Singh Varanasi
Published on: 22 Jun 2023 4:19 AM GMT
Varanasi News: GI क्षेत्रों में काला नमक चावल के परीक्षण को बढ़ावा देगा इर्री, 80 से ज्यादा प्रजातियों पर वाराणसी में शोध
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testing of black salt rice in Varanasi (photo: social media )

Varanasi News: उत्तर प्रदेश में काला नमक चावल की पारंपरिक प्रजातियों एवं उनकी खेती को बढ़ावा देने हेतु अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) द्वारा लगातार शोध एवं विकास कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब तक संस्थान द्वारा प्रदेश भर में काला नमक धान के भौगौलिक भू-निर्धारण (जी आई) क्षेत्रों से 80 से ज्यादा प्रजातियों को वाराणसी स्थित केंद्र‌ पर लाकर उनपर शोध किया जा रहा है।

पिछले साल से इनमे से चयनित उत्तम गुणवत्ता वाली 10 प्रजातियों को प्रदेश के जी आई क्षेत्रों वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ मिलकर तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा हैं। इसी क्रम में महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर में तुलनात्मक अध्ययन हेतु आइसार्क द्वारा काला नमक धान के 9 प्रजातियों की नर्सरी लगायी गयी हैं। तथा इसके साथ-साथ कुछ प्रगतिशील किसानों द्वारा भी इन प्रजातियों का परीक्षण किया जाएगा।

काला नमक चावल पर चल रहा है अनुसंधान

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने इस प्रयास के बारे में बताते हुए कहा, “आइसार्क द्वारा चिन्हित काला नमक धान प्रजातियों में कोई भी अनुवांशिक संशोधन नहीं किया गया है। जी. आई क्षेत्रो में ही पाई जाने वाली पारंपरिक प्रजातियों से ही शोध आधारित परिणामों को एकत्रित एवं आंकलन के बाद इन प्रजातियों को उन्ही क्षेत्रों में विकसित कर बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। ये प्रजातियाँ पारंपरिक सुगंध और स्वाद में पहले जैसी ही हैं। इसके साथ यह प्रयास है कि चिन्हित प्रजातियों को अति शीघ्र बीज श्रृंखला प्रणाली में डाल कर किसानों को उपलब्ध करा दिया जाए, जिससे अपनी सुगंध एवं बेमिसाल स्वाद के लिए प्रसिद्ध कालानमक धान के ज़रिये किसानों की आजीविका भी समृद्ध हो सके।

काला नमक धान के अतिरिक्त महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र में आइसार्क द्वारा बायो-फोर्टीफाइड धान, तनाव सहनशील प्रजातियों को भी प्रदान किया गया है एवं प्रगतिशील किसानों में इन प्रजातियों को मिनी-किट के रूप में भी वितरित किया गया है।

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