Varanasi News: पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने बीएचयू की छात्र राजनीति से सांसद बनने तक का सफर कैसे तय किया? जानिए उनकी बायोग्राफी

Varanasi News: राजेश मिश्रा ने बीएचयू से दर्शनशास्त्र में एमए करने के बाद पीएचडी की डिग्री लिया। बीएचयू से शिक्षा हासिल करने के बाद राजेश मिश्रा साल 1996 से फुल फेज राजनीति में सक्रिय हुए।

Purushottam Singh
Published on: 21 Oct 2023 5:11 AM GMT
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कांग्रेस के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा (सोशल मीडिया)

Varanasi News: वाराणसी में राजेश मिश्रा कांग्रेस पार्टी के एक कद्दावर नेता के तौर पर जाने जाते हैं । राजेश मिश्रा अपने मृदुभाषी व्यवहार के चलते आज भी जनता से सीधे जुड़े रहते हैं।छात्र जीवन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से साल 1980 में छात्रसंघ के अध्यक्ष बनें। बीएचयू में पढ़ाई के दौरान राजेश मिश्रा छात्रों के सुख दुख के साथी बनते हुए उनकी हर समस्याओं का समाधान भी करते थे यहीं से शुरू हुआ राजनिति का सफर राजेश मिश्रा के परिवार का कोई विशेष पॉलिटिकल ग्राउंड नहीं रहा है।

2004 में पहली बार बने सांसद

राजेश मिश्रा ने बीएचयू से दर्शनशास्त्र में एमए करने के बाद पीएचडी की डिग्री लिया। बीएचयू से शिक्षा हासिल करने के बाद राजेश मिश्रा साल 1996 से फुल फेज राजनीति में सक्रिय हुए। साल 1996 से 2004 तक दो बार कांग्रेस पार्टी की तरफ से एमएलसी रहे। कांग्रेस पार्टी ने राजेश मिश्रा पर भरोसा करते हुए एक बड़ी जिम्मेदारी दिया 1999 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के शंकर जायसवाल के खिलाफ चुनाव मैदान में ताल ठोंक दिया। इस चुनाव में राजेश मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी ने दोबारा भरोसा जताते हुए राजेश मिश्रा को एक बार फिर 2004 में टिकट दिया इसबार राजेश मिश्रा चुनाव जीत गए। बीजेपी के शंकर जायसवाल को चुनाव हराकर वाराणसी के सांसद बने।


साल 2009 में कांग्रेस पार्टी ने राजेश मिश्रा पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताते हुए सांसदी का टिकट दिया। लेकिन, इस बार का चुनाव आसान नहीं था साल 2009 में बीजेपी की तरफ से डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी और बहुजन समाज पार्टी की तरफ से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, बीजेपी से बगावत कर अजय राय समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। इस बार जीत आसान नहीं थी वोटों के ध्रुवीकरण के चलते राजेश मिश्रा बुरी तरह से चुनाव हार गए। चुनाव हारने के साथ ही राजेश मिश्रा इस चुनाव में खिसककर चौथे पायदान पर चले गए। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी जीते। दूसरे स्थान पर माफिया डॉन मुख्तार अंसारी था और तीसरे पोजीशन पर अजय राय थे।

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साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से एक बड़े चेहरे के तौर पर नरेंद्र मोदी की एंट्री वाराणसी की लोकसभा सीट पर हुई। इस बार कांग्रेस पार्टी ने राजेश मिश्रा का टिकट काटते हुए अजय राय पर भरोसा जताया। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को फिर हार का सामना करना पड़ा। इतने उठा पटक के बाद भी राजेश मिश्रा केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा भरोसेमंद रहे आज भी प्रियंका गांधी राजेश मिश्रा पर भरोसा जतातीं है। तीन साल बाद ही विधानसभा चुनाव हुआ इस चुनाव में पार्टी आलाकमान ने राजेश मिश्रा को शहर दक्षिणी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा। बीजेपी के लोकप्रिय नेता श्यामदेव राय चौधरी का टिकट कटने से इस बार ऐसा माना जा रहा था कि राजेश मिश्रा चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन, परिणाम जब आया तो राजेश मिश्रा को फिर से हार का स्वाद चखना पड़ा।

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2019 के चुनाव में जब्त हो गई थी जमानत

2019 के चुनाव में राजेश मिश्रा को कांग्रेस पार्टी ने राजेश मिश्रा को उनके गृह जनपद देवरिया से टिकट दिया। सलेमपुर सीट पर राजेश मिश्रा की जमानत जब्त हो गया। इस चुनाव में 27 हजार वोट ही मिला। राजेश मिश्रा जनता के बीच खासे लोकप्रिय हैं आज भी राजेश मिश्रा के आवास पर जो अपनी फरियाद लेकर जाता है उसके लिए हर स्तर की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहते हैं।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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