देश के पूर्ण विकास के लिए महिलाओं का विकास जरूरी: डॉ. विभा दत्त

भारतीय संविधान में महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान दिये जाने की बात कही गयी है, लेकिन जब कभी भी समानता की बात आती है तो लोग यह भूल जाते हैं...

raghvendra
Published on: 8 March 2021 1:47 PM GMT
देश के पूर्ण विकास के लिए महिलाओं का विकास जरूरी: डॉ. विभा दत्त
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फोटो— सोशल मीडिया

लखनऊ। भारतीय संविधान में महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान दिये जाने की बात कही गयी है, लेकिन जब कभी भी समानता की बात आती है तो लोग यह भूल जाते हैं कि किसी भी वर्ग में समानता के लिए सबसे पहले अवसरों में समानता का होना अति आवश्यक होता है। देश में महिलाओं की संख्या लगभग आधी है, ऐसे में महिलाओं का विकास जरूरी है। उक्त बातें विद्या भारती शोध संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ. विभा दत्त ने सरस्वती कुंज, निरालानगर परिसर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं।

घरेलू सुरक्षा पर भी चर्चा जरूरी

डॉ. विभा दत्त ने कहा कि महिलाओं के प्रति विशेष रूप से सम्मान दिखाने के लिए विश्व भर में प्रत्येक वर्ष महिला दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है। हालांकि हर दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। सामान्यतः महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर कम मिलते हैं, इसके बावजूद देश के विकास में अपना योगदान देने वाली महिलाओं का आज समाज की ओर से सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं को सम्मान के साथ समान वेतन और घरेलू सुरक्षा पर भी चर्चा की आवश्यकता है। महिलाओं की तुलना में पुरुष शारीरिक बल में अधिक होते हैं, परंतु उन्हें अपनी शक्ति का इस्तेमाल महिलाओं के खिलाफ नहीं, बल्कि रक्षा के लिए करना चाहिए।

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महिलाओं को खुद को पहचानने की जरूरत

कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़ीं रेखा चूड़ासमा ने कहा कि आज पूरे विश्व में महिलाओं के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन यह सम्मान प्रत्येक दिन होना चाहिए। आज सभी महिलाओं को आत्म-चिंतन, आत्म मंथन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमेशा से महिलाओं के सशक्तिकरण की बात कही जाती रही है, लेकिन वो हमेशा से सशक्त रही हैं, उन्हें स्वयं को पहचानने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने रानी दुर्गावती, रानी अहिल्याबाई जैसी महान वीरांगनाओं का उदाहरण भी दिया। उन्होंने भारतीय परम्पराओं को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि महिलाएं भारतीय जीवनशैली को अपनाएंगी तो परिवार और समाज ठीक रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मां को अपने बच्चों से उनके आदर्श के बारे में चर्चा करनी चाहिए और देश की महान विभूतियों के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कार का स्थानांतरण पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता है। ऐसे में महिलाओं को विचार करना चाहिए कि परिवार संस्कारित हो।

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महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी

सरस्वती बालिका विद्यालय, जानकीपुरम् की प्रधानाचार्या सुधा तिवारी ने कहा कि महिलाओं के सम्मान के लिए आज का दिन बेहद महत्त्वपूर्ण है। बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों ही बेहद जरूरी हैं। कुछ लोग अभी भी बेटा-बेटी में भेदभाव करते हैं। आज बेटियां पढ़-लिखकर किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का हल शिक्षा ही है, इसलिये महिलाओं की शिक्षा अति आवश्यक है। इसी कड़ी में उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि महिला दिवस मनाए जाने की शुरुआत से पहले भी हमारे देश में महिलाओं का सम्मान किया जाता रहा है। सनातन परंपरा में सदैव महिलाओं को देवी के समान माना गया है। उन्होंने कहा कि हम सबके जीवन में चुनौतियां होती ही हैं, लेकिन उनका सामना करना सराहनीय है।

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कार्यक्रम में प्रचार विभाग और एलएमएस की बहनों द्वारा अतिथियों को अंगवस्त्र व पुस्तक भेंट करके सम्मानित किया गया। साथ ही भैया-बहनों के द्वारा विविध प्रकार की प्रस्तुति भी दी गयी। कार्यक्रम का संचालन अनामिका पांडेय ने किया। इस अवसर पर विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा, बालिका शिक्षा प्रमुख उमा शंकर, अमिताभ बैनर्जी, मोनिका ओझा, योगेश मिश्रा व प्रचार विभाग, एलएमएस के सभी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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