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मेरठ में बोले जल पुरुष राजेंद्र सिंह, भारत की आत्मा हैं किसान

इससे पहले जल पुरुष राजेंद्र सिंह की अगुवाई और जल बिरादरी के संयोजन में भीकमपुरा राजस्थान से शुरू हुई किसान कानून साक्षरता यात्रा सोमवार सुबह मेरठ पहुंची।

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Published on: 21 Dec 2020 6:08 PM IST
मेरठ में बोले जल पुरुष राजेंद्र सिंह, भारत की आत्मा हैं किसान
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मेरठ में बोले जल पुरुष राजेंद्र सिंह, भारत की आत्मा हैं किसान (PC:social media)

मेरठ: जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि किसान भारत की आत्मा हैं और इसे मत दुखाओ। किसानों की सीधी सी और मामूली मांग है। किसान विरोधी जो तीन कानून अलोकतांत्रिक तरीके से बनाये है, उन्हें जल्दी से जल्दी रद्द किए जाएं। किसानों ने अपना शांतिमय स्वरूप, अहिंसात्मक रास्ता पकड़ा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने इसी रास्ते पर देश को खड़ा करके अंग्रेजों को भगा दिया था। राजेंद्र सिंह ने एमएसपी दर लागू करने की मांग रखी।

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जल पुरुष राजेंद्र सिंह की अगुवाई और जल बिरादरी के संयोजन में भीकमपुरा राजस्थान से शुरू हुई

इससे पहले जल पुरुष राजेंद्र सिंह की अगुवाई और जल बिरादरी के संयोजन में भीकमपुरा राजस्थान से शुरू हुई किसान कानून साक्षरता यात्रा सोमवार सुबह मेरठ पहुंची। इसमें हरियाणा से किसान राजकुमार सांगवान और इब्राहिम खान के साथ पूर्व मेजर डॉक्टर हिमांशु भी शामिल रहे। यहां जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने पहले शहीद चंद्रशेखर आजाद और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। किसान कानून साक्षरता यात्रा में शामिल लोगों ने कमिश्नरी चौराहे पर पैदल मार्च किया और किसानों से बातचीत की।

गंगाजल बिरादरी के राष्ट्रीय संयोजक पूर्व मेजर हिमांशु ने अपने संबोधन में प्रस्ताव दिया

गंगाजल बिरादरी के राष्ट्रीय संयोजक पूर्व मेजर हिमांशु ने अपने संबोधन में प्रस्ताव दिया कि यदि केंद्र सरकार किसानो से बिना सलाह बिना मांगे इन कृषि बिलों को इतना ही किसान हितैषी मानती है तो 2022 तक किसानो की आय दोगुना करने का वायदा करने वाले माननीय प्रधानमन्त्री 4-5 किसान जानकार आन्दोलनकारी नेताओ से इन बिलों पर खुली बहस कर लें। मामला सुलझाए देश में आग न लगवाएं, एमएसपी दर से कम की खरीद को दंडनीय अपराध घोषित करें।

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इब्राहीम खान ने किसानो को बांटने और बदनाम करने पर कड़ी आपत्ति की। राजकुमार सांगवान का मत था कि ये बिल किसानों की लूट की छूट देते हैं और कालाबाजारी और जमाखोरी बढाने के रास्ते खोजते हैं। संतोष सरोकारी ने इस गतिरोध का जल्द समाधान निकाले जाने की वकालत की, क्योंकि ज्यादा दिन तक यदि किसान यहां बैठते है तो उनकी खेती का तो नुकसान है, वह भी सरकार का भी कहीं न कहीं नुकसान होगा। रूहामा अहमद ने किसानो की मांगो को जायज बताया और सरकार के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया।

रिपोर्ट- सुशील कुमार

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