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गाढ़े पसीने की कमाई जानवरों को खिला दी, ऐसी क्या थी मजबूरी
शादी - विवाह के मौसम को देखते हुए हर बार से अधिक फूल उगाने की व्यवस्था उनके द्वारा की गयी थी मगर लॉक डाउन की वजह से न शादियां ही हुईं और न ही उनके फूल ही बिके। इससे साफ़ हैं कि फूलों की खेती में सौ प्रतिशत से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है।
बाराबंकी। जनपद में उगाया गया फूल राजधानी लखनऊ , दिल्ली , मुम्बई ,कोलकाता की जहाँ शोभा बढ़ता है वहीँ यह फूल विदेशी धरती पर भी अपनी खुशबू से माहौल खुशनुमा बना देता है। मगर आज यह फूल पूजापाठ ,मन्दिर -मस्जिद की शोभा न बढ़ा कर जानवरों के चारे के रूप में काम आ रहा है। किसान अपनी दुर्दशा का बयान करते हुए बताते हैं कि हर उनका लगभग बीस हज़ार रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। फूलों की बाजार तो बन्द ही हुई ऊपर इसे तोड़ने और फेंकने की मजदूरी भी अपने पास से खर्च करनी पड़ रही है।
किसान आयोग के सदस्य भी हुए तबाह
बाराबंकी के देवा थाना इलाके के गाँव दफेदार पुरवा में फूल की खेती से ग्रामीणों को रोजगार देकर गाँव से पलायन रोकने वाले प्रगतिशील किसान मोईनुद्दीन आज खुद बेरोजगार हो गए हैं | लॉक डाउन में जहाँ हर रोजगार पर बन्दी का असर पड़ा है तो वहीँ मोईनुद्दीन की फूलों की खेती पर भी बन्दी का बद असर पड़ा है।
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मोईनुद्दीन ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिन्हे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित कर चुके हैं। मोईनुद्दीन मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाले उत्तर प्रदेश किसान आयोग के सदस्य भी हैं।
छह लाख रुपए महीने का नुकसान
मोईनुद्दीन के फूल राजधानी लखनऊ , दिल्ली , मुम्बई , कोलकाता और देश की संसद की शोभा बढ़ाते हैं। इसके साथ यह फूल दुबई , शारजाह सहित विदेशों में भी अपनी सुगन्ध बिखेरते हैं। जिनसे उन्हें लाखों रुपये की आमदनी होती है। मगर आज यह फूल लॉक डाउन की वजह से कहीं नहीं जा पा रहे हैं। मजबूरी में इन्हें जानवरों का निवाला बनाया जा रहा है। इस परिस्थिति में मोईनुद्दीन को लगभग छह लाख रुपये महीने का नुकसान हो रहा है।
चारा मशीन में कट रहे फूल
जानवरों की चारा मशीन में फूलों को चारे की तरह काट रहे किसान मनोज कुमार वर्मा बताते हैं कि वह भी फूलों की खेती मोईनुद्दीन की प्रेरणा से करते आ रहे हैं और इस समय आवागमन की सुविधा न हो पाने की वजह से वह अपने जानवरों को फूलों का चारा खिलाने को मजबूर हैं। फूल की आपूर्ति न हो पाने की वजह से उनका लाखों रुपया डूब गया है।
न शादियां हुईं न फूल बिके
मोईनुद्दीन स्वयं बताते हैं कि फूलों के उत्पादन के बाद आपूर्ति न हो पाने की वजह से काफी नुकसान तो हो ही रहा है। अब फूलों के तैयार होने के बाद उसे तोड़ने और फेंकने की मजदूरी भी जेब से देनी पद रही है। इस बार शादी - विवाह के मौसम को देखते हुए हर बार से अधिक फूल उगाने की व्यवस्था उनके द्वारा की गयी थी मगर लॉक डाउन की वजह से न शादियां ही हुईं और न ही उनके फूल ही बिके। इससे साफ़ हैं कि फूलों की खेती में सौ प्रतिशत से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है।