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इस बार गेहूं उत्पादन हो सकता है आधा, मानसून और कोरोना की रबी पर मार

शासन द्वारा हर साल विभिन्न फसलों की बुवाई के लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं। कृषि विभाग भी लक्ष्य पूर्ति के हर संभव प्रयास करता है, लेकिन इस साल कोरोना की मार व कम वर्षा की मार रबी की फसल पर पड़ी है।

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Published on: 10 Dec 2020 3:42 PM IST
इस बार गेहूं उत्पादन हो सकता है आधा, मानसून और कोरोना की रबी पर मार
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इस बार गेहूं उत्पादन हो सकता है आधा, मानसून और कोरोना की रबी पर मार (PC: social media)

झांसी: इस बार गेहूं की फसल का उत्पादन बहुत कम या यूं कहें कि आधा होने की आशंका है। इसकी वजह है कि इस साल रबी के सीजन में गेहूं की बुवाई लगभग आधे रकबे में हो पायी है। यदि ऐसा होता है तो अगले वर्ष गेहूं की कीमत बढ़ सकती है।

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शासन द्वारा हर साल विभिन्न फसलों की बुवाई के लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं

शासन द्वारा हर साल विभिन्न फसलों की बुवाई के लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं। कृषि विभाग भी लक्ष्य पूर्ति के हर संभव प्रयास करता है, लेकिन इस साल कोरोना की मार व कम वर्षा की मार रबी की फसल पर पड़ी है। गेहूं की बुवाई लगभग आधी तो चना, मटर और मसूर की बुवाई लक्ष्य के सापेक्ष बहुत ज्यादा हुयी है। मालूम हो कि शासन द्वारा वर्ष 2020-21 के लिये झांसी जनपद में गेहूं की बुवाई का 149691 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके सापेक्ष 7 दिसम्बर तक 76720 हेक्टेयर पर ही बुवाई हो सकी है। जोकि लगभग पचास प्रतिशत करीब है। ऐसे में उत्पादन भी करीब आधा होने की उम्मीद है। यदि ऐसा होता है तो अगले वर्ष गेहूं महंगा होने की सम्भावना है।

इस वर्ष मार्च माह में लॉकडाउन लगने की वजह से सरकारी मशीनरी के कार्य लगभग बंद से हो गये थे। लम्बे समय चले लॉकडाउन की वजह से किसान भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाया वहीं कृषि विभाग भी गोष्ठियों और गांव-गांव जाकर किसानों को जानकारी नहीं दे पाये। कोरोना की मार से किसान उबर भी नहीं पाया था कि मानसून ने किसान को और ज्यादा मायूस कर दिया। इस बार भी औसत वर्षा नहीं हुयी , जिसकी वजह से खेत की मिट्टी सूखी रही। वहीं कुंए, तालाब, पोखर और अन्य जल स्रोत पूरी तरह से नहीं भर पाये। लम्बे समय तक लॉकडाउन से किसान की हालत खराब हो गयी। रबी की बुवाई के लिये उसके पास न तो पानी था और न ही अन्य संसाधन ही थे।

wheat wheat (PC: social media)

ऐसे में रबी की बुवाई लगभग आधे क्षेत्रफल में ही हो सकी

ऐसे में रबी की बुवाई लगभग आधे क्षेत्रफल में ही हो सकी। हां, दलहन व तिलहन की फसलों की बुवाई की स्थिति ठीकठाक रही। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार चना, मटर, मसूर की बुवाई लक्ष्य से कहीं अधिक पायी गयी। शासन ने चने की बुवाई के लिये 69908 हेक्टेयर क्षेत्रफल निर्धारित किया था, जिसके सापेक्ष 69900 हेक्टेयर में चने की बुवाई की गयी। वहीं मटर की बुवाई 75553 हेक्टेयर के सापेक्ष 78500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की गयी जोकि लक्ष्य से बहुत ज्यादा है। रही मसूर की बात तो उसकी भी इस साल लक्ष्य के सापेक्ष ज्यादा बुवाई हुयी। मसूर का लक्ष्य 34628 हेक्टेयर निर्धारित किया गया था जिसके सापेक्ष 35100 हेक्टेयर में बुवाई की गयी है।

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इसके अलावा तिलहनी फसलों राई/सरसों, तोरिया, अलसी की बुवाई भी निर्धारित लक्ष्य के बहुत करीब हो चुकी है। ऐसे में खाद्यान्न फसल गेहूं की बुवाई कम होने की आशंका है तो वहीं दलहनी व तिलहनी फसलें बम्पर होने की उम्मीद जताई जा रही है।

रिपोर्ट- बी.के.कुशवाहा

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