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Atiq Ahmed: 2017 के चुनाव में अतीक को लेकर भिड़ गए थे अखिलेश और शिवपाल, सपा में दो फाड़ के बाद कट गया था माफिया का टिकट

Atiq Ahmed: 2017 के विधानसभा चुनाव में अतीक अहमद को टिकट देने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी में घमासान छिड़ गया था। इस मुद्दे को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव भिड़ गए थे।

Anshuman Tiwari
Published on: 16 April 2023 3:03 PM IST
Atiq Ahmed: 2017 के चुनाव में अतीक को लेकर भिड़ गए थे अखिलेश और शिवपाल, सपा में दो फाड़ के बाद कट गया था माफिया का टिकट
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माफिया अतीक अहमद और अखिलेश यादव ( सोशल मीडिया)

Atiq Ahmed: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार को देर रात प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मीडिया कर्मी बनकर आए तीन बाइक सवार बदमाशों ने दोनों को गोलियों से भून डाला। अपराध की दुनिया के अलावा अतीक अहमद लंबे समय तक सियासी मैदान में भी सक्रिय रहा और इस दौरान वह पांच बार विधायक और एक बार सांसद भी बना। समाजवादी पार्टी के टिकट पर अतीक ने 2004 में फूलपुर सीट से संसदीय चुनाव जीता था।

2017 के विधानसभा चुनाव में अतीक अहमद को टिकट देने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी में घमासान छिड़ गया था। इस मुद्दे को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव भिड़ गए थे। पहले अतीक अहमद को कानपुर कैंट सीट से सपा का उम्मीदवार घोषित किया गया था मगर सपा पर अखिलेश यादव का प्रभुत्व स्थापित होने के बाद अतीक का टिकट काट दिया गया था। अखिलेश यादव ने साफ-सुथरी छवि वाले लोगों को टिकट देने की दलील देते हुए अतीक का पत्ता साफ कर दिया था।

कानपुर कैंट सीट से मिला था अतीक को टिकट

यह बात दिसंबर 2016 की है। उस समय सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के कुनबे में जबर्दस्त खींचतान चल रही थी। 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सपा की लिस्ट में अतीक अहमद को कानपुर कैंट सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया था। 14 दिसंबर को अतीक अहमद और उसके समर्थकों पर प्रयागराज के शियाट्स कॉलेज में तोड़फोड़ और मारपीट का आरोप लगा था। अतीक पर कॉलेज के अफसरों को धमकाने का आरोप लगा था और इसका वीडियो भी वायरल हो गया था।

सपा की ओर से उम्मीदवार घोषित होने के बाद अतीक अहमद 320 गाड़ियों के काफिले के साथ कानपुर पहुंचा था। अतीक अहमद खुद 80 लाख की हमर गाड़ी पर सवार था। उसके स्वागत के लिए जगह-जगह द्वार बनाए गए थे। अपनी इस यात्रा के दौरान अतीक ने कानपुर कैंट सीट पर अपनी ताकत दिखाने का दावा किया था। अतीक की यह कानपुर यात्रा मीडिया में खूब चर्चा का विषय बनी थी।

इसलिए नाराज हो गए थे अखिलेश यादव

माफिया अतीक अहमद को सपा की ओर से उम्मीदवार तो जरूर घोषित कर दिया गया था मगर पार्टी में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच जबर्दस्त घमासान शुरू हो गया था। अखिलेश यादव राजनीति में भ्रष्टाचार और गुंडई के खिलाफ अलग रास्ते पर चलने की वकालत कर रहे थे।

अखिलेश यादव की नाराजगी के बावजूद सपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिशुपाल सिंह यादव ने अतीक अहमद को कानपुर की कैंट सीट से उम्मीदवार बनाया था। शिवपाल सिंह यादव ने सपा के 22 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था और इनमें अतीक अहमद के अलावा माफिया डान मुख्तार अंसारी के भाई का नाम भी शामिल था।

अखिलेश ने काट दिया था अतीक का टिकट

शिवपाल सिंह यादव की ओर से की गई इस घोषणा पर अखिलेश यादव भड़क गए थे। वे मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय किए जाने से भी नाराज थे। समाजवादी पार्टी पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के बाद अखिलेश ने अतीक अहमद का टिकट काट दिया था। टिकट काटे जाने के बाद अतीक अहमद ने लखनऊ पहुंचकर शिवपाल सिंह यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ लंबी गुफ्तगू की थी।
टिकट काटे जाने के बाद अतीक अहमद ने गहरी नाराजगी जताई थी। अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए अतीक अहमद ने यहां तक कहा था कि अपने सियासी जीवन के दौरान मैं कई बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहा हूं। अतीक का कहना था कि मेरा टिकट कटता है तो कट जाए। मैं अपना टिकट खुद बना लूंगा।

हाईकोर्ट की फटकार के बाद गिरफ्तार हुआ था अतीक

हालांकि इस बीच कुछ ऐसा घटनाक्रम हुआ जिसने अतीक को सियासी रूप से काफी कमजोर बना दिया। शियाट्स कॉलेज में अतीक की गुंडई और धमकाने के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई और यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए अतीक अहमद को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। इस मामले को लेकर फरवरी 2017 में अतीक अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया था और उसके बाद अतीक कभी जेल से बाहर नहीं निकल सका।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की कमान संभाल ली। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अतीक के बुरे दिनों की शुरुआत हो गई। योगी के राज में अतीक अहमद और उसके समर्थकों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। गत 24 फरवरी को प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद योगी ने माफिया को मिट्टी में मिला देने का ऐलान किया था। उसके बाद अतीक के बेटे समेत कई शूटर एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके हैं। अब तीन हमलावरों ने पुलिस हिरासत में अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी है।

पांच बार जीता विधानसभा का चुनाव

वैसे यदि अतीक के सियासी सफर को देखा जाए तो वह पांच बार विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहा। अतीक अहमद ने 1989, 1991, 1993, 1996 और 2002 में प्रयागराज की शहर पश्चिमी सीट से लगातार विधानसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2004 में वह फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतने में भी कामयाब रहा था।

माफिया अतीक अहमद कई बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा और जमानत पाकर बाहर निकलने में भी कामयाब रहा। इस कारण उसका दबदबा हमेशा बरकरार रहा। इस दबदबे के कारण ही उसने अकूत दौलत भी बटोरी।



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