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Meerut News: कावंड़ हादसे में गई छह लोगों की जान का जिम्मेदार कौन, अब तक पता नहीं
Meerut News: राली चौहान में हुए हादसे में मारे गए सभी छह लोगों का अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद कल शाम एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।
Meerut News: राली चौहान में हुए हादसे में मारे गए सभी छह लोगों का अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद कल शाम एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन, इन मौतों की जिम्मेदारी अभी तक तय नहीं की जा सकी है। पीवीवीएनएल की एमडी चैत्रा वी. ने तो यह कहते हुए पीवीवीएनएल की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है कि हादसे की प्रारंभिक जांच में विभागीय अफसरों की गलती सामने नहीं आई है।
जांच कमेटी की रिपोर्ट के इंतजार का रटा-रटाया जवाब
पुलिस व प्रशासन की तरफ से भी जांच कमेटी की रिपोर्ट आने का हवाला देते हुए अभी तक कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि फिर हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है। असलियत यह है कि जिम्मेदार कौन है, इसका पता सभी को है। लेकिन, क्योंकि मामला उन कावंड़ियों से जुड़ा है, जिनके ऊपर घटना से चंद रोज पहले पुलिस व प्रशासनिक अफसर उड़नखटोले से फूल बरसा रहे थे। इसलिए सभी ने चुप्पी साध रखी है। कोई नहीं पूछ रहा है कि जब इतनी बड़ी कांवड़ जाने पर रोक थी तो कैसे ये कांवड़ हरिद्वार पहुंची और वहां से गांव तक आ गई।
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12 फीट से अधिक का कांवड़ कैसे निकला सका सड़क पर
बता दें कि प्रमुख सचिव और डीजीपी ने कावंड़ यात्रा से पहले निर्देश दिए थे कि डाक कावंड़ 12 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। मानकों के अनुसार कांवड़ की ऊंचाई न होना ही हादसे का कारण बना। इसके अलावा सड़क किनारे पड़े मलबे से बचने के चक्कर में कावंड़ हाईटेंशन लाइऩ से टकरा गई। जिसके कारण ही छह लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। जैसा कि पीवीवीएनएल एमडी चैत्रा वी. कांवड़ियों की मौत पर तो दुख जताती हैं लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार करती हैं कि घटना का कारण बनी डाक कावंड़ मानकों के विपरीत यानी 12 फीट से अधिक थी। पीवीवीएनएल एमडी कहती हैं कि हाईटेंशन लाइन मानकों के अनुसार जमीन से 5.80 मीटर है। जबकि कावंड़ मानकों के विपरीत जमीन से करीब 6.70 मीटर ऊंची थी।
स्थानीय लोगों ने कोई शटडाउन नहीं मांगा
विभाग का बचाव करते हुए पीवीवीएनएल एमडी चैत्रा वी. इस बात से भी इंकार करती हैं कि स्थानीय लोगों की ओर से हादसे से पूर्व कोई शटडाउन मांगा गया था। उन्होंने बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि इस संबंध में न तो लिखित रुप से और न ही मौखिक रुप से कोई जानकारी विभागीय अधिकारियो को दी गई। उनका यह भी कहना है कि घटना के दिन यानी शनिवार शाम को रोस्टर के अनुसार विद्युत कटौती की गई, जिसमें शाम साढ़े पांच बजे से साढ़े छह बजे तक विद्युत आपूर्ति बाधित थी। यह मुख्यालय में भी दर्ज है।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर हुआ था एक और सड़क हादसा
जाहिर है कि कांवड़ यात्रा से पहले प्रमुख सचिव और डीजीपी की चार राज्यों के पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के साथ हुई बैठक के बाद दिए गए निर्देशों जिनमें साफतौर पर कहा गया था कि 12 फीट से ऊंची कांवड़ नहीं चलने दी जाएगी। इन निर्देशों का अमल हो पाता तो शायद छह जान नहीं जाती। वैसे, सिस्टम के लिए यह कोई नई बात नहीं है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर गाजियाबाद में रॉन्ग साइड में चल रही स्कूल बस ने कार को टक्कर मार दी थी। इस घटना में भी मेरठ के ही छह लोगों की जान गई थी। लेकिन, घटना के कई रोज बाद अभी तक भी इन मौतों की भी जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है।