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मासूम बेटे को छोड़ जनता की सेवा में लगी रही महिला डीएम

यूपी में लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक जिम्मेदारी जिलाधिकारियों की रही हैं। इनमें से एक महिला जिलाधिकारी ऐसी भी हैं जो अपने डेढ साल के बेटे व परिवार को छोड़कर जनता की सेवा और सुरक्षा में लगी रहीं।

Roshni Khan
Published on: 6 Jun 2020 5:53 PM IST
मासूम बेटे को छोड़ जनता की सेवा में लगी रही महिला डीएम
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: यूपी में लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक जिम्मेदारी जिलाधिकारियों की रही हैं। इनमें से एक महिला जिलाधिकारी ऐसी भी हैं जो अपने डेढ साल के बेटे व परिवार को छोड़कर जनता की सेवा और सुरक्षा में लगी रहीं। शामली की डीएम जसजीत कौर ने अपने कुशल कार्यशैली से यहां के लोगों का दिल जीतने का काम किया है। यही कारण है कि स्थानीय जनता उनके काफिले पर फूलों की वर्षा तक करती है।

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जसजीत कौर 2012 बैच की अधिकारी हैं

मूल रूप से अमृतसर (पंजाब) की रहने वाली जसजीत कौर 2012 बैच की अधिकारी हैं। शामली की पहली महिला डीएम बनने वाली आईएएस अधिकारी जसजीत कौर इससे पहले अपर प्रबंधक निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन लखनऊ के पद पर तैनात थी। आईएएस जसजीत कौर की प्रारम्भिक शिक्षा अमृतसर के डीएवी कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र से बी्एससी पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन पीजीडीसीए किया। बाद में जसजीत कौर का 2012 में आईएएस में चयन हो गया।

आईएएस जसजीत कौर की शुरुआती ट्रेनिंग सीतापुर और आगरा में हुई है। उसके बाद उन्नाव में 7 अगस्त 2014 से लेकर 20 अप्रैल 2016 तक ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात रही। इसके बाद बुलंदशहर में 21 अप्रैल 2016 से लेकर 17 अप्रैल 2018 तक मुख्य विकास अधिकारी के पद पर रहने के बाद लखनऊ में 17 अप्रैल 2018 से लेकर 12 सितम्बर 2019 तक विशेष सचिव नियोजन विभाग, 12 सितम्बर 2019 से लेकर 18 सितम्बर 2019 तक अपर प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तथा 18 सितम्बर 2019 से लेकर 22 फरवरी 2020 तक अपर प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं अपर परियोजना निदेशक एड्स नियंत्रण समाज के पद पर कार्यरत रही। उसके बाद आईएएस जसजीत कौर को डीएम शामली की जिम्मेदारी दी गयी। वह पिछले तीन महीने से जनता को बचाने के लिए कोरोना से लड रही है।

प्रबुद्धनगर के नाम से नया जिला बनाया गया था

तत्कालीन मायावती सरकार के दौरान 28 सितंबर 2011 को मुजफ्फरनगर जिले के एक हिस्से को अलग करके प्रबुद्धनगर के नाम से यह नया जिला बनाया गया था। लेकिन प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आने के बाद जुलाई 2012 में इसका नाम शामली कर दिया गया था। योगी सरकार ने इस साल 22 फरवरी को शामली में 2012 बैच की आईएएस महिला अफसर जसजीत कौर को तैनात किया लेकिन कुछ दिन बाद ही ंनवनियुक्त जिलाधिकारी जसजीत कौर के सामने कोरोना वायरस का संकट और लाकडाउन ने एक बडी चुनौती खडी हो गयी।

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कोरोना का पहला केस शामली में 23 मार्च को सामने आया था जब दुबई से 15 मार्च से आए युवक की जांच में वह कोरोना पाजिटिव मिला। इसके बाद इस जिले में मरीजों की संख्या घटतीबढती रही पर 50 नहीं पार कर पाई। जिला प्रशासन की तत्परता से इस पर अंकुश लगा रहा। एक समय ऐसा भी आया कि जब शामली पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो गया था। अन्य जिलों के मुकाबले शामली जिले की स्थिति संतोषजनक ही कही जाएगी। देश में कोरोना महामारी के चलते अब अनलॉक-1 चल रहा है। इसके तहत तहत सुबह 9 से शाम 5 बजे तक डीएम ने बाजार में सभी तरह की दुकान खोलने के आदेश दे रखे है।

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