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इस महिला किसान ने हिम्मत और हौंसले से लिखी सफलता की नई इबारत

आंधी और तेज हवा से गिरे आम के कच्चे फल को पारंपरिक रूप से महिलाएं खटाई बनाकर धन कमातीं लेकिन खटाई के लिए उन्नत तकनीकी का प्रयोग ना करने के कारण वह काली पड़ जाती है।

Aditya Mishra
Published on: 31 March 2023 4:23 PM GMT
इस महिला किसान ने हिम्मत और हौंसले से लिखी सफलता की नई इबारत
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लखनऊ: आंधी और तेज हवा से गिरे आम के कच्चे फल को पारंपरिक रूप से महिलाएं खटाई बनाकर धन कमातीं लेकिन खटाई के लिए उन्नत तकनीकी का प्रयोग ना करने के कारण वह काली पड़ जाती है। जिसके कारण बिचौलियों द्वारा इसे औने पौने दाम में खरीद लिया जाता है।

इस समस्या से निबटने और महिला किसानों को ज्यादा आय दिलाने तथा बिचौलियों से बचाने के लिए, फार्मर फ़र्स्ट परियोजना के तहत संस्थान के वैज्ञानिकों ने 30 महिलाओं का समूह बनाकर मोहम्मद नगर तालुकेदारी गांव में कच्चे आम के प्रसंस्करण पर इन्हे प्रशिक्षित किया। जिसमें महिलाओं को आँधी के कारण गिरे हुये आम के कच्चे फलों से अमचूर बनाने की उन्नत तकनीकी बनाई।

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अमचूर बनाने के लिए अपनाई ये तकनीक

इसके अलावा महिलाओं को अमचूर बनाने की विधि में उपयोग आने वाले उपकरण जैसे मैंगो पीलर तथा सोलर डीहाइड्रेटर उपलब्ध कराया। उनकी इस तकनीक का लाभ उठाकर महिला किसान अमचूर बनाने लगी और अब इसको शहरी क्षेत्रों में अच्छे दाम पर बेच रही हैं ।

इस तकनीक के कारण ही मोहम्मद नगर तालुकेदारी गाँव की महिला किसान श्वेता मौर्य को हैदराबाद स्थित आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी द्वारा अभिनव किसान पुरस्कार के लिए चुना गया।

यह पुरस्कार आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र के हाथों दिया गया। इस पुरस्कार के लिए देश भर से केवल आठ किसानों का चयन किया गया। जिसमें से एक श्वेता मौर्य को मिला है। स्वेता मौर्य अमचूर के अलावा आम पना एवं विभिन्न प्रकार के आचार भी बनाती हैं ।

24 वर्षीया श्वेता मौर्या इससे बेहद उत्साहित है और कहती है कि आमचूर, आम पन्ना, अचार एवं अमावट के लिए लोग उनसे संपर्क कर रहे है।

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देश के अलग-अलग राज्यों से मिले ऑर्डर

उन्हें हैदराबाद एवं मध्यप्रदेश से आर्डर मिले है। आने वाले वर्षाे में वह एक सफल उद्यमी बनना चाहती है। वह कहती है की केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. पवन गुर्जर के द्वारा दिए गए प्रशिक्षण और निदेशक के सहयोग से वह यह कार्य सफलता पूर्वक कर पायी।

परियोजना के अन्वेषक डॉ. मनीष मिश्रा बताते है कि जिन महिलाओं को इस तकनीक से जोड़ा गया उन्हें पारम्परिक विधि से कार्य करने वाली महिलाओ की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक आय प्राप्त हुई। मूल्य संवर्धन के अलावा संस्थान प्रौद्योगिकी में उद्यमिता विकास के लिए किसानों को सहयोग कर रहा है।

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Aditya Mishra

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