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महिला ने दारोगा की नौकरी छोड़ पूरे गाँव को दिखाई दारोगागिरी

यह कहानी है यूपी के हमीरपुर जिला के सरीला ब्लॉक में तैनात 2016 भर्ती पर ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा उत्तीर्ण हुई एक लगनशील लड़की ऋषिता तिवारी की है जिसने दरोगा की नौकरी छोड़कर गांव के गरीबो की सेवा की राह चुनती हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 24 July 2019 8:35 AM GMT
महिला ने दारोगा की नौकरी छोड़ पूरे गाँव को दिखाई दारोगागिरी
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कटेहरी धौहल बंगरा ग्राम पंचायत की महिलाओं को जागरूक करते हुए

हमीरपुर : कहा जाता है कि इस दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो खुद के लिए नहीं बल्कि समाज की बेहतरी के लिए, दूसरों को अच्छा बनाने के लिए, परेशान लोगों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए जीते हैं। इस तरह के लोगों में अपने काम के प्रति ऐसा जुनून होता है कि वो हर परिस्थितियों को अपने हिसाब से ढाल देते हैं और अपना सर्वस्व झोंक देते हैं।

जज्बे की एक कहानी

दरअसल यह कहानी है यूपी के हमीरपुर जिला के सरीला ब्लॉक में तैनात 2016 भर्ती पर ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा उत्तीर्ण हुई एक लगनशील लड़की ऋषिता तिवारी की है जिसने दरोगा की नौकरी छोड़कर गांव के गरीबो की सेवा की राह चुनती हैं।

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ऋषिता अपने गांव विबार से ऑटो से 30 किलोमीटर दूर सरीला ब्लॉक निडर होकर ठीक समय ड्यूटी पर पहुंचती है तो कभी अपने चयनित गांवो गलियों में गांव के विकास को परखती है। सही से योजनाओं पर कार्य हो, इसके लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर गांव की पगडंडियों में पड़ी बंधियो की खुद नपाई करने लगती है।

जल संरक्षण के लिए लोंगो को जागरूक करते हुए

गरीबों को हक दिलाने के लिए करती काम

गांव में बड़े बुजुर्ग असहाय गरीबो को उनका हक दिलाने के लिए घर-घर जाकर जागरूक करना। इन्होंने ने अपना धर्म मान लिया है ताकि विचौलियों बीच मे कमीशन खोरी न कर सके।

सरकारी योजनाओं का सही से लाभ मिले इसलिए पात्र को योजना का लाभ दिलाने का और अपात्र को लाभ से वंचित करने का कार्य भी बखूबी कर रही है। इतना ही नहीं जब महिला सचिव को ये महसूस हुआ कि भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मचारी और जनप्रतिनिधि ही गांव की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा रहे हैं तो, वह खुद गांव के घर-घर मौके पर पहुंचती है और सबसे बड़ी बात ये कि ग्राम सचिव बनने के 9 महीने के अंदर ही उन्होंने छेड़ी बंगरा धौहल बुजुर्ग गांवो की जो तस्वीर बदली वह दूसरों के लिए नजीर है।

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दलालों पर लगाई लगाम

गांव के सभी दलालों की दुकान बंद कर दी वृद्धा व विकलांग पेंशन पर हर माह दलाली खाने वालों की दलाली पर जंग लगा दी। शौंचालय की राशि देने के नाम पर जो कमीशन खोरी गांव में होती थी, उसको भी नष्ट कर दिया। गांव में गरीबों से प्रधानमंत्री आवास पर जो रिश्वत लेकर आवास दिलाने का ग्रहण लगा था उसको भी बंद करवा दिया।

लोंगो को जागरूक करते हुए

छेड़ी बेनी और बंगरा गांव में होने वाले विकास को गांव के लोगों ने अब अपनी आंखों के सामने होते हुए देखा और महसूस किया है। गांव की तरक्की का ये कारनामा कर दिखाया है, बिवांर गांव की एक अध्यापक की बेटी ऋषिता तिवारी ने अपने सिर्फ पांच महीने के कार्यकाल में तरक्की की ऐसी मिसाल कायम की है, जो पिछले कई दशकों से गांव में तैनात कोई ग्राम विकास अधिकारी नही कर पा रहे थे।

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ग्रामीण बताते है कि इससे पहले जो ग्राम विकास अधिकारी गांव में तैनात थे उनको कभी नही देखा गया, गांव में कभी खुली मीटिंग भी नही हुई, किसी भी ग्राम सचिव को गांव के विकास से कोई सरोकार नही रहा। अब जब से यह लड़की गांव में तैनात हुई इसने वो कर दिखाया, जो बड़े-बड़े नही कर सके। साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि अगर महिला सचिव का प्रधान भी ईमानदारी से सहयोग दे, तो गांव का विकास दोगुनी रफ्तार से बढ़ेगा।

ये महत्वपूर्ण काम भी किये

पिछले नौ महीने में गांव में साफ सफाई गालियों में, सड़क में स्वच्छ पेयजल और खंडहर बने पंचायत भवन के निर्माण का अति महत्वपूर्ण कार्य किया है। जरूरतमंदो को राशन कार्ड दिलाने में अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान और वृद्धा और विधवा पेंशन भी लोंगो को मिलने लगा है।

सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के लिए चलाई जाने वाली अधिकतर योजनाओं का इस गांव में क्रियानवयन सही ठंग हो रहा है। इस महिला कर्मचारी ने गांव के लोंगो का ध्यान अपनी तरफ खींचा है उनके कामों की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। अच्छे कामों के लिए अधिकारी भी प्रसंसा कर रहे है।

लोंगो को जागरूक करते हुए

बहुत कुछ करना है बाकी

हालांकि ऋषिता कहती हैं, उन्हें अभी गांव के लिए बहुत कुछ करना है। गांव को आदर्श गांव बनाना हैं और जैविक खेती के लिए किसानों-ग्रामीणों को प्रेरित करना है।, धौहल गांव को साफ-स्चच्छ रखने के लिए करीब 300 से अधिक बनवाए जा चुके है, अभी और नए शौचालय बनवाए जा रहे है। वह चाहती है वार्डो में सड़कें हों, सभी ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ गांव के विकास के लिए लगातार मीटिंग भी करना चाहिए।

जागरूक करते हुए जागरूक करते हुए

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ऋषिता कहती हैं, सरकारी स्कूलों पर बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा मध्यान्ह भोजन मिले, इसके लिए भी लगातार कोशिश कर रही है और नतीजे दिख रहे हैं कि जो बच्चे पढऩे नहीं जाते थे वह नियमित स्कूल जाने लगे हैं। गांव में अभी उन्हें पेशन योजना, प्रधानमंत्री आवास, पानी और अन्य सरकारी योजनाओं के शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल करना है।

लोंगो को जागरूक करते हुए

ऋषिता ने महिला सशक्तिकरण और बेटियों की सफलता के लिए भी जोर दे रही है जिले की सबसे युवा महिला सचिव अब ग्रामीण छेत्र के युवाओं के लिए मिशाल है। ग्रामीणों के बीच बेबाकी से गांव की जरूरतों और शासन की योजनाओं को युवा सचिव ने बताया।

छेड़ी बेनी गांव के विकास के लिए सचिव बनने के बाद ऋषिता के कार्य महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अब बतौर मिसाल पेश किए जा रहे हैं, बल्कि ऐसी कड़ी धूप में में बेटिया घर की चारदीवारी से निकलकर किस तरह गांव के विकास में ईमानदारी से योगदान दे रहीं हैं। इसकी बानगी दिखाई जा रही है।

लोंगो को जागरूक करते हुए

ऋषिता ने यह साबित कर दिया कि अगर कुछ करने का जज्बा और मजबूत हौसला हो तमाम बाधाएं इन्सान के आगे नतमस्तक हो जाती है।

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Vidushi Mishra

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