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Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल का यूपी में होगा बड़ा असर, लोकसभा में 26 और विधानसभा में 132 सीटों पर होगा महिलाओं का कब्जा
Women Reservation Bill: महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद देश की संसद और विभिन्न राज्यों में विधानसभाओं की तस्वीर बदल जाएगी।
Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट ने 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। ऐसे में यह तय हो गया है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान नए संसद भवन में एक और इतिहास रचा जाएगा। इस विधेयक के पारित होने के बाद संसद और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का रास्ता खुल जाएगा। इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद विशेष सत्र के पीछे सरकार के असली एजेंडे की तस्वीर साफ हो गई है।
महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद देश की संसद और विभिन्न राज्यों में विधानसभाओं की तस्वीर बदल जाएगी। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद यूपी की महिलाओं को क्या लाभ मिलने वाला है। इस विधेयक के पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 26 और विधानसभा की 132 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इस कारण उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत सभी दलों को अपनी सियासी रणनीति में बड़ा बदलाव लाना पड़ेगा।
दिन भर चले मंथन के बाद विधेयक को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल की सोमवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई। इस विधेयक को मंजूरी देने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ दिनभर इस मुद्दे पर गहराई से मंथन किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी वरिष्ठ मंत्रियों के साथ इस मुद्दे पर मंत्रणा की। दिनभर चले मंथन के बाद संसद की कार्यवाही ख़त्म होने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई और इस बैठक में इस विधेयक पर मुहर लगा दी गई। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने सोशल मीडिया एक्स पर इसे मोदी सरकार का बड़ा कदम बताया। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी इस पोस्ट को डिलीट कर दिया।
अभी तक मोदी सरकार की ओर से इस बाबत कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। जानकारों का कहना है कि संसद के विशेष सत्र की वजह से मोदी सरकार की ओर से इस बाबत आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। जानकार सूत्रों का कहना है कि विधेयक को इसके पुराने और मूल स्वरूप में ही मंजूर किया गया है। इसका मतलब साफ है कि महिला आरक्षण विधेयक में एससी-एसटी या ओबीसी के लिए अलग से कोटा तय करने की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी।
उत्तर प्रदेश की सियासत पर होगा बड़ा असर
मोदी सरकार की ओर से उठाए जाने वाले इस कदम का उत्तर प्रदेश की सियासत पर बड़ा असर पड़ने वाला है। उत्तर प्रदेश की महिलाओं को इस विधेयक के पारित होने का बड़ा लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और इनमें से 26 लोकसभा सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इसके साथ ही राज्य विधानसभा में भी महिलाओं को बड़ा फायदा मिलने वाला है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 132 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी। आजादी के 75 साल बाद भी अभी तक उत्तर प्रदेश में आधी आबादी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था मगर अब बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है।
मौजूदा समय में महिलाओं की भागीदारी काफी कम
यदि उत्तर प्रदेश विधानसभा की मौजूदा तस्वीर को देखा जाए तो विधानसभा के 403 सदस्यों में सिर्फ 48 महिलाएं ही चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंची हैं। इसका मतलब साफ है कि विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी महज 12 फ़ीसदी है। वहीं उच्च सदन यानी विधान परिषद में तो महिलाओं की भागीदारी सिर्फ छह फीसदी है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं और इनमें से सिर्फ 11 संसदीय सीटों पर महिलाओं को चुनाव जीतने में कामयाबी मिली थी। लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 15 फ़ीसदी से भी कम है मगर महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद लोकसभा की 26 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
सियासी दलों को बदलनी होगी रणनीति
महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा बदलाव दिखेगा। प्रदेश के चार मुख्य राजनीतिक दलों भाजपा,सपा, कांग्रेस और बसपा को अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव लाना पड़ेगा। माना जा रहा है कि इन चारों दलों के संगठन में भी बड़ा बदलाव होगा और संगठन में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
इसके साथ ही विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में सशक्त महिला उम्मीदवारों की खोज भी करनी होगी। राज्य की सियासत में सक्रिय छोटे दलों की सियासी रणनीति भी बदली हुई दिखेगी। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश की सियासत का नजारा पूरी तरह बदला हुआ दिखने की उम्मीद जताई जा रही है।