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महिला दिवस पर दीपिका सिंह को सलाम, बेटियों के लिए कर रहीं ये नेक काम
कानपुर देहात के सरवनखेड़ा ब्लॉक की दीपिका सिंह ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में लंबे समय से मिशन के तौर पर काम रही हैं।
कानपुर देहात: कहते हैं ना की जिनकी चाहत जग जीत ने की होती है लंबी उड़ान भरने की होती है उनके लिए तो आसमान भी छोटा हो जाता है। दुनिया के हर मुश्किल आसान हो जाती है। राहे अपने आप उनकी दिक्कतों को हटा देती हैं। इस सोच के साथ आगे बढ़ने वालों की कभी हार नहीं होती है। जिनके हौसले बुलंद होते हैं। वह हर उचाईयों को छू सकते हैं। नारी तो एक मां है, एक पत्नी है, देवताओं में भी नारी का सबसे बड़ा प्रथम स्थान है। ऐसी ही सोच लेकर दीपिका सिंह ने अपने अंदर की प्रतिभा को जगह पर अपने नाम को सार्थक बनाकर कई महिलाओं के अंधेरी जिंदगी में ज्ञान की रोशनी आत्मनिर्भर स्वाबलंबी बनाकर उनके जीवन को संवारा है।
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बेहतर प्रयासों से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं आत्मनर्भिर बन रही हैं
कानपुर देहात के सरवनखेड़ा ब्लॉक की दीपिका सिंह ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में लंबे समय से मिशन के तौर पर काम रही हैं। उनकी लगनशीलता और बेहतर प्रयासों से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं आत्मनर्भिर बन रही हैं। दीपिका समाज महिलाओं और युवतियों के भवष्यि को संवारने को अपनी जिम्मेदारी समझती हैं।
21वीं सदी में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो स्वावलंबन का चिराग जला रही हैं
21वीं सदी में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो स्वावलंबन का चिराग जला रही हैं और अपने साथ-साथ दूसरों का भी भविष्य सुधार रही हैं। कानपुर देहात जिले की रहने वाली दीपिका सिंह भी इन्हीं में एक हैं जो लंबें समय से समाजिक परिवर्तन कि दिशा में काम कर रही हैं। दीपिका सिंह ने ग्रामीण इलाके की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने को अपना मिशन बना लिया है। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को रोजगार दिलाने, उन्हें आत्मनर्भिर बनाने और उनके भवष्यि को संवारने को वह अपनी जिम्मेदारी समझती हैं।
अशिक्षित महिलाओं के सामने जीविकोपार्जन की बड़ी समस्या होती है
सरवनखेड़ा ब्लॉक की रहने वाली दीपिका सिंह ने करीब 13 वर्ष पूर्व खुद को आत्मनिर्भर बनाकर अन्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम शुरू किया था। वह बताती हैं कि अशिक्षित महिलाओं के सामने जीविकोपार्जन की बड़ी समस्या होती है। उन्हें घर का खर्च चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी महिलाओं तक मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। दीपिका बताती हैं कि सरकार की कई योजनाएं संचालित हैं, जिनका लाभ जरूरतमंद महिलाओं तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे में वह उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाती हैं। इसके बाद सिलाई, कढ़ाई आदि का प्रशक्षिण भी देती हैं। अब तक वो करीब 100 महिलाओं को रोजगार से जोड़ चुकी हैं।
10 गरीब महिलाओं को हर साल निःशुल्क प्रशिक्षण
सरवनखेड़ा ब्लॉक में दीपिका सिंह ने क्षेत्र की महिलाओं और बालिकाओं की उन्नति का रास्ता बनाया है। वो कस्बे में ही प्रशिक्षण केंद्र खोलकर हर साल 10 महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का निःशुल्क प्रशिक्षण देती आ रही हैं। दीपिका ने सबसे पहले खुद सिलाई कढ़ाई सीखी। फिर वो सिलाई करने के बजाय सिलाई ट्रेनर के रूप में काम करने लगीं। प्रशिक्षण देने से कुछ आय हुई तो उन्होंने गांव में ट्रेनिंग सेंटर खोल दिया। हर साल 10 गरीब महिलाओं को निःशुल्क प्रशिक्षण देने लगीं। 2007 से शुरू इस सेंटर पर अब कम्प्यूटर ट्रेनिंग भी दी जा रही है। दीपिका एक NGO बनाकर गरीब महिलाओं के लिए सिलाई मशीन आदि का भी इंतजाम कराती हैं।
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केन्द्र का पंजीकरण कराने के बाद दीपिका महिलाओं को प्रमाणपत्र भी देती हैं
केन्द्र का पंजीकरण कराने के बाद दीपिका महिलाओं को प्रमाणपत्र भी देती हैं। दीपिका बताती हैं कि हर वर्ष 10 गरीब महिलाओं को प्रशिक्षण और उन्हें रोजगार से जोड़ना उनकी मुहिम का एक हिस्सा है। वो नारी सुरक्षा, नारी सम्मान और नारी स्वावलंबन का महत्व बताकर महिलाओं को सरकार की योजनाओं और प्रशिक्षण के सहारे आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक कर रही हैं। 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' अभियान को बढ़ावा देना, बालिका शिक्षा और मतदाता जागरूकता जैसे विभिन्न समाजिक मुद्दों पर काम करने पर डीएम ने दीपिका को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था।
रिपोर्ट- मनोज सिंह
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