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लॉकडाउन: 15 दिनों से भूखे थे बच्चे, मासूमों को तड़पता देख मजदूर ने की आत्महत्या
कोरोना के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी धंधे ठप हो चुके हैं। लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं मजदूर वर्ग के लोग।
कानपुर: कोरोना के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी धंधे ठप हो चुके हैं। लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं मजदूर वर्ग के लोग। बहुत से मजदूरों को ना तो भरपेट भोजन मिल रहा है और ना ही इनके पास कोई कमाई का जरिया है। इस बीच एक मजदूर की दर्दभरी कहानी सामने आई है। जिससे अपने बच्चों को भूखा ना देखा गया तो उसने खुद खुदकुशी कर ली।
परिवार को भूखा देख की आत्महत्या
काकादेव थाना क्षेत्र के राजापुरवा निवासी मजदूर को अपने बच्चों को भूखा देखा ना गया तो उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मजबूर ने पहले तो अपने परिवार का पेट भरने का प्रयास किया, लेकिन दर-दर भटकने के बाद भी उसको कहीं पर काम नहीं मिला।
15 दिन से भरपेट नहीं किया भोजन
कहीं काम ना मिलने की वजह से बच्चे 15 दिन से भरपेट भोजन नहीं कर पा रहे थे। मजबूर के बच्चे या तो कभी केवल सूखी रोटी खा सो जाया करते तो कभी केवल पानी पीकर ही गुजारा करना पड़ता था। बच्चों को ऐसे देखा नहीं गया तो मजदूर ने अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर ली।
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लॉकडाउन की वजह से नहीं था काम
इस मजबूर मजदूर का नाम है विजय बहादुर, जो राजापुरवा निवासी था और एक दिहाड़ी मजदूर था। मजदूरी करते ही अपने परिवार का पेट भरता था। मजदूर के परिवार में पत्नी रंभा, बेटी अनुष्का और तीन बेटे, शिवम, शुभम और रवि हैं। डेढ़ महीने से जारी लॉकडाउन की वजह से मजदूर के पास कोई काम नहीं था। जिस वजह से जो पैसे जोड़कर रखे थे, वो भी खत्म हो गए।
हॉस्पिटल में कराया गया एडमिट, मौत
परिजनों और आसपास के लोगों ने बताया कि परिवार के लोगों को पिछले कई दिनों से भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा था। इसी वजह से परेशान होकर विजय ने बुधवार शाम को साड़ी के फंदे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस बीच जब पत्नी घर पहुंची तो पति को इस हाल में देख घबरा गई और पड़ोसियों की मदद से विजय को उतारकर हैलट में भर्ती कराया। हालांकि देर रात उसकी मौत हो गई।
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पत्नी ने भी की काम की तलाश
पड़ोसियों ने ये भी बताया कि पत्नी ने भी लोगों के घरों में काम करने की कोशिश की लेकिन कोरोना वायरस का डर इतना है कि बहुत कम ही काम मिलता। कहीं से कुछ इंतजाम करने को जो भी थोड़ा बहुत लाती भी थी तो 6 लोगों के परिवार में कम पड़ ही जाता।
जेवर बेचने के लिए भी नहीं खुली थीं दुकानें
इस वजह से विजन ने पत्नी के पास जो भी थोड़े जेवर थे, उसे बेचने की भी कोशिश की थी। लेकिन लॉकडाउन की वजह से ज्वैलरी की दुकानें भी बंद हैं, जिस वजह से यह भी संभव ना हो सका। आर्थिक तंगी होने के चलते पति-पत्नी में नोकझोंक भी होने लगी। यहां तक की भूख के चलते मासूम बेटी की तबीयत भी खराब होने लगी। बताया जा रहा है कि जब विजय ने फांसी लगाई थी तो रंभा बच्चों के साथ रोटी की तलाश में ही घर से बाहर निकली थी।
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