TRENDING TAGS :
योगी सरकार को SC से लगा सुप्रीम झटका, तीन साल पुराने इस आदेश को किया रद्द
योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उद्योगपतियों को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2016 में जारी नीतिगत आदेश को कैंसिल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के तहत 6 मार्च को दिए गए आदेश को रद्द करते हुए यह निर्णय दिया है।
नई दिल्ली: योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उद्योगपतियों को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2016 में जारी नीतिगत आदेश को कैंसिल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के तहत 6 मार्च को दिए गए आदेश को रद्द करते हुए यह निर्णय दिया है।
ये भी पढ़ें...बिजली बकायेदारों की बढ़ेगी मुश्किलें, योगी सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
नए तालाब बनाने से जुड़ा है ये मामला
यह मामला प्राकृतिक तालाबों और नहरों को समाप्त कर नए तालाब बनाने से जुड़ा है। मामला कुछ यूं है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने वर्ष 2016 में प्राकृतिक तालाब और नहरों को लेकर एक नीतिगत आदेश जारी किया था।
इसके तहत निजी क्षेत्र के उद्योग को नए जगह पर तालाब और नहर बनाने की शर्त पर प्राकृति वाटर बॉडीज को नष्ट करने का अधिकार दिया गया था। ग्रेटर नोएडा के सैनी गांव निवासी और अधिवक्ता-सह-पर्यावरणविद् जितेंद्र सिंह ने अथॉरिटी के इस नीतिगत आदेश को एनजीटी में चुनौती दी थी।
एनजीटी ने इसी साल मार्च में इस पर अपना फैसला दिया था, जिसमें अथॉरिटी के फैसले को सही ठहराया गया था। जितेंद्र सिंह ने दलील दी थी कि प्राकृतिक जल संचयन क्षेत्र को नष्ट करने से संबंधित क्षेत्र में जैव विविधता के साथ ही वहां की हरियाली पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि, एनजीटी ने अथॉरिटी के हलफनामे पर भरोसा किया और उनकी अर्जी को खारिज कर दी थी। जितेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी के फैसले को चुनौती दी थी।
ये भी पढ़ें...योगी सरकार प्रदेशवासियों को देने जा रही है ये बड़ी सौगात,जानें इसके बारे में
सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र सिंह की याचिका को विचार योग्य माना
जितेंद्र सिंह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने विचार योग्य माना और अथॉरिटी के खिलाफ फैसला दिया। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने एनजीटी के फैसले को निरस्त करते हुए यूपी सरकार के इस आदेश को संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करार दिया।
पीठ ने कहा कि स्थानीय वाटर बॉडीज को नष्ट करने वाली योजना को बरकरार नहीं रखा जा सकता है, फिर चाहे इसके लिए वैकल्पिक
व्यवस्था ही क्यों न की जाए।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने निर्णय में कहा, '...हालांकि, यह संभव है कि किसी दूसरे स्थान पर तालाब या वाटर बॉडी बनाए जाएं, लेकिन इसके बावजूद पूर्व में मौजूद तालाबों के नष्ट होने से पर्यावरण के नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इससे स्थानीय पर्यावरण भी स्थायी तौर पर बदला जाएगा। ऐसे में पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई की गारंटी नहीं है।'
ये भी पढ़ें...आखिर क्यों योगी सरकार ने 7 पीपीएस अफसरों को किया बर्खास्त? यहां जानें