वैट कम करने से दस महीने में योगी सरकार को इतने करोड़ के राजस्व का हुआ नुकसान

योगी आदित्यनाथ सरकार ने दस महीने पहले वैट में कमी करके महंगे पेट्रोल और डीजल की दर में राहत वापस लेने के अपने फैसले की वजह मंगलवार को आंकड़ों के जरिए स्पष्ट की है।

Aditya Mishra
Published on: 20 Aug 2019 3:25 PM GMT
वैट कम करने से दस महीने में योगी सरकार को इतने करोड़ के राजस्व का हुआ नुकसान
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लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार ने दस महीने पहले वैट में कमी करके महंगे पेट्रोल और डीजल की दर में राहत वापस लेने के अपने फैसले की वजह मंगलवार को आंकड़ों के जरिए स्पष्ट की है।

इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में बीते वर्ष 04 अक्टूबर, 2018 को पेट्रोल की कीमत 83.35 रुपये प्रति लीटर व डीजल की कीमत 75.64 रुपये प्रति लीटर हो जाने पर वैट कर की राशि में 2.5 रुपये प्रति लीटर कमी की गयी थी।

इसी तिथि को भारत सरकार द्वारा 1.5 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी में कमी व ऑयल कम्पनियों द्वारा 1.00 रुपये प्रति लीटर की कमी करते हुए प्रदेश के उपभोक्ताओं को 5.00 रुपये प्रति लीटर की राहत 05 अक्टूबर, 2018 से प्रदान की गयी।

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वैट राशि कम करने से प्रदेश सरकार को प्रति माह औसत 250 करोड़ रुपये का राजस्व कम प्राप्त हुआ। इस कमी से अब तक 3000 करोड़ रुपये से अधिक के अर्जन में कमी आई।

वाणिज्यकर मुख्यालय लखनऊ के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार तिवारी ने मंगलवार को बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के मूल्य कम होने से पेट्रोल व डीजल के बेसिक मूल्य भी कम हो जाने से राजस्व वृद्धि के लिए भारत सरकार द्वारा 06 जुलाई को पेट्रोल व डीजल पर क्रमश 2.00 रुपये प्रति लीटर की एडीशनल एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी गई।

बीते माह जुलाई में कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा उत्तराखण्ड में वैट कर दरों को पूर्ववर्ती दरों के समकक्ष वृद्धि की गयी है।

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पूर्ववर्ती कर की दरों को किया गया प्रभावी

तिवारी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आज मंगलवार से पूर्ववर्ती कर की दरों को प्रभावी कर दिया गया है। इससे डीजल के मूल्य में मात्र 92 पैसे प्रति लीटर व पेट्रोल के मूल्य में 2.35 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है।

इस वृद्धि से लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 73.64 रुपये प्रति लीटर व डीजल की कीमत 65.26 रुपये प्रति लीटर हो गयी है जो बीते वर्ष चार अक्टूबर, 2018 के मूल्य से पेट्रोल में 9.71 रुपये प्रति लीटर व डीजल में 10.38 रुपये प्रति लीटर कम है।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के इस फैसले का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। इसी को लेकर सरकार ने तथ्यों के जरिए अपनी बात रखी है।

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Aditya Mishra

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