TRENDING TAGS :
योगी कैबिनेट ने दी रिकवरी फाॅर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को मंजूरी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट बैठक हुई। इस कैबिनेट बैठक में मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश रिकवरी फाॅर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट बैठक हुई। इस कैबिनेट बैठक में मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश रिकवरी फाॅर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद अब किसी भी आंदोलन, धरना प्रदर्शन में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाये जाने पर उसकी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था उसी संस्था या व्यक्ति से की जायेगी।
बीते दिनों संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने और कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में इस कानून के विरोध में व्यापक हिंसा हुई थी। इस हिंसक विरोध के दौरान उपद्रवियों ने जमकर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया था कि हिंसक विरोध के दौरान जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई तोड़फोड़ करने वालों से की जायेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि सभी उपद्रवियों की पहचान सीसीटीवी फुटेज से की जायेगी।
यह भी पढ़ें...कोरोना पर PM मोदी ने कही ऐसी बात, तारीफ कर रहे पूरी दुनिया के नेता
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में गत 19 दिसंबर को लखनऊ में हिंसा व आगजनी से करीब 4.55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। चार एडीएम की एकल कमेटी ने सार्वजनिक व निजी संपत्तियों के नुकसान का आंकलन कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी थी। नुकसान की भरपाई को उपद्रव, आगजनी व हंगामे में चिह्नित 150 आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया और इसके साथ ही नुकसान की भरपाई के लिए वसूली की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई।
यह भी पढ़ें...यूपी में महामारी: योगी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, सावधान रहने की दी नसीहत
इसी के तरह 20 दिसंबर को मुजफ्फरनगर में शहर क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। हिंसा में कुल 56.8 लाख रुपये की निजी व सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था। मामले में एडीएम प्रशासन अमित सिंह द्वारा शहर के 46 लोगों को चिह्नित करते हुए उन्हें नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए नोटिस जारी किए गए थे। इनमें से 35 लोगों ने निर्धारित समय सीमा के भीतर एडीएम प्रशासन के समक्ष अपना स्पष्टीकरण दाखिल कर दिया था।