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Ballia news: योगी सरकार के मंत्री नहीं गिना पाए 6 साल में हुए जिले के विकास के 5 पांच काम
Ballia news: दया शंकर मिश्र दयालु ने प्रदेश सरकार की छह साल की उपलब्धियों का जमकर बखान किया। इस दौरान पत्रकारों ने उनसे बलिया में हुए पांच विकास कार्यों का ब्यौरा मांगा, तो मंत्री इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। मंत्री का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
Ballia news: बलिया के प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने बीती 25 मार्च को बलिया कलेक्ट्रेट सभागार में योगी आदित्यनाथ की सरकार के छह साल पूरा होने पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया था। इस दौरान दया शंकर मिश्र दयालु ने प्रदेश सरकार की छह साल की उपलब्धियों का जमकर बखान किया। इस दौरान पत्रकारों ने उनसे बलिया में हुए पांच विकास कार्यों का ब्यौरा मांगा, तो मंत्री इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। मंत्री का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
जिले में हो रही खूब चर्चा
जिले के प्रभारी मंत्री जिले में विकास कार्यों का कोई ब्यौरा प्रस्तुत नहीं कर सके। प्रेस कांफ्रेंस का यह वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्य मंत्री से हुए सवाल-जवाब को लेकर जिले में जमकर चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि सरकार भले कि विकास के दावे कर रही है, लेकिन बलिया विकास से कोसों दूर है।
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— Newstrack (@newstrackmedia) April 2, 2023
जनसमस्याओं का है अंबार
स्थानीय लोग बताते हैं कि पिछले पांच साल से बलिया को बरसात के दिनों में जल जमाव से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। बावजूद इसके हालात नहीं सुधरे हैं। एनसीसी तिराहे से कुंवर सिंह चौराहा होते हुए सीएमओ आवास तक बड़े नाले का निर्माण कराया गया है। बड़ा नाला तो चालू हो गया, पर इस नाले में आसपास के इलाकों के छोटे नाले कनेक्ट नहीं किये जा सके हैं। जिससे अभी भी बरसात के दिनों में जल जमाव की समस्या बनी हुई है।
बंद है चीनी मिल
औद्योगिक शून्य जनपद में शुमार बलिया की इकलौती द किसान सहकारी चीनी मिल व कताई मिल लम्बे समय से बंद है। रसड़ा में द किसान सहकारी चीनी मिल की नींव सन 1970 के दशक में पड़ी थी। वर्ष 1975-76 में मिल का पेराई सत्र चालू हुआ था। प्रबंध तंत्र के लूटखसोट के कारण यह मिल प्रतिवर्ष करोड़ों के घाटे में चलने लगी। लगभग डेढ़ अरब से ज्यादा का घाटा होने पर शासन ने सत्र 2012-13 में पेराई सत्र को बंद कर दिया, तभी से यह बंद है। मिल बंद होते समय इसमें तकरीबन 1200 स्थायी और अस्थायी कर्मचारी कार्यरत थे। इसी तरह रसड़ा के नागपुर गांव के समीप 90 एकड़ जमीन पर कताई मिल स्थापित हुई। 10 अगस्त 1986 को इस मिल की स्थापना हुई थी। तकरीबन 1500 श्रमिक इस मिल में कार्य करते थे। मिल को मार्च 1999 में बंद कर दिया गया। दोनों मिल के बंद होने से इसमें कार्यरत श्रमिक दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
हर भाषण में जिले में मेडिकल कॉलेज का जिक्र, पर अभी तक नहीं पड़ी नींव भी
बातचीत में लोगों ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार से जनपद के आम लोगों को बहुत सारी आशा थी, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता की वजह से जनपद की ऐसी समस्याओं पर छह साल के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल सका है। गंगा नदी पर बिहार को जोड़ने वाला बना जनेश्वर मिश्र सेतु की एप्रोच रोड का निर्माण कार्य छह साल में भी पूर्ण नहीं हो सका। मऊ जिले की सरहद पर स्थित सोनाडीह में राम नवमी से मेला शुरू हुआ है लेकिन बिल्थरा रोड से सोनाडीह जाने वाले मार्ग की स्थिति इतनी खराब है कि आम लोगों को सोनाडीह में मां बागेश्वरी का दर्शन करने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के हर भाषण मे जिले में मेडिकल कालेज बनाने की बात की जाती रही है, मगर छह साल में मेडिकल कॉलेज की नींव भी नहीं रखी जा सकी है।