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योगी सरकार की संकटमोचक SIT यानि जांच ठंडे बस्ते में

कोरोना किट खरीद घोटाला उछलने पर योगी सरकार ने 10 सितंबर 2020 को एसआईटी जांच का ऐलान किया। जांच आदेश में यह भी कहा गया कि इसकी रिपोर्ट दस दिन में आ जाएगी लेकिन 30 सितंबर बीतने के बावजूद अब तक जांच का पता नहीं है।

Newstrack
Published on: 30 Sept 2020 7:03 PM IST
योगी सरकार की संकटमोचक SIT यानि जांच ठंडे बस्ते में
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योगी सरकार की संकटमोचक SIT यानि जांच ठंडे बस्ते में (social media)

लखनऊ: कोरोना किट खरीद घोटाला उछलने पर योगी सरकार ने 10 सितंबर 2020 को एसआईटी जांच का ऐलान किया। जांच आदेश में यह भी कहा गया कि इसकी रिपोर्ट दस दिन में आ जाएगी लेकिन 30 सितंबर बीतने के बावजूद अब तक जांच का पता नहीं है। इसी तरह का हाल योगी सरकार की चिन्मयानंद केस, शिक्षक भर्ती घोटाला, बुलंदशहर हिंसा और विकास दुबे-पुलिस गठजोड की जांच करने वाली एसआईटी के मामले में भी देखा गया है। एसआईटी का ऐलान करने के बाद योगी सरकार उसकी जांच रिपोर्ट हासिल करने पर तवज्जो कम ही देती है। यही वजह है कि सरकार की एसआईटी जांच अब ठंडे बस्ते वाली जांच बनती जा रही है जिससे पीड़ित को मिलने वाला इंसाफ और दूर हो जाता है।

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स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन योगी सरकार हमेशा अपने संकट काल में करती है

स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन योगी सरकार हमेशा अपने संकट काल में करती है। यह उसका ऐसा रक्षाकवच है जो विपक्ष के आरोपों की धार कुंद करने के साथ ही सरकार के राजनीतिक एजेंडे को भी पूरा करने में सहायक है। उत्तर प्रदेश में कभी सीबीसीआईडी की जांच मशहूर हुआ करती थी। कहा जाता था कि जिस मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कराना हो उसे इस संस्था को सौंप दिया जाए। पहले की सरकारें इसका प्रयोग भी करती रही हैं।

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अब योगी सरकार ने एसआईटी जांच यानी स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को सीबीसीआईडी का विकल्प बना लिया है। इससे सरकार को दोहरा फायदा हो रहा है। किसी भी जनआक्रोश वाले मामले को ठंडा करने का मौका मिल जाता है दूसरा मामले में किसी भी पक्षकार को हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जाने का अवसर समाप्त हो जाता है। किसी भी उच्च स्तरीय जांच की मांग करने पर सरकार की ओर से अदालत को बताया जाता है कि सरकार की विशेष जांच टीम मामले को देख रही है।

सांसद संजय सिंह ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए पत्र भी लिखा

कोरोना किट खरीद घोटाला भी इसी रणनीति की भेंट चढ गया। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए सीबीआई निदेशक को पत्र भी लिखा लेकिन इसी दौरान सरकार ने एसआईटी का ऐलान कर दिया। सरकार ने दस दिन में जांच रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था और बीस दिन बीतने के बावजूद जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई कार्रवाई भी नहीं की है। ऐसे में हाथरस गैंगरेप मामले की एसआईटी जांच को लेकर भी सवाल खडे हो रहे हैं। सरकार ने सात दिन में जांच पूरी करने का ऐलान किया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कहते हैं कि योगी सरकार की एसआईटी उनके इशारे पर नाचती है। इसकी जांच और रिपोर्ट दोनों ही अंतहीन है। इससे पीडित को न्याय नहीं मिलता बल्कि न्याय उससे दूर हो जाता है।

विकास दुबे-पुलिस गठजोड एसआईटी

योगी सरकार ने बिकरू कांड के बाद शातिर अपराधी विकास दुबे और पुलिस वालों के गठजोड की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया गया। इस टीम को पुलिस व प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विकास दुबे के गठजोड के तार जोडने थे लेकिन आज तक इसकी रिपोर्ट नहीं आ सकी। ऐसा ही हाल योगी सरकार की ज्यादातर एसआईटी का हुआ है। सोनभद्र कांड में गठित एसआईटी ही अपनी रिपोर्ट सरकार को दे सकी है जिसके बाद मुख्यमंत्री ने सोनभद्र के तत्कालीन जिलाधिकारी व एसपी समेत कई अधिकारियों के खिलाफ कडी कार्रवाई भी की थी। इसमें भी हालांकि जांच का निशाना कांग्रेस पार्टी के नेता बने और इसका भाजपा को राजनीतिक फायदा भी मिला।

प्रमुख मामलों में एसआईटी

गौमांस निर्यात में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों की संलिप्तता की जांच के लिए 2018 में एसआईटी गठित हुई। इसकी रिपोर्ट के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है।

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चिन्मयानंद केस में भी सरकार ने एसआईटी गठित की लेकिन बाद में मामला सीबीआई को सौंपना पड़ा।

शिक्षक भर्ती घोटाला- बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती का मामला उजागर हुआ जिसमें मान्यताप्राप्त अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों में नियम विरूद्ध भर्ती हुई। अब तक जांच रिपोर्ट का इंतजार है।

इसी तरह कानपुर के सिख दंगों, बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या व हिंसा की जांच, 2019 में जहरीली शराब से 97 मौतों के मामले की एसआईटी जांच घोषित की गई। इन सभी की जांच का कोई पता नहीं चला।

अखिलेश तिवारी

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