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केंद्र व प्रदेश सरकार को आकंड़ों के जाल में घेरेंगे युवा कांग्रेसी संगठन

कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की राज्य में सक्रियता से आक्सीजन पाई यूपी कांग्रेस अब हर मोर्चे पर केंद्र व प्रदेश सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है।

Aditya Mishra
Published on: 10 Jan 2020 3:23 PM GMT
केंद्र व प्रदेश सरकार को आकंड़ों के जाल में घेरेंगे युवा कांग्रेसी संगठन
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की राज्य में सक्रियता से आक्सीजन पाई यूपी कांग्रेस अब हर मोर्चे पर केंद्र व प्रदेश सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। इसके लिए यूपी कांग्रेस ने अपने युवा संगठनों एनएसयूआई व यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से तैयार रहने को कहा है। इसके साथ ही पार्टी इन युवा कार्यकर्ताओं की मदद के लिए अपने डाटा एनालिटिक विभाग का पुर्नगठन भी करने जा रही है।

पार्टी जल्द ही विगत 45 वर्षों में सर्वाधिक बेरोजगारी बढ़ने, भर्तियों में घोटाले, शिक्षा का व्यापारीकरण, छात्र संघों की बहाली न करना, युवाओं और बेरोजगारों के प्रति केन्द्र और यूपी की भाजपा सरकार की उदासीनता, मंहगाई, महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचार तथा अपराध आदि मुद्दों पर सड़क पर उतरकर संघर्ष करने के लिए अपने युवा संगठनों एनएसयूआई और युथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को उतारेगी।

युवा संगठनों के विरोध प्रदर्शन से पहले पार्टी का डाटा एनालिटिक विभाग इन सभी मुद्दों से संबंधित आकंड़ों को जुटायेगा और फिर इन आकंड़ों की बीती कांग्रेसी सरकारों से तुलना करेगा, इनमें से सरकार के खिलाफ जा रहे आकंड़ों के जरिए सरकार को घेरा जायेगा। इतना ही नहीं सरकार को किस तरह से घेरना है और आंदोलन की रणनीति का हुनर भी सिखाया जायेगा।

इधर, इस संबंध में शुक्रवार को कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में हुई बैठक में सभी कांग्रेसजनों को फ्रन्टल संगठनों में जुझारू एवं कर्मठ युवाओं को जोड़ने के लिए अभियान चलाने का दायित्व सौंपा गया। बैठक में युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में जोड़ने और उनकी समस्याओं को लेकर संघर्ष करने पर विचार-विमर्श किया गया।

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प्रियंका के यूपी में सक्रिय होने से कांग्रेस में आई जान

गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की यूपी में सक्रिय होने के बाद से ही यूपी कांग्रेस में फिर से जान आ गई है। प्रियंका ने जहां संगठन के पेंच कसें वहीं विभिन्न मुद्दों पर नेतृत्व करते हुए आंदोलन की पहल भी की।

प्रियंका के इन तेवरों से जहां सत्तारूढ़ भाजपा परेशान है वहीं यूपी में अच्छा आधार रखने वाले सपा और बसपा जैसे दलों के नेताओं की पेशानी पर सिलवटे पड़नी शुरू हो गई है।

दरअसल, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जानती है कि अगर यूपी में पार्टी की खोई सियासी हैसियत को फिर से हासिल करना है तो सबसे पहले उसे सशक्त विपक्ष की भूमिका निभानी होगी। प्रियंका इसी रणनीति पर आगे भी बढ़ रही है।

केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ किसी भी मुद्दे पर चाहे वह उन्नाव में रेप पीड़िता के घर जाना हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बयान देने के कारण गिरफ्तार हुए एसआर दारापुरी के घर जाने के लिए स्कूटी और पैदल यात्रा हो, प्रियंका यूपी के अन्य विपक्षी दलों से पहले सक्रिय हो जाती है और अन्य विपक्षी दल उनका अनुसरण करते है, जिससे विरोध का पूरा श्रेय प्रियंका को ही जाता है।

प्रियंका की सक्रियता से सपा और बसपा दोनों ही घबराये हुए है। बसपा प्रमुख मायावती तो ट्वीट के जरिए प्रियंका पर हमलावर हो चुकी है। हालांकि सपा मुखिया अखिलेश प्रियंका पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से बच रहे है, क्योंकि वह जानते है कि प्रियंका के खिलाफ कोई भी प्रतिक्रिया यूपी में उनके सियासी कद को और बढ़ा जायेगी।

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Aditya Mishra

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