TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

पवित्र छड़ी यात्रा का अगला पड़ाव, बागनाथ महादेव मंदिर से जागेश्वर धाम रवाना

यहां पर भगवान शिव ने ब्याघ्र बाघ के रूप में निवास करते थे। इसलिए इसे ब्याघ्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इन्ही के नाम पर बागेश्वर जनपद का नाम पड़ा।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 3 Oct 2020 7:48 PM IST
पवित्र छड़ी यात्रा का अगला पड़ाव, बागनाथ महादेव मंदिर से जागेश्वर धाम रवाना
X
पवित्र छड़ी को सरयू तथा गोमती के संगम में स्नान कराकर पौराणिक शिवमन्दिर बागनाथ ले जाया गया।

हरिद्वार: श्रीपंच दशनाम जूना आनंद अखाड़े के पवित्र प्राचीन छड़ी अपने कुमायूं प्रवास में शुक्रवार की शाम बागेश्वर पहुंची। जहां जूना अखाड़े के श्री महंत शंकर गिरि,महंत कमल भारती,तहसीलदार दीपिका,लेखपाल शारदा सिंह व स्थानीय नागरिकों ने पवित्र छड़ी की पुष्पवर्षा कर पूजा अर्चना की। पवित्र छड़ी को सरयू तथा गोमती के संगम में स्नान कराकर पौराणिक शिवमन्दिर बागनाथ ले जाया गया।

बागनाथ महादेव की पूजा

जहां वैदिक ब्राहमणों ने पूर्ण विधि विधान से छड़ी के प्रमुख महंत अन्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज व नागा सन्यासियों के जत्थे के साथ बागनाथ महादेव की पूजा अर्चना कर अभिषेक किया। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बागनाथ महादेव मन्दिर 7वीं शताब्दी से ही अस्तित्व में था। यहां पर भगवान शिव ने ब्याघ्र बाघ के रूप् में निवास करते थे। इसलिए इसे ब्याघे्रश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इन्ही के नाम पर बागेश्वर जनपद का नाम पड़ा।

यह पढ़ें....Bigg Boss 14 : इंतज़ार ख़त्म, ये कंटेस्टेंट करेंगे घर में एंट्री, देख लें पहली झलक

BAGH MANDIR सोशल मीडिया से

गणानाथ महादेव मन्दिर

पौराणिक गाथाओं के अनुसार गोमती सरयू नदी के संगम पर मार्कंडेय ऋषि ने तपस्या की थी। इस पौराणिक मन्दिर में उमा महेश्वर एकमुखी,त्रिमुखी व चर्तुमुखी शिवलिंग गणेश विष्णु सूर्य आदि की मूर्तियां है जो कि 7वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य की है। शनिवार की प्रातः प्राचीन पवित्र छड़ी ने जागेश्वर धाम के लिए प्रस्थान किया। मार्ग मंे पवित्र छड़ी ताकुला स्थित गणानाथ महादेव मन्दिर में दर्शनों के लिए पहुची। जहां अष्टकौशल महंत संध्यागिरि महंत नरेन्द्र गिरि,महंत उमेश पुरी की अगुवाई में स्थानीय ग्रामीणों ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की तथा मणानाथ महादेव का अभिषेक किया।

UK सोशल मीडिया से

पांचवी शताब्दी का मन्दिर

पौराणिक गाथाओं के अनुसार गणानाथ महादेव मन्दिर पांचवी शताब्दी का मन्दिर है। जहां सात किलोमीटर की पैदल कठिन चढाई के बाद ही पहुचा जा सकता है। सघन वनों के बीच इस मन्दिर में भगवान शिव का प्राकृतिक शिवलिंग एक गुफा में स्थित है। गुफा के ठीक उपर एक जलधारा बहकर एक वटवृक्ष पर गिरती है जिसकी जटाओं को शिव की जटाएं कहा जाता है। जटाओं से जल की बूदें शिवलिंग पर निरन्तर टपकती रहती है जो कि नीचे बने एक जलकुण्ड में एकत्रित होता है।

यह पढ़ें....यूपी में बंपर रोजगारः योगी सरकार का वादा पूरा, तीन लाख से ज्यादा दी नौकरियां

HARIDWAR सोशल मीडिया से

महिलाएं हाथ में दीपक लेकर रात्रि जागरण करती है

इस जल को बहुत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं हाथ में दीपक लेकर रात्रि जागरण करती है तो उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। प्राचीन पवित्र छड़ी गणानाथ महादेव के दर्शनों के पश्चात श्रीमहत प्रेमगिरि श्रीमहंत विशम्भर भारती,श्रीमहंत शिवदत्त गिरि,श्रीमहंत पुष्करराज गिरि,महंत महादेवानंद गिरि,महंत पारसपुरी,महंत विनय पुरी,महंत बलदेव भारती,महंत मोहनानंद गिरि,महंत ओमकार पुरी,महंत विमलागिरि,महंत रूद्रानंद सरस्वती,महंत भरवपुरी,महंत रामगिरि,महंत शिवपाल गिरि आदि के नेतृत्व में जागेश्वर धाम के लिए रवाना हुयी।



\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story