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Mahakumbh 2021: 105 साल पुराना हरिद्वार का ये इतिहास, झुकना पड़ा अंग्रेजों को
महामना मदन मोहन मालवीय इस पुरोहितों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। 1915 में हरिद्वार में जब कुंभ मेला लगा तो महामना ने यहां आए राजा महाराजाओं का सहयोग लेने के लिए डेरा जमाकर बैठ गए।
हरिद्वार: साल 2021 में महाकुंभ का आगाज हरिद्वार में होने जा रहा है। माघ पूर्णिमा पर 27 फरवरी से कुंभ मेले की शुरुआत होगी। हरिद्वार में होने वाले भव्य आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। हरिद्वार महाकुंभ में कई ऐसी बातें हुई हैं जो इतिहास के पन्ने में दर्ज हैं। साल 1915 के कुंभ मेले में कुछ ऐसा हुआ जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया। यह भारत रत्न हामना मदन मोहन मालवीय से जुड़ा हुआ है।
यह बात उस समय की जब हरिद्वार में ब्रिटिश सरकार गंगा पर बांध का निर्माण करा रही थी। इसके खिलाफ 1914 से पंडा समाज आंदोलन कर रहा था। पंडा समाज का कहना था कि बंधे जल में अस्थि प्रवाह एवं अन्य कर्मकांड शास्त्रीय दृष्टि से वर्जित हैं।
महामना मदन मोहन मालवीय इस पुरोहितों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। 1915 में हरिद्वार में जब कुंभ मेला लगा तो महामना ने यहां आए राजा महाराजाओं का सहयोग लेने के लिए डेरा जमाकर बैठ गए।
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गंगा स्नान के लिए पहुंचे थे 25 नरेश
बताया जाता है कि इस कुंभ में छोटे-बड़े 25 नरेश गंगा स्नान के लिए पहुंचे थे। महामना और पुरोहितों ने तीर्थत्व की रक्षा के लिए राजाओं को बांध विरोधी आंदोलन में शामिल करने के लिए लेने के लिए मना लिया। कुंभ के बाद बांध विरोधी आंदोलन तेज हो गया और कई रियासतों ने बांध का निर्माण रोकने के लिए अपनी सेनाओं को हरिद्वार भेज दिया। यह आंदोलन एक साल तक चला।
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इसके बाद पुरोहितों और ब्रिटिश सरकार के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ जो आज भी कायम है। अविच्छिन्न धारा छोड़ी गई और बांध अन्यत्र बना। कुंभ के दौरान छेड़े गए आंदोलन की सबसे बड़ी जीत यह थी कि अंग्रेज सरकार को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। 1915 के कुंभ में महामना मालवीय ने मेला शिविर में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की स्थापना की।
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महामना के बुलावे पर हरिद्वार आई थीं हस्तियां
इस बैठक में वीर सावरकर, हेडगेवार और भाई परमानंद जैसी हस्तियां महामना के बुलावे पर हरिद्वार आई थीं। दरअसल, हिंदू सभा की स्थापना 1908 में पंजाब में की गई थी। हरिद्वार कुंभ में उसे राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू महासभा का स्वरूप दिया गया। कालांतर में इसी महासभा से निकलकर मनीषियों ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।
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