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उत्तराखंडः धन सिंह रावत मुख्यमंत्री व धामी हो सकते हैं उपमुख्यमंत्री
धन सिंह रावत का जन्म पौड़ी गढ़वाल के एक गाँव में हुआ था और गाँव के स्कूल में उनकी शिक्षा हुई थी। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास्टर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वह उत्तराखंड में भाजपा के पार्टी सचिव रहे हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
उत्तराखंड में चुनाव से मात्र एक साल पहले हो रहे सियासी ड्रामे का पटाक्षेप मुख्यमंत्री तिवेंद्र सिंह रावत की विदाई के रूप में होता दिख रहा है लेकिन इसी के साथ इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। सूत्रों के मुताबिक भाजपा आलाकमान अगले मुख्यमंत्री के रूप में तमाम नामों पर गौर कर रहा है जिसमें धन सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के नाम आ रहे हैं।
धन सिंह रावत का नाम चर्चा में
हालांकि स्वयं धन सिंह रावत ने मीडिया में उछाले जा रहे उनके नाम और चल रही बातों से पहले अनभिज्ञता जाहिर की थी लेकिन ताजा खबरों में यह कहा गया है कि वह देहरादून पहुंच गए हैं और मुख्यमंत्री तिवेंद्र सिंह रावत से मिलने गए हैं। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि इस बार के फेरबदल में एक उपमुख्यमंत्री भी बनाया जाएगा और इस पद के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम की चर्चा है।
7 अक्टूबर 1972 को जन्मे धन सिंह रावत एक साफ सुथरी छवि के नेता हैं। वह उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य के रूप में श्रीनगर गढ़वाल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उच्च शिक्षा के लिए जिम्मेदारी के साथ, सहकारी समितियाँ, डेयरी विकास और प्रोटोकॉल विभागों को देखा है।
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उत्तराखंड में भाजपा के पार्टी सचिव रहे हैं धन सिंह रावत
धन सिंह रावत का जन्म पौड़ी गढ़वाल के एक गाँव में हुआ था और गाँव के स्कूल में उनकी शिक्षा हुई थी। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास्टर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वह उत्तराखंड में भाजपा के पार्टी सचिव रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री पद के लिए पुष्कर सिंह धामी
पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिथौरागढ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडी हाट में उनका जन्म हुआ। सैनिक पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति उनकी पहचान है। सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। तीन बहनों के पश्चात अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारिया हमेशा बनी रहीं। उन्होंने स्नातकोत्तर किया है।
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धामी 1990 से 1999 तक विद्यार्थी परिषद में रहे। दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये। इनके प्रयासों से ही तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता हासिल की। 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहे।
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