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पति की संपत्ति में महिलाओं को बराबरी का अधिकार, जानिए जरूरी बातें
सरकार के फैसले से क़रीब 35 लाख महिलाओं को फ़ायदा मिलेगा। नए अध्यादेश का मक़सद महिलाओं को आर्थिक तौर पर स्वतंत्र बनाना है। उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि पैतृक संपत्ति जब बेटे के पास आएगी, तो बहू सह-खातेदार हो जाएगी।
नीलमणि लाल
देहरादून: उत्तराखंड में अब महिलाएं भी पति की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार होंगी। प्रदेश के राजस्व रिकॉर्ड में पति की पैतृक संपत्ति में भी महिला का नाम दर्ज होगा। इसके साथ ही तलाकशुदा और संतानहीन बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार दिया गया है। महिलाओं को न सिर्फ भूमि का मालिकाना हक दिया गया है बल्कि उन्हें भूमि पर लोन लेने के साथ ही उसे बेचने का अधिकार भी होगा।
जरूरत पड़ने पर महिलाओं को आसानी से लोन भी मिल सकेगा, हालांकि ये अधिकार पैतृक संपत्ति पर ही होगा। उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड ज़मींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन करते हुए महिलाओं को कृषि भूमि में बराबरी का हक़ देने संबंधी अध्यादेश जारी किया है।
इस फैसले से महिलाओं को अब स्वरोजगार और विभिन्न स्वावलंबन योजनाओं के लिए बैंकों से ऋण उपलब्ध हो सकेगा। अभी तक पति के द्वारा खरीदी गई संपत्ति पर ही पत्नी का हक होता था जबकि पैतृक संपत्ति पर पति का ही अधिकार होता था। पति की मौत के बाद ही पत्नी का अधिकार पति के द्वारा अर्जित की हुई संपत्ति पर होता है। जब स्त्री पति से तलाक ले लेती है तो ये अधिकार भी खत्म हो जाता है। अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में पत्नी को मिला अधिकार जीवित पति को होता है।
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35 लाख महिलाओं को मिलेगा फायदा
सरकार के फैसले से क़रीब 35 लाख महिलाओं को फ़ायदा मिलेगा। नए अध्यादेश का मक़सद महिलाओं को आर्थिक तौर पर स्वतंत्र बनाना है। उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि पैतृक संपत्ति जब बेटे के पास आएगी, तो बहू सह-खातेदार हो जाएगी। उसके बाद के कायदे क़ानून वही हैं कि संपत्ति फिर बच्चों को मिलेगी। इससे महिलाओं को सम्मान मिलेगा और काम करने के लिए आर्थिक स्वतंत्रता भी मिलेगी।
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क्या है स्थिति
हिमाचल प्रदेश और केरल में पहले से इस तरह के क़ानून मौजूद हैं। हिमाचल प्रदेश में महिला की मृत्यु पर उसकी संपत्ति बेटियों को ही मिलती है। कृषि जनगणना 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में 12.575 करोड़ पुरुषों के पास कृषि भूमि का मालिकाना है। जबकि 2.044 करोड़ महिलाओं के पास कृषि भूमि का मालिकाना हक़ है। इसमें सबसे अव्वल आंध्र प्रदेश (12.6 फीसदी) है। इसके बाद महाराष्ट्र (11.6 फीसदी), बिहार (11.2 फीसदी), उत्तर प्रदेश (8.9 फीसदी), कर्नाटक (8.5 फीसदी) और केरल (8.5 फीसदी) आते हैं।
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