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खाड़ी में कोरोना के 100 दिन

खाड़ी के प्रत्येक देश के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कहीं और से आने वालों की अपेक्षा ज़्यादातर कोरोना संक्रमित लोग ईरान से लौटे। कुवैत और बहरीन में ज़्यादातर ईरान के यात्रियों के संग वायरस पहुंचा। इन दोनों देशों में पहले 100 मामलों में से 80 प्रतिशत संक्रमण केस ईरान से आए लोगों के थे।

राम केवी
Published on: 14 April 2020 10:56 AM GMT
खाड़ी में कोरोना के 100 दिन
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नई दिल्ली। पिछले 100 दिनों में कोरोना वायरस चीन से निकाल कर पूरी दुनिया में कहर बरपाए हुये है। शुरुआत में तो खाड़ी के देश इस वायरस से बचे हुये थे लेकिन जल्द ही सब इसकी चपेट में आ गए और खाड़ी से भारत लौटने वालों में से बहुत लोग ये वायरस भारत ले आए। खाड़ी देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के जरिये खड़ी में कोरोना वायरस के पहले मरीज का पता लगा है और आगे की कहानी भी साफ हुई है।

महीने भर में वुहान से खाड़ी में

कोरोना वायरस दिसंबर के आखिर में चीनी के वुहान में खोजा गया और इसके एक महीने के भीतर यह यूएई तक पहुंच गया। चीनी नव वर्ष की छुट्टी के दौरान एक परिवार वुहान से संयुक्त अरब अमीरात आया था। बीमार पड़ने पर इनकी जांच हुई और इस परिवार के चार सदस्य कोरोना पॉज़िटिव पाये गए। 29 जनवरी को अमीरात के स्वास्थ्य और रोकथाम मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की। ये खाड़ी का पहला केस था।

ईरान से आया वायरस

खाड़ी के प्रत्येक देश के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कहीं और से आने वालों की अपेक्षा ज़्यादातर कोरोना संक्रमित लोग ईरान से लौटे। कुवैत और बहरीन में ज़्यादातर ईरान के यात्रियों के संग वायरस पहुंचा। इन दोनों देशों में पहले 100 मामलों में से 80 प्रतिशत संक्रमण केस ईरान से आए लोगों के थे।

कुवैत और बहरीन

कुवैत में संक्रमित यात्रियों की पहली खेप ईरान के मशहद और क़ोम से आई थी। 24 फरवरी को कुवैती अधिकारियों इन लोगों में वायरस की पहचान की गई। इसके बावजूद ईरान से यात्री कुवैत आते रहे। दो हफ्ते बाद सरकार ने कहा कि वायरस चार ऐसे लोगों में फैला है जिन्होंने हाल ही में ईरान की यात्रा नहीं की थी। इससे पता चला कि अब वायरस सिर्फ बाहर से ही नहीं आ रहा बल्कि देश के भीतर एक-दूसरे से फैल रहा है। बहरीन का भी यही हाल था। वहाँ कोरोना वायरस के पहले 100 मामलों में से 76 मामले ईरानी यात्रियों और तीर्थयात्रियों के थे।

कठघरे में ईरान

ईरान पर आरोप हैं कि न केवल वह वायरस को पहचानने और इसका फैलाव रोकने में नाकाम रहा बल्कि उसने खाड़ी देशों यानी जीसीसी (गल्फ कौपरेशन काउंसिल) के यात्रियों के पासपोर्ट पर अपने देश की मुहर भी नहीं लगाई। इससे हवाईअड्डों के अधिकारियों को पता ही नहीं लग पाया कि कौन यात्री ऐसे देश से आ रहा है जहां कोरोना का प्रकोप है।

बहरीन ने किए बेहतर उपाय

खड़ी देशों में बहरीन से वायरस को रोकने के लिए कई उपाय किए। जिसका नतीजा रहा कि यहाँ वायरस का कम्यूनिटी स्प्रेड नहीं हो पाया। यहाँ कुल मामलों में से 68 फीसदी ईरान से लौटे लोगों के थे। जबकि पहले 100 मामलों में लोकल संक्रमण मात्र 6 लोगों में रहा। दूसरी ओर कतर में पहले 100 मामलों में लोकल संक्रमण काफी ज्यादा फैला। क़तर में 8 मार्च को तीन लोग कोरोना पॉज़िटिव पाये गए लेकिन तीन दिन बाद सरकार ने घोषणा की कि इन लोगों से 238 अन्य में संक्रमण फैल गया है।

सऊदी अरब

सऊदी अरब में पाये गए पहले मामलों में भी ईरान से लौटने वाले यात्री थे। एक यात्री इराक से था। देश के पहले 11 मामलों में अधिकांश पूर्वी कातिफ प्रांत में थे जो शिया बहुल इलाका है। वायरस को देश के बाकी हिस्सों तक पहुंचने से रोकने के लिए 8 मार्च को सरकार द्वारा इस शिया जिले को बंद कर दिया गया लेकिन तब तक यह वायरस जेद्दा में फैल गया था।

थर्मल कैमरों से पता चला कि न्यूयॉर्क से काहिरा जा रहे मिस्र के एक व्यक्ति को तेज बुखार था। उसे सऊदी अरब के अस्पताल में भर्ती किया गया जहां कोरोना की पुष्टि हुई। तब तक ये व्यक्ति 32 लोगों में वायरस फैला चुका थी। ये सब मक्का में क्वारांटाइन थे।

ओमान में पहले 100 मामलों में से 20 ईरान से आए यात्रियों में थे। तीन हफ्ते बाद इन लोगों से अन्य लोगों में वायरस फैल गया। इसी तरह के संपर्क प्रसारण हर खाड़ी देश में पाए जा सकते हैं।

जीसीसी में मामलों में वृद्धि जारी है, लेकिन अब मामलों का जल्दी पता लगाने और रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं।

राम केवी

राम केवी

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