×

अफ्रीकी देश में मिला कोरोना से अधिक खतरनाक वायरस, WHO ने की पुष्टी

पश्चिम अफ्रीका के देश गिनी में मारबर्ग वायरस का पहला केस दर्ज किया गया। इस वायरस की मृत्यू दर 88 फिसदी है।

Ashish Lata
Report Ashish LataPublished By Deepak Raj
Published on: 10 Aug 2021 9:30 AM GMT (Updated on: 10 Aug 2021 9:33 AM GMT)
Symbolic picture taken from social media
X

प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)

कोरोना महामारी से अभी पूरा विश्व उबर भी नहीं पाया कि एक और बीमारी ने दस्तक दे दी। मारबर्ग वायरस (Marburg virus) का अभी पश्चिम अफ्रीका के देश गिनी में पाइ गई है। इस बीमारी से मृत्यू की दर 88 फीसदी है। ये बीमारी चमगादड़ के द्वारा मानव शरीर में फैलता है। ये मुख्ययतः खाद्यान्नों में पाया जाता है। इससे संक्रमित व्यक्ति को सरदर्द, उल्टी में खून आना व मांसपेशियों में दर्द होना बताया गया है। इस बीमारी ने लोगों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। इस बीमारी के बारे में डब्लयूएचओ ने पुष्टि की है।


प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स-सोशल मीडिया)


आपको बता दें की कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप कम हुआ नहीं कि एक और नए वायरस ने दस्तक दे दी है। जहां पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में घातक मारबर्ग वायरस का पहला मामला सामने आया है। जिसने लोगों में एक बार फिर से दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। डब्लूएचओ ने इसकी पुष्टि की है।

चमगादरों में पाया जाता है मारबर्ग

मारबर्ग वायरस (Marburg virus) चमगादड़ों में पाया जाता है। इसकी मृत्यु दर 88 फीसदी है। WHO ने बताया कि वायरस सैंपल 2 अगस्त को जान गंवाने वाले मरीज से लिया गया था। इस वायरस को इबोला और कोरोना से ज्यादा खतरनाक माना जाता है। यह वायरस जानवरों से मनुष्य में फैल रहा है।

कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस

फाइल फोटो (सोर्स-सोशल मीडिया)


मारबर्ग वायरस ऐसी गुफाओं या माइन में जाने से होता है, जहां Rousettus चमगादड़ रहते हैं। मानव शरीर में पहुंचने के बाद ये संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ, संक्रमित सतह या चीजों के संपर्क में आने से फैलता है। 1967 से अब तक इस वायरस के 12 बड़े आउटब्रेक हो चुके हैं और ज्यादातर दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में हुए थे।

मारबर्ग वायरस के लक्षणों में

1 सिरदर्द

2 उलटी में खून आना

3 मांसपेशियों में दर्द और कई जगहों से खून आना शामिल हैं।

कैसे बचें

मारबर्ग को काबू में लाने लिए अब तक कोई दवा या फिर वैक्सीन तो नहीं बनी है, लेकिन मरीज के फ्लूइड और इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण में रखना, सामान्य ऑक्सीजन स्टेटस और ब्लड प्रेशर बनाए रखना और ब्लड लेवल ठीक रखना काम आ सकता है। बता दें कि कई मरीजों में सात दिनों के अंदर गंभीर रक्तस्रावी लक्षण देखे जाते हैं। केस मृत्यु दर पिछले आउटब्रेक के मुताबिक 24-88 फीसदी तक है। ये वायरस के स्ट्रेन और केस मैनेजमेंट पर निर्भर करता है।

Deepak Raj

Deepak Raj

Next Story