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Abu Dhabi Attack: मानव रहित ड्रोन बहुत खतरनाक, जानें इसकी मारक क्षमता

Abu Dhabi Attack: मानव रहित ड्रोन द्वारा अबु धाबी में हमला के बाद लड़ाकू ड्रोन एक बार फिर चर्चा में है इसका अविष्कार सर्वप्रथम एक रेडियो उपकरणों के आविष्कारक ली डी फ़ॉरेस्ट और एक टीवी इंजीनियर यू.ए. सनाब्रिया द्वारा किया गया था।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Shashi kant gautam
Published on: 17 Jan 2022 6:51 PM IST
Abu Dhabi Attack: मानव रहित ड्रोन बहुत खतरनाक, जानें इसकी मारक क्षमता
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Abu Dhabi Attack: मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन, जिसे आम भाषा में लड़ाकू ड्रोन (combat drone) के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर इसका उपयोग खुफिया एजेंसियों, निगरानी संगठनों (monitoring organizations) आदि द्वारा किया जाता है, जो कि युद्धों और देश की रक्षा आदि में उपयोग करता है। इन ड्रोनों में हमलों के लिए मिसाइलों, एटीजीएम और बमों का प्रयोग किया जाता है। ये ड्रोन आमतौर पर वास्तविक समय में पूर्ण रूप से मानव नियंत्रण होते हैं। इस तरह से मानव रहित विमानों यानी ड्रोन का उपयोग हमलों और युद्धक्षेत्र में नज़र रखने के लिए किया जाता है।

आपको बता दें कि इस प्रकार के विमानों में कोई मानव पायलट नहीं होता है। इसे एक ऑपरेटिंग रूम में बैठे एक व्यक्ति द्वारा ऑपरेटर रिमोट टर्मिनल से संचालित किया जाता है। मानव पायलट ना होने के चलते आमतौर पर ड्रोन कम वजन और छोटे आकार के होते हैं।

ड्रोन का इतिहास और उत्पत्ति (The History and Origin of Drones)

लड़ाकू ड्रोन का अविष्कार (Invention of Combat Drone) सर्वप्रथम एक रेडियो उपकरणों के आविष्कारक ली डी फ़ॉरेस्ट और एक टीवी इंजीनियर यू.ए. सनाब्रिया द्वारा किया गया था, जिसे 1940 की एक मैगज़ीन पॉपुलर मैकेनिक्स में प्रकशित किया गया है।

ड्रोन का इतिहास और उत्पत्ति: Photo - Social Media


1973 के योम किप्पुर युद्ध में इसराइल ने लड़ाकू ड्रोन का इस्तेमाल मिस्र की विमान-रोधी मिसाइलों को निशाना बनाने के लिए किया था। इस मिशन में ड्रोन की मदद के चलते इजराइल के किसी भी सैनिक को एक भी चोटें नहीं आई थीं। इसी के मद्देनज़र इसराइल ने वास्तविक समय की निगरानी, ​​युद्ध और अन्य के कारणों के चलते ड्रोन के उपयोग की शुरुआत की थी।

1980 के दशक के अंत में ईरान ने इराक से छिड़े एक युद्ध के मद्देनज़र छह आरपीजी-7 राउंड से लैस एक लड़ाकू ड्रोन तैनात किया था, जो कि पूर्ण रूप मानव रहित था। इजराइल द्वारा ड्रोन की मदद से प्राप्त सफलता के मद्देनज़र अमेरिका ने भी लड़ाकू ड्रोनों के उपयोग की शुरुआत कर दी, जिसके पश्चात युद्ध की आशंका के दौरान हर समय हर क्षेत्र पर कम से कम एक ड्रोन तैनात किया गया था। ड्रोन कि वैश्विक सफलता के मद्देनज़र कई देशों की सेनाओं ने लड़ाकू ड्रोन के घरेलू विकास के मद्देनज़र इसके निर्माण को लेकर व्यापक रूप से निवेश किया।

बीते कुछ वर्षों में अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के हिस्से के रूप में विदेशों और अन्य जगहों पर ड्रोन द्वारा किये गए हमलों के उपयोग में वृद्धि की है। अनुमानित तौर पर जनवरी 2014 से बीते पांच वर्षों में अमेरिकी ड्रोन हमलों से करीब 2,400 लोग मारे गए हैं। वहीं जून 2015 में अमिरिकी ड्रोन हमलों में करीब 6000 लोग मारे गए हैं।

कॉम्बैट मिलिट्री ड्रोन: Photo - Social Media

अबु धाबी में ड्रोन से हमले की खबर (Drone attack in Abu Dhabi)

सोमवार 17 जनवरी 2022 को प्राप्त सूचना के आधार पर एक ड्रोन ने अबू धाबी में तीन तेल टैंकरों में विस्फोट (explosion in three oil tankers) किया है। हालांकि हमले के कुछ देर बाद ही यमन के हूती आंदोलन के विद्रोहियों ने सोमवार को हुए इस हमले की ज़िम्मेदारी ले ली है। आपको बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात 2015 की शुरुआत से यमन में युद्ध कर रहा है।

सबसे बेहतर ड्रोन की मारक क्षमता

वर्तमान में सबसे विकसित लड़ाकू ड्रोनों में से एक है नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन X-47B (कॉम्बैट मिलिट्री ड्रोन)। इस ड्रोन की मारक क्षमता लगभग 2100 मीटर की है तथा इसी के साथ ही यह 40,000 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक उड़ सकता है।



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Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

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