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Afganistan Crisis: यूएन की आतंकी सूची में है मुल्ला अखुंद का नाम

Afganistan Crisis: मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद रहबारी शूरा (लीडरशिप काउंसिल) के मुखिया हैं...

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 7 Sep 2021 6:08 PM GMT (Updated on: 8 Sep 2021 1:40 AM GMT)
Taliban leader Mullah Hibatullah Akhundzada
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यूएन की आतंकी सूची में है मुल्ला अखुंद का नाम (social media)

Afganistan Crisis: अफगानिस्तान की नई सरकार के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद कोई अनजाना नाम नहीं है। अखुंद फिलहाल रहबारी शूरा (लीडरशिप काउंसिल) के मुखिया हैं जो तालिबान की सबसे शक्तिशाली निर्णय लेने वाली संस्था है। तालिबान के पिछले शासन के दौरान भी अखुंद प्रधानमंत्री रहे थे। अखुंद को एक कट्टर धार्मिक शख्सियत माना जाता है। मुल्ला हसन तालिबान के पहले सुप्रीम लीडर मुल्ला उमर के ख़ास सहयोगी और तालिबान का सह-संस्थापकों में से एक है। बामियान में बुद्ध की मूर्तियां तोड़ने वालों में भी वह शामिल रहा है। तालिबान के वर्तमान सुप्रीम नेता मुल्ला हेब्तुल्लाह अखुंदजादा का ख़ास विश्वसनीय है। अखुंद का नाम संयुक्त राष्ट्र की आतंकी की सूची में शुमार है। दोहा शांति समझौते के दौरान अमेरिका ने कहा था कि वह अखुंद का नाम आतंकी सूची से हटवा देगा लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। अखुंदजादा के अनुसार मुल्ला अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में बीस साल तक काम किया और खुद के लिए बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की। अखुंद का कोई सैन्य अनुभव नहीं है। वह एक धार्मिक नेता है। तालिबान के भीतर उसकी साख अपने चरित्र, धार्मिकता और भक्ति के चलते है। अखुंद की पोजीशन की मजबूती इसलिए भी है कि वह तालिबान में मूल 30 संस्थापक सहयोगियों में शुमार है।

पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ा है मुल्ला हेब्तुल्लाह अखुंदजादा

अखुंद पाकिस्तान के विभिन्न मदरसों में पढ़ा है। उसे कभी भी समूह में एक नेता के रूप में नहीं माना गया। वास्तव में, हसन अखुंद को तालिबान के सबसे अप्रभावी नेताओं में से एक माना जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, उसे तालिबान के पिछले शासन में एक संक्षिप्त अवधि के लिए पोजीशन दी गयी थी। आने वाले दिनों की आहट अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार में जिन लोगों को टॉप पोजीशनें दी गईं हैं उनसे आने वाले दिनों का संकेत मिलता है। सबसे महत्वपूर्ण बात हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया जाना है। इसका मतलब यह है कि अब अफगानिस्तान में तालिबान का वही पुराना अंदाज दिखाई देगा। हक्कानी नेटवर्क अपने निर्दयी और कट्टर रुख के लिए कुख्यात है। इससे उदार या नरमपंथी शासन की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

आतंकियों को ट्रेनिंग देने का आरोप भी पाकिस्तान की सेना पर है

तालिबान के प्रमुख मुजाबिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान के शीर्ष नेताओं में से एक है। यह हक्कानी नेटवर्क को भी संचालित करता है, जो तालिबान का सहयोगी संगठन है। यह संगठन पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है। हक्कानी नेटवर्क को भी तालिबान की तरह ही पाकिस्तान से समर्थन प्राप्त है। इतना ही नहीं, हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों को ट्रेनिंग देने का आरोप भी पाकिस्तान की सेना पर है। सिराजुद्दीन हक्कानी कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इसके ऊपर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर यानि करीब 70 करोड़ रुपये का इनाम रखा गया है। सिराजुद्दीन हक्कानी को पीछे से पाकिस्तान का पूरा समर्थन हासिल है। बताया जाता है कि आईएसआई हक्कानी ग्रुप का इस्तेमाल अपने हित साधने के लिए करता है।

Ragini Sinha

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