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Afganistan Update: अफगानिस्तान से CIA ने चुपचाप निकाल लिए अपने जासूस

Afganistan Update: एक जानकारी में पता चला है कि तालिबान के पूर्ण कंट्रोल के पहले ही CIA ने अपने अधिकांश जासूसों और मुखबिरों को अफगानिस्तान से निकाल लिया था।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 13 Sept 2021 4:17 PM IST (Updated on: 13 Sept 2021 4:33 PM IST)
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अफगानिस्तान से CIA ने चुपचाप निकाल लिए अपने जासूस

Afganistan Update: अफगानिस्तान में तालिबान की नाक के नीचे से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपने जासूसों को बाहर सुरक्षित निकाल लिया है। दरअसल, अफगानिस्तान में 20 साल की मौजूदगी के दौरान अमेरिकी सेना और खुफिया एजेंसियों ने हजारों जासूसों और मुखबिरों का तंत्र बनाया था। तालिबान के आने के बाद यह तय था कि तालिबान इनको ढूंढ ढूंढ कर सजा देगा। 100 अमेरिकी एजेंसियों ने अपने मददगारों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ये सीक्रेट ऑपरेशन तालिबान के नियंत्रण के बाद भी जारी हैं। एक जानकारी में पता चला है कि तालिबान के पूर्ण कंट्रोल के पहले ही CIA ने अपने अधिकांश जासूसों और मुखबिरों को अफगानिस्तान से निकाल लिया था। बताया जाता है कि सीआईए के स्पेशल एक्टिविटी सेंटर ने अपने मददगारों को निकालने का काम किया। सीआईए का यह विंग गोपनीय गतिविधियों में संलग्न रहता है। इसमें अमेरिका के स्पेशल अर्धसैन्य बल जुड़े हुए हैं।

CIA ने अफगानिस्तान में गुप्त अभियान चलाया

'फॉरेंन पालिसी' मीडिया के अनुसार सीआईए ने पूरे अफगानिस्तान में गुप्त अभियान चलाये हैं । अपने लगभग सभी लोगों को बाहर निकल लेने में सफलता पाई है। बहुत से लोगों को तो पता भी नहीं चला कि जो 'दोस्त' या 'जान पहचान' वाले उनकी मदद कर रहे हैं वो सीआईए के एजेंट्स हैं। सीआईए के इस अभियान से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि सीआईए बिना किसी की नजर में आये हुए दुनिया भर में कहीं भी लोगों को इधर से उधर ले जा सकती है।

1979 में जब अमेरिकी दूतावास कर्मचारियों को निकाला गया

बता दें कि सीआईए का एक विख्यात ऑपरेशन ईरान में हुआ था, जब 1979 में उन्मादी भीड़ अमेरिकी दूतावास में घुस आई थी। उस समय दर्जनों कर्मचारियों को बंधक बना लिया था। इसके बाद सीआईए ने ईरान में कनाडियन राजनयिकों के घरों में छिपे 6 अमेरिकी दूतावास कर्मचारियों को सफलतापूर्वक देश से निकाल लिया था। इस ऑपरेशन में अमेरिकी कर्मचारियों को एक कनाडियन फिल्म कंपनी के लोगों की तरह दिखाया गया। ये सभी कई दिन तक फिल्म कंपनी की टीम की तरह एक्टिंग भी करते रहे थे। इन लोगों को फिल्म शूटिंग के उपकरण तक उपलब्ध कराये गए थे। किसी को ज़रा भी शक नहीं हुआ कि वे फिल्म बनाने वाले लोग नहीं हैं। अपने लोगों को सुरक्षित निकालने के साथ साथ सीआईए ने संदिग्ध आतंकवादियों को भी जगह जगह पकड़ा यानी अगवा किया है। चुपचाप किसी मित्र देश में ट्रान्सफर किया है। 9/11 की घटना के बाद ऐसे कई ऑपरेशन अंजाम दिए गए जिसमें संदिग्ध आतंकवादी पकड़ कर विभिन्न देशों में स्थित सीआईए के गुप्त ठिकानों में पहुंचाए गए जहाँ तरह तरह की सख्त तकनीक के जरिये उनसे पूछताछ की गयी।

लंबे समय से चल रहा यह ऑपरेशन

सीआईए पूरी दुनिया में यह काम लम्बे समय से करती चली आ रही है। उन क्षेत्रों में भी सीआईए एजेंट्स ऑपरेशन करते हैं , जहाँ विदेशी लोगों के जाने पर प्रतिबन्ध हैं। बताया जाता है कि सीआईए इस तरह के हजारों ऑपरेशन कर चुका है । इसके लिए खुफिया एजेंट्स दुश्मनों के बीच घुसपैठ भी बनाते हैं। सीआईए के मददगार लोगों और पाला बदलने वाले दूसरे देशों के जासूसों को अमेरिका में बसाने का काम नेशनल रिसेटलमेंट ऑपरेशन सेंटर करता है। यह भी सीआईए का ही हिस्सा है। अफगानिस्तान में जो कुछ जासूस और मुखबिर रह गए हैं । उनको बाहर ला कर अमेरिका में बसाया जाएगा या नहीं, अभी यह स्पष्ट नहीं है। यह भी संभावना है कि उनको वहीं रखा जाए ताकि सीआईए को गुप्त सूचनाएँ आगे भी मिलती रहें। इस तरह के जासूसों में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो अमेरिकी एजेंसियों को छिटपुट सूचनाएँ उपलब्ध कराते थे।

बाहर निकलनेवालों को संख्या 600 से ज्यादा

बताया जाता है कि सीआईए के साथ काम करने वाले कुछ अफगानी लोग अमेरिका के पूर्व सैनिकों और पूर्व ख़ुफ़िया कर्मचारियों द्वारा निजी तौर पर चलाये गए ऑपरेशन में अफगानिस्तान से बाहर निकाल गए हैं। ऐसे लोगों की संख्या 600 से ज्यादा है। बताया जाता है कि सीआईए ने काबुल में स्थापित अपने गुप्त ठिकाने 'ईगल बेस' को नष्ट कर दिया है ताकि तालिबान के हाथ में कोई जानकारी न आने पाए। यह भी बताया जाता है कि सीआईए के कुछ गुप्त ठिकाने अब भी अफगानिस्तान में मौजूद हैं जिनको लोकल मददगार ऑपरेट कर रहे हैं।



Ragini Sinha

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