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Afghanistan Blast: काबुल में धमाकों का सिलसिला जारी, एकबार फिर थर्रायी अफगानिस्तान की राजधानी
Afghanistan Blast: तालिबान शासित अफगानिस्तान में धमाकों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक कई बड़े बम विस्फोट तालिबान के शासन वाले अफगान कैपिटल में हो चुके हैं।
Kabul News: चरमपंथी संगठन तालिबान शासित अफगानिस्तान में धमाकों (Afghanistan Blast) का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुल्क में लगातार एक के बाद एक धमाके होते जा रहे हैं। राजधानी काबुल खुद इन हमलों के जद में (Blasts in Kabul) है। अभी तक कई बड़े बम विस्फोट तालिबान के शासन वाले अफगान कैपिटल में हो चुके हैं। दहशतगर्दों के निशाने पर काबुल के शिक्षण संस्थान और अस्पताल हैं। इसके अलावा ये खासतौर पर देश में अल्पसंख्यक माने जाने वाले शिया हजारा समुदाय को निशाना बना रहे हैं। उनके मस्जिदों में सुसाइड हमले (suicide attacks in mosques) किए जा रहे हैं।
काबुल के एक एजुकेशन इंस्टीट्यूट में पिछले दिनों हुए धमाके से अफगानिस्तान उबरा भी नहीं था कि एक और ब्लास्ट से राजधानी काबुल थर्रा उठा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल में एक और जोरदार ब्लास्ट हुआ है। हालांकि, धमाके के बारे में विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है। इसलिए धमाके की जगह और इसमें होने वाले नुकसान के बारे में फिलहाल कुछ भी कहना संभव नहीं है।
दरअसल, नाटो के दौर में कभी अफगानिस्तान सरकार को घुटने पर लाने के लिए फिदायीन हमलों का सहारा लेने वाला तालिबान जब खुद काबुल के तख्त पर बैठा तो उसे ऐसी ही हमलों के जरिए चुनौती मिल रही है। अब तक के सुसाइड हमलों में कई बड़े तालिबान लीडर और मौलवी मारे जा चुके हैं। लगातार हो रहे बम हमलों से अपनी भद्द पिटती देख तालिबान ने मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी है। इसलिए खबरें देर से और टूकड़ों में अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंच रही है।
महिलाओं को बनाया जा रहा निशाना
पिछले शुक्रवार को पश्चिमी काबुल के शाहीन मजारी रोड पर स्थित एक स्कूल को निशाना बनाते हुए आत्मघाती हमला किया गया था। इस हमले में 53 लोगों की मौत और 110 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। मरने वालों में सबसे अधिक 46 लड़कियां और युवा महिला टीचर शामिल है। जिस स्कूल को निशाना बनाया गया, उसमें शिया और हजारा समुदाय की लड़कियां पढ़ती हैं। अफगानिस्तान में लगातार हो रहे ऐसे हमलों के पीछे सुन्नी चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासान ग्रुप (आईएसकेपी) को बताया जा रहा है।
आईएसकेपी और तालिबान के बीच मुल्क में शह और मात का खेल काफी समय से चल रहा है। दोनों एक दूसरे के नेताओं को निशाने बनाते रहे हैं। आईएसकेपी ने पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा सत्ता संभालते ही देशभर में फिदायीन हमले तेज कर दिए थे, जो अब तक जारी है।
उधर, स्कूल जानी वाली लड़कियों को निशाना बनाए जाने से अफगानिस्तान की महिलाओं में जबरदस्त गुस्सा है। सोमवार को आत्मघाती हमले के विरोध में देश के पश्चिमी शहर हेरात में महिलाओं ने रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान तालिबान के लड़ाकों ने उनके साथ बर्बरता की। रैली निकालने वाली लड़कियों को पीटा गया और उन्हें भगाने के लिए हवाई फायरिंग किए गए।