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Afghanistan Blast: नहीं रूकेगा मौतों का सिलसिला, अफगानिस्तान धमाके में फिर दर्जनों लोगों उड़े चीथड़े

Blast In Afghanistan: शुक्रवार को जुमे की नमाज पर बम धमाका होने से तालिबान के सबसे बड़े धर्मगुरूओं में से एक मुल्ला मुजीबउर रहमान अंसारी समेत 10 से अधिक लोग मारे गए।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Sept 2022 6:41 PM IST
Blast In Afghanistan
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Blast In Afghanistan। (Social Media)

Blast In Afghanistan: अफगानिस्तान में बम धमाकों का सिलसिला जारी है। पिछले साल यानी 15 अगस्त 2021 से पहले इसी तरह के धमाकों के जरिए अफगान सरकार (Afghan Government) और विदेशी सेनाओं को निशाना बनाने वाला तालिबान आज खुद इन हमलों का शिकार हो रहा है। देश के अलग – अलग हिस्सों में हो रहे फिदायीन हमले में तालिबान के प्रमुख नेता मारे जा रहे हैं। शुक्रवार को एक ऐसी ही हमले में तालिबान के सबसे बड़े धर्मगुरूओं में से एक मुल्ला मुजीबउर रहमान अंसारीसमेत 10 से अधिक लोग मारे गए।

ये हमला उस समय हुआ जब मुल्ला मुजीब शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने मस्जिद आया था। हमले के पीछे अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट खुरासान ग्रुप को जिम्मेदार माना जा रहा है। हालांकि, अब तक संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है और न ही तालिबान की तरफ से ऐसी कोई पुष्टि हुई है। लेकिन पिछली घटनाओं को देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

दो फिदायीन हमले हुए

फिदायीन (सुसाइड) हमले में माहिर माने जाने वाले तालिबान के नेता अब खुद इसी हमले का शिकार हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार को हेरात प्रांत के गाजाघर शहर स्थित मस्जिद में दो धमाके हुए। इस दौरान वहां जुमे की नमाज चल रही थी। इस मस्जिद का मुख्य इमाम मुल्ला मुजीब ही था। धमाके उसके सामने की कतार में हुआ। इसके बाद वहां अफरातफरी मच गई। दूसरा धमाका तब हुआ जब लोग वहां से भाग रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुल्ला मुजीब हेरात से किसी इकोनॉमिक कांफ्रेंस में शिरकत के बाद सीधे मस्जिद पहुंचा था

बेहद कट्टर तालिबानी मौलाना था मुल्ला मुजीब

मुल्ला मुजीबउर रहमान अंसारी को तालिबान के सबसे कट्टर मौलानाओं में गिना जाता था। वो लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं के बाहर काम करने पर काफी सख्त था। वह सख्त शरिया कानून का पालन करवाना चाहता था। कुछ माह पहले उसके एक फतवे ने तालिबान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी फजीहत कराई थी। मौलाना मुजीब ने कहा था कि जो तालिबान शासन को नहीं मानेगा और विरोध करेगा तो उसके लिए केवल एक ही सजा होगी कि उसका सिर कमल कर दिया जाए। हालांकि, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस फतवे को मुल्ला मुजीब के निजी विचार बताकर खारिज कर दिया था।

तालिबान और इस्लामिक स्टेट के बीच खूनी खेल

अफगानिस्तान में तालिबान और एक अन्य मुस्लिम चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासन के बीच संघर्ष नया नहीं है। लेकिन जब से तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता को अपने नियंत्रण में लिया है तब से इस्लामिक स्टेट ने देशभर में हमले तेज कर दिए हैं। आईएस अब तक कई मस्जिदों में धमाके कर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार चुका है, तालिबान की सत्ता को चुनौती दे चुका है। इतना ही नहीं उसने पिछले माह यानी अगस्त में तालिबान के शीर्ष नेता रहीमुल्लाह हक्कानी की फिदायीन हमले में हत्या कर दी थी। हक्कानी उस दौरन अपने मदरसे में बच्चों को तालीम दे रहे थे।

इससे पहले तालिबान ने राजधानी काबुल के बाग्रामी इलाके में इस्लामिक स्टेट के कमांडर को मार गिराया था और एक को गिरफ्तार कर लिया था। तालिबान कई बार इस्लामिक स्टेट से हमले बंद करने की अपील भी कर चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते दो सालों में इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में 450 से अधिक हमले किए हैं। इसमें दो हजार से अधिक लोग मारे गए। आईएस ने पिछले साल सबसे भीषण हमला काबुल एयरपोर्ट पर किया था, जिसमें 170 अफगान नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी।

क्यों एक दूसरे से लड़ रहे हैं तालिबान और इस्लामिक स्टेट

तालिबान और इस्लामिक स्टेट दोनों सुन्नी इस्लामिक चरमपंथी संगठन हैं। दोनों के बीच विचारधार की लड़ाई है। इस्लामिक स्टेट खुद को तालिबान के मुकाबले ज्यादा इस्लामिक यानी कट्टर सुन्नी मुस्लिम संगठन मानता है। इसलिए वह लगातार बम धमाकों के जरिए तालिबान को झुकाना चाहता है। वहीं, तालिबान ने इस्लामिक स्टेट को आतंकी संगठन बताकर उसके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। तालिबान ने उसे अपने लिए बड़ा खतरा मानने लगा है। बता दें कि इस्लामिक स्टेट खोरासन की स्थापना तहरीक – ए- तालिबान चरमपंथी संगठन से अलग हुए लड़ाकों ने साल 2013 में की थी। अफगानिस्तान का पूर्वी अचिन प्रांत इसका गढ़ माना जाता है।

Deepak Kumar

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