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Afghanistan War: ईद के बाद जंग होगी तालिबान के खिलाफ, पूर्व आर्मी चीफ ने किया ऐलान

Afghanistan Taliban News: अफगानिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख ने तालिबान के खिलाफ झंडा बुलंद करने का ऐलान किया है। तालिबान के खिलाफ जंग ईद के बाद शुरू हो सकती है।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Shreya
Published on: 30 April 2022 5:09 PM GMT
Afghanistan: तालिबान के खिलाफ ईद के बाद होगी जंग, पूर्व आर्मी चीफ ने किया ऐलान
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तालिबानी (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Afghanistan News: दशकों से गृह युद्ध (Afghanistan Civil War) की आग में झुलसने वाला अफगानिस्तान (Afghanistan) एकबार फिर इस दलदल में पहुंच सकता है। सत्ताधारी चरमपंथी संगठन तालिबान (Taliban) के खिलाफ देश में विरोध के स्वर मुखर होते जा रहे हैं। इसी कड़ी में अफगानिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख ने तालिबान के खिलाफ झंडा बुलंद करने का ऐलान किया है।

पूर्व आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (Former Army Chief Lt Gen) सामी आदत (Sami Sadat) ने तालिबान को ललकारते हुए कहा कि देश में स्थिरता लाने के लिए तालिबान से युद्ध (Afghanistan War) ही एकमात्र रास्ता है। वे अफगानिस्तान के पूर्व सैनिकों और तालिबान विरोधी राजनेताओं के साथ मिलकर इस कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ जंग की तैयारी कर रहे हैं।

ईद के बाद शुरू हो सकता है जंग

पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सामी आदत ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति का एकमात्र रास्ता तालिबान के साथ जंग से होकर गुजरता है। देश में स्थिरता लाने के लिए उसे सत्ता से उखाड़ फेंकना जरूरी है। तालिबान के खिलाफ ये जंग ईद (Eid) के बाद शुरू हो सकती है। पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि देश को इस चरमपंथी संगठन से मुक्त करने के लिए जो संभव हो सकेगा, वो करेंगे। जब तक आजादी नहीं मिलती हम लड़ते रहेंगे।

आदत ने तालिबान पर हमला बोलते हुए कहा कि इनके आठ महीने के शासनकाल में देश गरीबी के दलदल में फंस चुका है। इन आठ महीनों में उसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए धर्म का सहारा लेते हुए पवित्र कुरान की गलत व्याख्या की और दुरूपयोग किया।

बेहद खराब हालत में पहुंचा अफगानिस्तान

तालिबान द्वारा बीते साल अफगानिस्तान की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद से स्थिति वहां तेजी से बिगड़ी है। तालिबान तकरीबन देश के हर मोर्चे पर फेल रहा है। इसके बाद भी वो वहां पर मनमाना कट्टरपंथी धार्मिक कानूनों को लागू कर रहा है। तालिबान की सरकार को अभी भी वैश्विक मान्यता नहीं मिल पाई है। जिस कारण से विदेशों में रखे अफगानिस्तान के पैसे को फ्रिज कर दिया गया है, साथ ही विदेशी मदद मिलनी भी बंद हो गई है। इन सब वजहों से वहां अस्पतालों में दवाईयां और बाजारों में खाने-पीने के चीजों का संकट खड़ा हो गया है।

बीते कुछ समय से लगातार इस्लामिक स्टेट के हमलों ने तालिबान की सुरक्षा व्यवस्था भी ध्वस्त कर दी है। देश के दूर-दराज के इलाकों में उसका नियंत्रण भी खत्म हो चुका है। तालिबान के खिलाफ लोगों के बीच बढ़ते गुस्से ने तालिबान विरोधी गुटों को एकबार फिर उसके खिलाफ संघर्ष छेड़ने के लिए हौसला दिया है। यही वजह है कि धीरे-धीरे तालिबान विरोधी गुट लामबंद हो रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो अफगानिस्तान में गृह युद्ध का एक नया चैप्टर खुलेगा।

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Shreya

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