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अफगानिस्तान में तालिबान का नरसंहार, शिया हजारा समुदाय की 17 वर्षीय लड़की सहित 13 लोगों की बेरहमी से की हत्या

तालिबान ने शिया हजारा समुदाय के करीब 13 लोगों की बेरहमी हत्या कर दी है। इसमें एक 17 17 वर्षीय लड़की भी शामिल है।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 6 Oct 2021 2:43 AM GMT (Updated on: 6 Oct 2021 4:10 AM GMT)
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तालिबान लड़ाके। (Social Media)

Afghanistan: अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान अब देश में लोगों का नरसंहार कर रहा है। उसने शिया हजारा मुस्लिम समुदाय के 13 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी है। इनमें 17 साल की एक लड़की भी शामिल है। केंद्रीय प्रांत के दायकुंडी में हुई इस घटना में अधिकांश मृतक लड़ाकों के सामने समर्पण करने वाले सैनिक थे। यह जानकारी एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दी है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 अगस्‍त को करीब 300 तालिबानी आए और उन्‍होंने खिद्र जिले में अफगान नैशनल सिक्‍यॉरिटी फोर्स के 11 जवानों की हत्‍या कर दी।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया कि ये हत्याएं 30 अगस्त को देश के दायकुंडी प्रांत के कहोर गांव में हुईं। मृतकों में 11 अफगानिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के सदस्य थे और दो नागरिक थे जिनमें एक 17 वर्षीय लड़की थी। इन्हें तालिबान लड़ाके नदी बेसिन पर ले गए और तुरंत बाद इन्हें मार डाला गया। तालिबान ने भागने की कोशिश कर रहे अफगान सुरक्षा बलों को भी निशाना बनाया, जिसमें दोनों तरफ से गोलीबारी हुई। एएनएसएफ के जिन सदस्यों की हत्या हुई है, वे सभी शिया हजारा समुदाय से थे। एमनेस्टी के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, ये क्रूरतम हत्याएं इस बात का प्रमाण हैं कि तालिबान वही कुख्यात अपराध कर रहा है, जो वह अफगानिस्तान के अपने पिछले शासन के दौरान करता था।

इस तरह दिया वारदात को अंजाम

रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के कब्जे के बाद अनुमानित 34 पूर्व सैनिकों ने खिदिर जिले में सुरक्षा की मांग की। ये हथियारबंद सैनिक तालिबान के सामने आत्मसमर्पण को तैयार हो गए। 30 अगस्त को, करीब 300 लड़ाके दहानी कुल गांव पहुंचे। उन्होंने यहां परिवार के साथ रह रहे सुरक्षा बल के लोगों पर गोलियां चला दीं। एक सैनिक ने जवाबी फायरिंग भी की जिसमें एक तालिबान लड़ाका मारा गया ।

पिछले शासन में भी दी यातनाएं

तालिबान ने अपने पहले शासनकाल के दौरान साल 1996 और 2001 में भी इसी समुदाय के लोगों को काफी यातनाएं दी थीं। एमनेस्टी ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे से पहले तालिबान ने जुलाई महीने में गजनी प्रांत में रहने वाले 9 लोगों को मार दिया था (Taliban Hazara Massacre)। हजारा अफगानिस्तान में रहने वाली शिया आबादी का बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन इन्हें लगातार आतंकी संगठन निशाना बनाते हैं।

हमेशा से निशाना बन रहे हजारा

तालिबान और उसके कट्टर दुश्मन आईएसआईएस-के के ऊपर हजारा समुदाय का शोषण करने का आरोप लगता रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड (Agnes Callamard) ने कहा कि ये बेहरमी से की गई हत्याएं इस बात का सबूत हैं कि तालिबान वही कुख्यात अपराध कर रहा है, जो वो अफगानिस्तान के अपने पिछले शासन के दौरान करता था।' साल 1990 के दशक में अपने पांच साल के शासन के दौरान, तालिबान ने बल्ख और बामियान प्रांतों में रहने वाले सैकड़ों हजारा लोगों का नरसंहार किया था।

Deepak Kumar

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