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Afghanistan में 4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट तो सभी क्यों काबुल एयरपोर्ट की लगा रहे हैं दौड़...
Afghanistan: तालिबान भले ही अफगानिस्तान में अक्रामक हो गया हो पर अभी भी काबुल का हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट अभी भी तालिबान की पहुंच से दूर है।
Afghanistan: तालिबान भले ही अफगानिस्तान में अक्रामक हो गया हो पर अभी भी काबुल का हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट अभी भी तालिबान की पहुंच से दूर है। अफगानिस्तान की सरहदों से जुड़े सभी राष्ट्रों की सीमा की चौक चौबन्दी बढ़ा दी गयी है अफगानिस्तान में समुद्री रास्ता तो कोई है नहीं तो सिर्फ एक ही रास्ता बचता है। और वो है हवाई रास्ता।चूंकि रास्ता एकलौता है तो भगदड़ की स्तिथियां बनने शुरू हो गयी हैं।
अफगानिस्तान में छोटे बड़े सब मिलाकर 21 एयरपोर्ट हैं। जिसमे से 4 ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं जिनके रास्ते लोगों को तालिबानियों से बचाया जा सकता है। ये चार इंटनरेशनल एयरपोर्ट्स हैं काबुल का हामिद करज़ई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कांधार का अहमद शाह बाबा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मज़ार-ए-शरीफ़ का मौलाना जलालुद्दीन बल्की इंटरनेशनल एयरपोर्ट और हेरात का ख्वाजा अब्दुल्ला अंसारी इंटरनेशनल एयरपोर्ट।
अफग़ानिस्तान के इन चार इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स में से तीन पर तालिबान का क़ब्जा है।यानी कांधार, मज़ार ए शरीफ और हेरात शहर. अब ऐसे में इन तीन एयरपोर्ट्स से निकलना अफग़ानी नागरिक और विदेशी दोनों के लिए नामुमकिन है। तो अब बचता है सिर्फ काबुल का इंटरनेशनल एयरपोर्ट।और बस इसीलिए अफगान की पूरी भीड़ उसी सड़क पर उतर आई है, जो सड़क काबुल एयरपोर्ट की तरफ़ जाती है।
पर काबुल एयरपोर्ट पहुंचना है एक कठिन राह काबुल एयरपोर्ट पर भी पेच फंसा हुआ है। दरअसल, अफग़ानिस्तान के बाक़ी शहरों की तरह काबुल पर भी तालिबान पूरी तरह क़ाबिज़ है। पूरे शहर के साथ-साथ शहर के हर रास्ते, हर मोड़ पर तालिबानी मौजूद हैं. शहर की अंदरुनी सुरक्षा तालिबान ने अपने हाथों में ले रखा है।
ऐसी रिपोर्टें हैं कि तालिबान अफ़ग़ान लोगों को एयरपोर्ट तक पहुंचने से रोक रहा है। और रोके जा रहे लोगों में से कुछ वैध वीज़ा धारक भी हैं। एयरपोर्ट के पास पहुंचने से पहले ही लोगों पर रास्ते में हमले किए जा रहे हैं। भागने की कोशिश कर रहे आम लोगों पर डंडे और कोड़े बरसा रहे थे।एयरपोर्ट कम्पाउंड की चारदीवारी के भीतर 4000 से ज़्यादा अमेरिकी सैनिकों का अस्थाई अड्डा है और वहां की व्यवस्था फिलहाल उनके हाथ में हैं।इसके बाहर भारी भरकम हथियारों से लैस तालिबान लड़ाकों ने अपना सुरक्षा घेरा बना रखा है।और इसकी वजह से डर का माहौल बढ़ गया है।इसका मतलब ये हुआ कि काबुल एयरपोर्ट तक के सफ़र में जान का जोख़िम लगातार बढ़ रहा है।
काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना की रणनीति
अमेरिका को पता था कि उसके सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान भी वापसी कर सकता है।96 से 2001 की कहानी फिर से दोहराई जा सकती है। लिहाज़ा इस बार अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर खास नजर रखी. अगस्त के पहले हफ्ते में ही अमेरिका ने अपनी वायु सेना के अफग़ान में सबसे बड़े बेस यानी बरगाम एयरबेस को खाली कर दिया था। अब इसके बाद अफ़गान में मौजूद अमेरिकी सैनिक, अमेरिकी नागरिक और अमेरिका के लिए काम कर रहे लोगों को अफग़ान से बाहर निकालने के लिए एक ही रास्ता बचा था। और वो था काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट।
15 अगस्त की दोपहर को जैसे ही अमेरिका को ये ख़बर मिली कि तालिबान काबुल की दहलीज़ तक पहुंच चुके हैं, अमेरिकी सैनिकों ने आनन-फानन में काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया। इतना ही नहीं उन्होंने काबुल में मौजूद अमेरिकी दूतावास के सभी स्टाफ को भी वहां से निकाल कर एयरपोर्ट पहुंचा दिया। एक तरह से फिलहाल काबुल एयरपोर्ट का एक हिस्सा ही अफग़ान में अमेरिकी दूतावास है।एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए 12 अगस्त तक एयरपोर्ट पर 5200 अमेरिकी सैनिक तैनात थे।15 अगस्त के बाद बहरीन, नॉर्थ कैरोलीना और कैलिफ़ोर्निया से करीब 3000 हज़ार सैनिकों और मरींस को काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए बुला लिया गया। फिलहाल काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का पूरा अंदरुनी इलाक़ा और रन-वे अमेरिकी सेना के कंट्रोल में है। 15 अगस्त से लेकर 20 अगस्त तक अफग़ानिस्तान से करीब 28 हज़ार लोगों को अलग-अलग जहाज़ों से बाहर निकाला गया है।इसी के मद्देनज़र अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये ऐलान किया है कि जब तक हर अमेरिकी को अफ़ग़ान से बाहिफ़ाज़त निकाल नहीं लिया जाता, तब तक अमेरिकी सैनिक अफ़ग़ान में मौजूद रहेंगे।