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अपनी हिफाजत खुद करे अफगानिस्तान, अमेरिका ने कहा- खुद संभाले देश
Afghanistan News: अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) से निपटने में अमेरिका (America) कोई सहायता नहीं करेगा। अमेरिका ने साफ कह दिया है कि अफगानिस्तान खुद अपनी सुरक्षा करे।
Afghanistan News: अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) से निपटने में अमेरिका (America) कोई सहायता नहीं करेगा। अमेरिका ने साफ कह दिया है कि अफगानिस्तान खुद अपनी सुरक्षा करे। अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन (US President Joe Biden) ने कहा है कि तालिबानियों से अपने देश की रक्षा करने का काम अफगान सुरक्षा बलों (Afghan Security Forces) का है। बिडेन ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी 31 अगस्त को खत्म हो जाएगी और वे अब अमेरिकी सैनिकों को वहां नहीं भेजेंगे। उन्होंने कहा कि अफगान लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना होगा।
इस बीच अफगानिस्तान में अमेरिका के राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद (Zalmay Khalilzad) कतर गए हुये हैं जहां वे तालिबान पर सैन्य हमले रोकने का दबाव बनाएंगे और राजनीतिक समझौता करने को कहेंगे। अफगानिस्तान की स्थिति पर कतर में तीन दिन की बातचीत में विभिन्न सरकारों और बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जिसमें हिंसा और युद्ध खत्म करने के लिए दबाव डाला जाएगा। ये भी कहा जाएगा कि ताकत के बल पर किसी सरकार को मान्यता नहीं दी जाएगी।
प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा
दरअसल, हालात ये हैं कि अफगानिस्तान में अब तक तालिबान पांच प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है। 9 अगस्त को तालिबान ने देश के उत्तर में स्थित समंगन प्रान्त की राजधानी अयबक पर कब्जा कर लिया है और अब कंधार प्रान्त की घेराबंदी कर रहा है। तालिबान ने अफगानिस्तान के बड़े ग्रामीण हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया है और अब वह प्रांतीय राजधानियों की तरफ मुड़ गया है।
आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों में अपना दबाव बढ़ा दिया है। 34 प्रांतीय राजधानियों में से पांच पर तालिबान का नियंत्रण है। तालिबान लड़ाकों ने रविवार को अहमद शाह अब्दाली कंधार हवाई अड्डे पर हमला किया, इमारत पर कई रॉकेट दागे। हमले के बाद कुछ घंटों के लिए उड़ान संचालन को रोक दिया गया था।
अमेरिका से उम्मीद
ऐसे में अमेरिका से उम्मीद की जा रही है कि वह तालिबान से लड़ने में फिर सक्रिय भूमिका निभाएगा। लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि तालिबान के बढ़ते प्रभाव से अमेरिका बेहद चिंतित है। उन्होंने ये भी कहा कि अफगान सुरक्षा बल तालिबान से लड़ने में सक्षम हैं। किर्बी ने कहा कि अफगानिस्तान के पास अपनी सेना है, उनकी अपनी प्रांतीय राजधानियां हैं और उनके लोगों को खुद खड़ा होना है। अफगान लीडरशिप को इस मुकाम पर अपनी ताकत और इक्छाशक्ति दिखानी होगी। किर्बी ने ये भी कहा कि जब अफगान सुरक्षाबल जब खुद मोर्चा नहीं ले पा रहे हैं तो अमेरिका क्या कर लेगा।
किर्बी ने बताया कि अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की है। ऑस्टिन ने बाजवा के साथ क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के परस्पर लक्ष्यों पर भी चर्चा की। किर्बी ने बताया कि बातचीत के दौरान ऑस्टिन ने अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में सुधार जारी रखने की बात कही।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि सेना ने प्रेसिडेंट बिडेन को पहले ही बता दिया था कि अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान का कन्ट्रोल हो जाएगा लेकिन ये सब इतनी जल्दी होगा, इसका एहसास किसी को नहीं था।
मानवीय संकट
अफगानिस्तान में तालिबान के विस्तार से मानवीय संकट पैदा हो गया है। तालिबान के कहर से बचने के लिए नागरिक अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगहों पर भाग रहे हैं। तालिबान के आतंक में अब तक कई हजार लोगों की जान चुकी हैं। यूनिसेफ ने कहा है कि पिछले तीन दिनों में अफगानिस्तान के तीन प्रांतों में कम से कम 27 बच्चे मारे गए हैं और 136 घायल हुए हैं। इसके अलावा कई मासूम नागरिकों की जान भी गई है।
अफगानिस्तान में यूनिसेफ के मुख्य फील्ड ऑपरेशन मुस्तफा बेन मेसाउद ने कहा कि इस साल के अंत तक अफगानिस्तान में पांच साल से कम उम्र के हर दो बच्चों में से कोई एक कुपोषण के कारण मानसिक रूप से बीमार या कुपोषित होगा और स्कूल नहीं जा पाएगा।
कतर की भूमिका
अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में हुआ था। इस समझौते में कतर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और सभी बैठकें कतर की राजधानी दोहा में की गईं थीं। अब अफगानिस्तान के खूनी संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास में कतर फिर लगा हुआ है। इस सप्ताह दोहा में बैठकों का सिलसिला चल रहा है जिसमें अफगानिस्तान, रूस, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि शामिल हैं।
बुधवार की बैठक में अफगान शांति के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद और पाकिस्तान, रूस और चीन के राजनयिक शामिल होंगे। ये बैठकें अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेष सत्र की अगुवाई में हो रही हैं।
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