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अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति ने तालिबान को ललकारा, कहा- हम जंग के लिए तैयार

Afghanistan News: अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति ने पहली बार अशरफ गनी के देश छोड़ने पर चुप्पी तोड़ी है और इसी के साथ उन्होंने तालिबान को भी ललकारा है।

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Newstrack NetworkPublished By Shreya
Published on: 28 Aug 2021 3:29 PM GMT
अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति ने तालिबान को ललकारा, कहा- हम जंग के लिए तैयार
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अमरुल्ला सालेह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Afghanistan News: अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद देश में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। लोग आतंक के खौफ से देश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। वहीं, जब देश की जनता को सबसे ज्यादा जरूरत थी तो पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए। जिसके बाद पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया और तालिबान के सामने झुकने से मना कर दिया।

अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) बिना डरे तालिबान का सामना कर रहे हैं और वो पहले भी यह साफ कर चुके हैं कि हम किसी भी कीमत पर झुकने वाले नहीं हैं। इस बीच अब उन्होंने अशरफ गनी के देश छोड़ने पर चुप्पी तोड़ी है। सालेह ने देश छोड़ने को वादा तोड़ने वाला करार दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने देश न छोड़ने का वादा किया था, लेकिन वो अपने वादे पर अडिग नहीं रह सके।

उन्होंने कहा कि अशरफ गनी ने कसम खाई थी कि अगर तालिबान एक सम्मानजनक राजनीतिक समझौते के लिए राजी नहीं होता है तो वह अपनी कुर्बानी दे देंगे। लेकिन तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद गनी का देश छोड़कर भागना देश पर धब्बा है। सालेह ने यह भी कहा कि वो खुद इसलिए नहीं भागे क्योंकि वह बेज्जती और ऐतिहासिक शर्म का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे।

अमरुल्ला सालेह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तालिबान को सालेह की दो टूक

सालेह ने बताया कि उन्हें मित्र देशों द्वारा चार्टर्ड प्लेन की पेशकश भी की गई थी, ताकि वो अफगानिस्तान से निकल सके, लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके साथ ही कार्यवाहक राष्ट्रपति ने तालिबान को भी ललकारा है। उन्होंने कहा कि अगर आतंकी संगठन समझौता के लिए राजी नहीं होता है और जंग चाहता है तो फिर हम भी इससे पीछे नहीं हटेंगे।

खबरें हैं कि अमरुल्ला सालेह पंजशीर घाटी (काबुल के उत्तर-पूर्व) में ठहरे हुए हैं। आपको बता दें कि अफगानिस्तान में केवल पंजशीर घाटी ही एक ऐसा इलाका है, जहां पर तालिबान अपना कब्जा नहीं जमा सका है। वहीं बात करें सालेह की तो तालिबान का डटकर सामना करने वाले अमरुल्ला सालेह 2004 से 2010 तक अफगान खुफिया एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के निदेशक रहे हैं और वो देश के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं।

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