Afghanistan: पूर्व गवर्नर सलीमा मजारी ने छोड़ा अफगानिस्तान, सुरक्षित पहुंची अमेरिका

अफगानिस्तान की महिला गवर्नरों में से एक रही सलीमा मजारी तालिबान को चकमा देकर अमेरिका में सुरक्षित पहुंच गई है।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 15 Sep 2021 5:23 AM GMT
Former Governor Salima Mazari left Afghanistan
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पूर्व गवर्नर सलीमा मजारी। (Social Media)

अफगानिस्तान पर तालिबान ने भले ही अपना कब्जा जमा लिया हो, लेकिन उसके लिए ये रास्ता आसान नहीं रहा। क्योंकि अफगानिस्तान के अलग-अलग मोड़ पर उसका मुकाबला करने के लिए हमेशा कोई ना कोई तैयार ही रहा। इन्हीं में से एक थीं अफगानिस्तान के एक प्रांत की महिला गवर्नर सलीमा मज़ारी।

मिली जानकारी के अनुसार सलीमा मजारी को तालिबान ने पकड़ लिया है, बाद में उनके मारे जाने की भी अफवाह उड़ी। लेकिन इन तमाम कयासों से दूर सलीमा मजारी एकदम सुरक्षित हैं। 39 साल की सलीमा मजारी इस वक्त अमेरिका की किसी सुरक्षित जगह में हैं, जो तालिबान को मात देकर वहां पर पहुंची हैं। सलीमा मजारी लंबे वक्त तक तालिबान की हिटलिस्ट में शामिल रहीं। जिले चाहर में सलीमा मजारी ने तालिबान का लंबे वक्त तक मुकाबला किया।

अफगानिस्तान से कैसे निकल पाईं सलीमा?

अमेरिका में टाइम मैग्जीन को दिए अपने इंटरव्यू में सलीमा मजारी ने बताया है कि तालिबान ने चारकिंत जिले में 30 से ज्यादा बार हमला किया था, लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाया था। हालांकि, कुछ वक्त बाद ही काबुल और मजार-ए-शरीफ पर उसका कब्जा हो गया था। सलीमा मजारी साल 2018 में इस इलाके की गवर्नर बनी थीं, वह शुरू से ही सरकार की समर्थक रहीं और तालिबान का विरोध करती रहीं। तालिबान ने कई बार उनपर हमला किया, लेकिन उन्होंने तालिबान का मुकाबला किया और जरूरत पड़ने पर बंदूक भी उठाई।

जब तालिबान ने मजार ए शरीफ पर कब्जा किया और वो चारकिंत की ओर बढ़ने लगा। तब सलीमा मजारी अपने समर्थकों के साथ उजबेकिस्तान के बॉर्डर पर पहुंचीं ताकि वहां से निकल सके, लेकिन बॉर्डर से निकलने में उन्हें कामयाबी नहीं मिलीं। इसके बाद वो कुछ जगह रुकीं और किसी तरह काबुल के एयरपोर्ट तक पहुंची।

इस दौरान कई बार बीच में तालिबान के लड़ाके भी मिले, लेकिन वह किसी तरह बचकर उनसे निकल पाईं। अंत में 25 अगस्त को सलीमा जाफरी काबुल से निकल पाईं, यहां से वो अमेरिकी सेना की फ्लाइट में कतर पहुंचीं और उसके बाद अब अमेरिका में एक सुरक्षित स्थान पर हैं। सलीमा मजारी का कहना है कि तालिबान के खिलाफ उनकी लड़ाई अभी भी जारी है।

कौन हैं सलीमा माजरी

दरअसल, अफगानिस्तान मूल की सलीमा माजरी का जन्म 1980 में एक रिफ्यूजी के तौर पर ईरान में हुआ, जब उनका परिवार सोवियत युद्ध से भाग गया था। उनकी पढ़ाई-लिखाई ईरान में ही हुई है। तेहरान विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उन्होंने दशकों पहले अपने माता-पिता को छोड़कर देश (अफगानिस्तान) जाने का फैसला करने से पहले विश्वविद्यालयों और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। 2018 में उन्हें पता चला कि चारकिंत जिला के गवर्नर पद की वैकेंसी आई है। यह उनकी पुश्तैनी मातृभूमि थी, इसलिए उन्होंने इस पद के लिए आवेदन भर दिया। इसके बाद वह गवर्नर के लिए चुनी गईं। तालिबान के खतरे को देखते हुए और जिले को सुरक्षित करने के लिए उन्होंने सिक्योरिटी कमिशन की स्थापना की थी, जो स्थानीय सेना में भर्ती का काम देखता था। सलीमा अपने कार्यकाल में तालिबानियों के नाक में दम कर चुकी हैं।

Deepak Kumar

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