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अफगानिस्तान में रैम्बो स्टाइल रेस्क्यू मिशन, 4 अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित निकाला बाहर

अमेरिकी विदेश विभाग ने 6 सितम्बर को बताया था कि अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान से चार अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता पाई है।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 7 Sept 2021 1:59 PM IST
अफगानिस्तान में रैम्बो स्टाइल रेस्क्यू मिशन, 4 अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित निकाला बाहर
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नई दिल्ली। दुश्मन देश में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के खतरनाक मिशन पर दर्जनों हॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं। ऐसी फिल्मों में 'रैम्बो' सीरीज की फिल्में काफी लोकप्रिय हुई हैं। इत्तेफाक से रैम्बो सीरीज की फिल्मों में अफगानिस्तान भी शुमार रहा है जिसमें दिखाया गया कि किस तरह रैम्बो सोवियत कंट्रोल वाले अफगानिस्तान से अपने लोगों को छुडा कर लाता है।

इन दिनों अफगानिस्तान में कुछ 'रैम्बो' वही काम कर रहे हैं। स्टाइल वही हैं, बस फर्क इतना है कि जिन्हें बचा कर निकाला जा रहा है वो किसी कहीं बंदी या बंधक नहीं है तो कोई मारकाट भी नहीं हो रही है। लेकिन तालिबान के साथ चूहे -बिल्ली का खेल जारी है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन।

दरअसल, 31 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की पूर्ण वापसी तो हो गयी लेकिन बहुत से अमेरिकी नागरिक तथा अमेरिका के मददगार अफगान नागरिक वहीं रह गए हैं। चूंकि अफगानिस्तान अब तालिबान के कंट्रोल में है तो वह किसी को देश से निकलने नहीं दे रहा है। काबुल हवाई अड्डा भी बंद है। ऐसे में कुछ अमेरिकी लोग और संगठन, पूर्व अमेरिकी सैनिकों की सेवाएं ले रहे हैं कि वो अफगानिस्तान से लोगों को निकाल कर ले आयें। इसके लिए लोग खुद अपनी फंडिंग करके रेस्क्यू मिशन चलवा रहे हैं।

ताजा मामला मजार-ए-शरीफ से एक महिला और उसके चार बच्चों को निकाल कर लाने का है। अमेरिकी विदेश विभाग ने 6 सितम्बर को बताया था कि अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान से चार अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता पाई है। इस बयान के बाद ये खुलासा हुआ कि जिस चीज के लिए विदेश विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा है वह तो एक प्राइवेट मिशन था और इस मिशन में विदेश विभाग की कोई भूमिका ही नहीं थी। इस मिशन को आयोजित करने वाले लोगों ने बताया कि अफगानिस्तान से मरियम नामक एक अमेरिकी नागरिक और उसके तीन बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम पूर्व सैनिकों के ग्रुप को सौंपा गया था।

तालिबान ने एयरपोर्ट में घुसने से दिया था रोक

इस मिशन में एक अमेरिकी नागरिक कोरी मिल्स और पूर्व सैनिकों की प्राइवेट टीम शामिल थी। इनके मिशन की फंडिंग कई निजी लोगों और संगठनों ने की जिसमें सेंटिनल फाउंडेशन भी शामिल था। सेंटिनल फाउंडेशन एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य बच्चों की तस्करी रोकना है। इसकी वेबसाइट के अनुसार ये दुनिया भर में ऑपरेट करता है। अफगानिस्तान में मरियम और उसके बच्चों के फंसे होने की जानकारी टेक्सास के रिपब्लिकन सीनेटर रौनी जैक्सन ने कोरी मिल्स को दी थी। इसके बाद कोरी मिल्स और उनकी टीम ने मरियम और बच्चों को काबुल से निकली अंतिम फ्लाइट्स में जगह दिलाने की कोशिश की लेकिन ये चारों लोग एयरपोर्ट के भीतर पहुँच ही नहीं सके क्योंकि तालिबान लड़ाकों ने उनको प्रवेश द्वार पर ही रोक लिया। मरियम ने बच्चों के साथ कई बार एयरपोर्ट में घुसने की कोशिश की लेकिन हर बार उन्हें रोक दिया गया। जब मरियम ने आखिरी बार एयरपोर्ट में घुसने की कोशिश की तो एक तालिबान लड़ाके ने उनके सिर पर पिस्तौल तान कर कहा कि अगर वह दोबारा वहां आईं तो उन्हें गोली मार दी जायेगी। मरियम अपने बच्चों के साथ घर वापस लौट आईं। बाद में पता चला कि तालिबान लड़ाके उनकी तलाश कर रहे हैं। ये जानकारी मिलते ही कोरी मिल्स और उनके टीम ने तत्काल मरियम और बच्चों को किसी सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर दिया।

नहीं मिली उड़ान भरने की इजाजत

जब रेस्क्यू मिशन की टीम ने देखा कि काबुल से हवाई मार्ग से निकल पाना मुमकिन नहीं है तो प्लान बी पर चलने का फैसला किया गया जिसमें मजार-ए-शरीफ से एक प्राइवेट चार्टर विमान से बाहर निकलना था। मरियम और बच्चे मजार-ए-शरीफ एयरपोर्ट लाये गए लेकिन अंतिम क्षणों में विमान को उड़ान भरने की इजाजत नहीं मिली। प्राइवेट रेस्क्यू मिशन के कुछ आयोजकों का आरोप है कि अमेरिकी विदेश विभाग प्राइवेट चार्टर उड़ानों को किसी तीसरे देश में उतरने की इजाजत दिलाने में असफल रहा। हालाँकि टेक्सास के एक अन्य रिपब्लिकन सीनेटर माइकेल मैकॉल ने तालिबान को विमान उड़ने न देने का दोषी ठहराया है।

सड़क मार्ग से किया रेस्क्यू

कोरी मिल्स के पास अब मरियम को बाहर निकलने का अंतिम उपाय सड़क मार्ग का था। रेस्क्यू टीम ने तय किया कि सड़क मार्ग से किसी पड़ोसी देश में पहुंचा जायेगा। मिल्स की टीम ने मरियम और बच्चों को कारों द्वारा सीमा पार कराने के कई प्रयास किये। ये लोग अलग अलग से सीमा तक गए और कई अन्य तरकीबें आजमाईं। तालिबान भी पूरी कोशिश कर रहा था कि कोई भी व्यक्ति सीमा पार न कर सके। लड़ाकों की खास निगाह मरियम के परिवार पर थी। इसी वजह से 6 सितम्बर को सीमा का चेकपॉइंट बंद कर दिया गया लेकिन इसके कुछ ही घंटे पूर्व रेस्क्यू टीम मरियम के परिवार को सीमा पार कराने के सफल रही।

कोरी मिल्स ने फॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में बताया है कि विदेश विभाग के दावे झूठे हैं। मिल्स ने कहा कि विदेश विभाग इस रेस्क्यू का क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहा है जबकि इस अभियान में उसकी कोई भी भूमिका नहीं थी। हालांकि विदेश विभाग ने एक बयान में कहा है कि उसने मरियम के परिवार को बाहर निकलने में सहायता की और सीमा पार अमेरिकी दूतावास के लोग उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे।



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Deepak Kumar

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