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Afghanistan:क्या रहा आज पूरा दिन अफगानिस्तान में, कल बन सकती है तालिबान की सरकार

Afghanistan: तालिबानी सरकार का कल हो सकता है गठन

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Newstrack NetworkPublished By Yogi Yogesh Mishra
Published on: 3 Sep 2021 2:08 PM GMT (Updated on: 3 Sep 2021 2:11 PM GMT)
Afghanistan:क्या रहा आज पूरा दिन अफगानिस्तान में, कल बन सकती है तालिबान की सरकार
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Afghanistan: कल हो सकता है तालिबानी सरकार का गठन (photo social media)

Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान की आज जुमे की नमाज के बाद सरकार बनना तय था लेकिन वह टल गया अब यह आशंका जताई जा रही है कि कल अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार का गठन होगा। जहां एक तरफ अमेरिकी सैनिकों के वापसी के बाद काबुल में हालात बद से बदतर नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर आज अफगानिस्तान में महिलाओं ने सरकार में अपनी हिस्सेदारी को लेकर आवाज बुलंद की जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल रहा। अमेरिकी सैनिकों की घर वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के लड़ाकों ने अमेरिकी आर्मी की बंदूकों का सुपर मार्केट सा खोल दिया है। खुलेआम तालिबानी लड़ाके अमेरिकी सैनिकों के हथियार बेच रहे हैं। बताते चलें अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की यूनिफार्म के साथ-साथ उनके उपयोग में आने वाली कई तरह की चीज है बेची जा रही हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के नाम पर यहां का एक बाजार कुछ सालों पहले खोला गया था जो बुश बाजार नाम से मशहूर था। वहीं अब इस बाजार का नजारा काफी बदला हुआ नजर आ रहा है। जहाँ एक तरफ अफगानिस्तान के लगभग सभी प्रांतों पर तालिबान का कब्जा है तो वहीं दूसरी ओर पंजशीर में आज भी तालिबान के लड़ाके अपना कब्जा करने में सक्षम नजर नहीं आ रहे। अफगानिस्तान का एक छोटा सा हिस्सा पंजशीर आज भी तालिबान के कब्जे से बाहर है।


Afghanistan: कल हो सकता है नई सरकार का गठन (photo social media)

कल हो सकता है नई सरकार का गठन

खबरों के मुताबिक आज अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार का गठन जुमे की नमाज के बाद होना था लेकिन किसी वजह से वह चल गया फिलहाल जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान में नई तालिबानी सरकार का गठन कल हो सकता है जिसके सर्वे सर्वा मुल्ला बरादर को बताया जा रहा है। अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद काबुल में एक अलग सा ही माहौल बन गया है वहां दुकान बाजार पहले की तरह खुल तो रहे हैं मगर रौनक गायब सी हो गई है लोगों की चहल पहल तो है लेकिन महिलाओं का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। क्योंकि तालिबान ने अपने आने से पहले ही महिलाओं को घरों से बाहर ना निकलने की खुलेआम धमकी दे रखी है। 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान काफी बदला हुआ नजर आ रहा है अफगानिस्तान में इस वक्त अमेरिकी जहाज और हथियार कबाड़ के तौर पर दूर-दूर तक देखे जा सकते हैं लेकिन अमेरिका का कोई नामोनिशान तक नहीं है। अगर कुछ दिखाई दे रहा है तो वह सिर्फ तालिबान के नेताओं की सरगर्मी है और तालिबानी लड़ाकू का जश्न जो अफगानिस्तान में नए सिरे से सरिया के कानून लाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है और आम लोगों में इस का खौफ बढ़ता ही जा रहा है।

क्या है हालात

अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद काबुल में मातम सा सन्नाटा पसरा हुआ है भले ही दुकानें और बाजार खुले हो लेकिन पहले की तरह अब वह रौनक नहीं रही। ना ही बाजारों में अब वह चहल पहल है और ना ही काबुल में महिलाओं का कोई नामोनिशान दिख रहा है। क्योंकि तालिबान ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि महिलाएं अपने घरों में ही रहेंगी। वहीं अगर बात की जाए तो 19 साल 10 महीने और 25 दिन के बाद अमेरिकी c-17 ग्लोबमास्टर विमान ने अमेरिकी फौजियों के साथ अफगानिस्तान के जमीन छोड़ी और उधर इस्लामिक अमीरात और अफगानिस्तान की नई तालिबानी सरकार ने खुद को जमीन पर पूरी तरह तैयार कर लिया 2001 के बाद यह पहला मौका है जब काबुल की सड़कों पर एक भी अमेरिकी सैनिक मौजूद नहीं है हालांकि यह और बात है कि अब भी कई अमेरिकी नागरिक और अफगान लोग हैं जो अफगानिस्तान में पीछे छूट गए हैं जिन्हें अफगानिस्तान से रेस्क्यू करना अभी बचा है। अमेरिका की वापसी के कुछ घंटों बाद ही तालिबान और अफगानिस्तान के दूसरे नेताओं के बीच सरकार बनाने का फार्मूला क्या हुआ यह साफ हो गया कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ही तालिबान की नई सरकार का मुखिया और सर्वे सर्वा होगा। इसके अलावा तालिबान का सुप्रीम कमांडर हैबतुल्लाह नई सरकार की गवर्निंग काउंसिल का सुप्रीम होगा इसका मतलब यह है कि मुल्ला बरादर जहां तालिबान की नई सरकार का सबसे बड़ा चेहरा होगा वहीं सरकार हैबतुल्लाह की सरपरस्ती में चलेगी।

नई सरकार में शामिल होंगे पिछली सरकार के ताकतवर नेता

तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के मेंबर बिलाल करीमी ने बताया कि तालिबानी नेताओं के साथ-साथ पिछली सरकार के नेता और प्रभावशाली लोग भी अफगानिस्तान में बनने वाली नई सरकार का हिस्सा होंगे और जल्द ही देश को चलाने के लिए कैबिनेट का एलान कर दिया जाएगा। बरहाल अमेरिकी फौज की वापसी के बाद अकबर स्थान पर तालिबान की हुकूमत का रास्ता बेशक पूरी तरीके से साफ हो गया है लेकिन पंजशीर में तालिबान की दाल अब भी नहीं निकल पा रही है 31 अगस्त को तालिबानी बेशक आजादी का जश्न मना रहे थे लेकिन पंजशीर के लड़ाके अभी भी उनके दांत खट्टे करने में लगे हुए हैं।

Yogi Yogesh Mishra

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