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Afghanistan: तालिबान के डिप्टी चीफ मुल्ला बरादर और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के बीच हो रही सत्ता हस्तांतरण पर बातचीत.
Afghanistan: अशरफ़ गनी के हाथों से फिसली कमान, तालिबान ने किया काबुल पर कब्जा, तालिबान के डिप्टी चीफ मुल्ला बरादर और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ गनी के बीच हो रही सत्ता हस्तांतरण पर बातचीत।
Afghanistan: तालिबान ने लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद आखिरकार काबुल पर अपना शिकंजा कस ही लिया। जानकारी के मुताबिक तीन अफगान अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि तालिबान के आतंकी काबुल की सीमा के अंदर दाखिल हो गए हैं। जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि तालिबान का डिप्टी चीफ मुल्ला बरादर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से सत्ता के हस्तांतरण के लिए बात कर रहा है। जानकारी यह भी आ रही है कि अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी अली अहमद जलाली को सत्ता सौपेंगे। तालिबान ने सबसे बड़ी बगराम जेल पर अपना कब्जा कर लिया है और यहां बंद सभी तालिबानी कैदियों को मुक्त कर दिया गया है। बताते चलें अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर चारों ओर से घेराबंदी कर ली गई है तालिबान ने यह वादा किया है कि वह सेना को छुएगी भी नहीं।
काबुल में दाखिल नहीं होंगे लड़ाके
अफगानिस्तान की सत्ता को कब्जाने के लिए चल रही तालिबान और अफगानिस्तान सेना में जंग अब समाप्ति की ओर बढ़ चली है। क्योंकि तालिबान आतंकियों ने अफगानिस्तान के काबुल पर अपना कब्जा कर लिया है। वहीं अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृह मंत्री अब्दुल सत्तार मिर्जकवाल ने बताया कि काबुल पर हमला नहीं होगा सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा। उन्होंने बताया कि लड़ाके फिलहाल राजधानी से बाहर ही रहेंगे और जब तक सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया समाप्त नहीं हो जाती तब तक वह अंदर दाखिल नहीं हो सकते क्योंकि काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिक्योरिटी फोर्स की है।
जलालाबाद के बाद काबुल पर किया कब्जा
पिछले एक हफ्ते में तालिबान ने अफगानिस्तान के कई प्रांतों पर अपना कब्जा जमाया है। शनिवार 14 अगस्त को जलालाबाद पर अपना कब्जा जमाने के बाद सबसे बड़ा शहर काबुल ही बचा था लेकिन उस पर भी अब पूरी तरह से तालिबान ने कब्जा कर लिया है। बता दें काबुल को तालिबान के आतंक से सुरक्षित माना जा रहा था लेकिन उस पर भी अब खतरा मंडराने लगा है। जानकारी के अनुसार जलालाबाद के गवर्नर ने बिना किसी संघर्ष के तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था क्योंकि वह जलालाबाद की जनता को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे।