Afghanistan: ब्रिटेन ने कहा तालिबान से बात करने को तैयार, बिना मदत नहीं निकल पाते 15 हज़ार लोग

Afghanistan: ब्रिटेन के रुख में तालिबान को लेकर हुआ बदलाव, विदेश मंत्री बोले बात करने को तैयार

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Newstrack NetworkPublished By Yogi Yogesh Mishra
Published on: 3 Sep 2021 12:37 PM GMT
Afghanistan: ब्रिटेन ने कहा तालिबान से बात करने को तैयार, बिना मदत नहीं निकल पाते 15 हज़ार लोग
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Afghanistan: ब्रिटेन ने कहा तालिबान की मदत के बिना नहीं निकल पाते 15 हज़ार लोग (photo social media)

अफगानिस्तान में तालिबान के राज्य को लेकर ब्रिटेन के तेवर में काफी बदलाव आया है ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमेनिक राब ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान सरकार को भले हम मान्यता नहीं देंगे लेकिन नहीं हकीकत हो का सामना करने के लिए हम पहले से भी बेहतर तरीके से तैयार हैं क्योंकि अफगानिस्तान को सामाजिक और आर्थिक रूप से टूटा हुआ नहीं देखना चाहते हैं। साथ ही पाकिस्तान के अपने दौरे में डोमेनिक ने कहा कि काबुल से लगभग 15000 लोगों को निकाल पाना असंभव था अगर तालिबान सहयोग ना करता बताते चलें तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान के काबिल पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद से ही लोग अफगानिस्तान छोड़कर जाने लगे थे।

Afghanistan Taliban conflict (photo social media)

ब्रिटेन का क्या है रुख़

ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने यह साफ करते हुए कहा कि हम अफगानिस्तान में बनी नई तालिबान सरकार को मान्यता तो नहीं देंगे लेकिन इसके साथ ही सरकारों की बजाए देश को मान्यता देते हैं। राब ने कहा कि हम डायरेक्ट डायलॉग और कनेक्टिविटी को महत्व देते हैं। ब्रिटिश विदेश मंत्री का यह कमेंट इस बात को बताता है कि ब्रिटेन और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों की राय तालिबान की सरकार को लेकर बदलती जा रही है। काबुल में तालिबान के शासन के बाद से ही अमेरिका समेत कई देशों के स्वर बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं। बताते चलें पिछले दिनों का बोल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले को लेकर भी अमेरिका ने कहा था किस में तालिबान का हाथ नहीं है बल्कि इस्लामिक स्टेट में यह हमला करवाया है।

तो क्या अमेरिका की मदद लेगा तालिबान

जानकारी के अनुसार इस्लामिक स्टेट से निपटने के लिए अमेरिका की ओर से तालिबान से मदद ली जा सकती है पश्चिमी देशों का मानना है कि अगर तालिबान से बात नहीं की गई तो अफगानिस्तान में मानवीय है संकट बढ़ सकता है देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के तौर पर बिखरने से लाखों की संख्या में रिफ्यूजी दुनिया भर में पलायन कर सकते हैं। यही एक वजह है कि अमेरिका समेत कई अन्य देश संतुलन की स्थिति बनाए रखने के लिए तालिबान से बातचीत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी अभी भी यह समस्याएं बनी हुई है कि क्या तालिबान पहले की तरह ही क्रूर शासन करेगा या फिर महिलाओं और दूसरे देशों के लोगों के साथ नम्र स्वभाव रखेगा।

यूरोपियन यूनियन बना सकता है साझा दूतावास

वहीं खबर भी आ रही है कि यूरोपियन यूनियन अफगानिस्तान में अपना साझा दूतावास बना सकता है यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेप बॉरेल ने कहा है कि अगर अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात सही रहते हैं तो हमारी ओर से साझा मौजूदगी दर्ज कराई जा सकती है और हम अपना काबुल में साझा दूतावास भी बना सकते हैं।

Yogi Yogesh Mishra

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