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Afghanistan-Taliban Crisis: जान बचाने की नहीं, अमेरिका, कनाडा जाने की बेताबी

Afghanistan-Taliban Crisis: अफगानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे पर मौजूद हजारों की भीड़ देश छोड़ने के लिए बेताब है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Dharmendra Singh
Published on: 28 Aug 2021 1:53 PM GMT (Updated on: 28 Aug 2021 1:55 PM GMT)
Afghanistan-Taliban Crisis
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काबुल एयरपोर्ट पर जुटी भीड़ (फोटो: सोशल मीडिया)

Afghanistan-Taliban Crisis: अफगानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे पर मौजूद हजारों की भीड़ देश छोड़ने के लिए बेताब है। किसी तरह पश्चिमी देशों के विमानों में घुसने के लिए लोग हर तरह के जतन कर रहे हैं। कोई अपने छोटे छोटे बच्चों को अमेरिकी सैनिकों के सामने कर रहा है, कोई कंटीले तारों के ऊपर से अपने बच्चों को उछाल रहा है, कोई अपने परिवार की महिलाओं को आगे कर रहा है। अमेरिकी सैनिकों और अधिकारियों का ध्यान खींचने और उनकी दया दृष्टि पाने के लिए हर उपाय जारी हैं। जैसे जैसे 31 अगस्त की समय सीमा नजदीक आ रही है, वैसे वैसे लोगों का उतावलापन बढ़ता जा रहा है।

आखिर ये लोग अपना वतन छोड़ने को बेताब क्यों हैं? इसकी दो मुख्य वजहें हैं-

तालिबान की दहशत
जिन लोगों ने अमेरिका की मदद की हुई है उनको डर है कि तालिबान उनसे बदला लेगा, मददगारों और उनके परिवार को मार दिया जाएगा। इसके अलावा जिन लोगों को अमेरिकी कंट्रोल के दौरान अलग तरह की लाइफ स्टाइल और खुलेपन की आदत पड़ गई थी, उनको भी तालिबानी शासन की दहशत है। उनको लगता है कि अब पश्चिमी चीजें, वैसा खुलापन और धन कमाने के मौके बंद हो जाएंगे। पढ़ाई लिखाई और आगे बढ़ने के रास्ते बंद हो जाएंगे। इसके अलावा, अमेरिका और सहयोगी देशों की मौजूदगी के दौरान अफगानिस्तान को खूब सहायता राशि मिलती रही थी, विदेशी लोग डालरों में खर्च करते थे और तरह तरह का सामान अफगानिस्तान में आता था। अब ये सब ठप हो गया है।

पश्चिमी देशों का लालच
अफगानिस्तान पर तालिबानियों का कंट्रोल होने के बाद से जिस तरह अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने अपने लोगों को निकालने का काम शुरू किया उसमें बहुत से लोगों को अपने लिए मौका दिखने लगा है। यह मौका है अमेरिका, कनाडा या अन्य पश्चिमी अमीर देशों में बिना झंझट पहुंचने का और वहां नई जिंदगी जीने का। बहुत से लोग यूरोप और अमेरिका पहुंचने के लिए क्या क्या जतन नहीं करते, ऐसे में जब आसानी से वहां पहुंचने का मौका है तो उसका फायदा उठाने वाले भी कम नहीं हैं।

भारत जाने से किया इनकार
अफगानिस्तान में सिख समुदाय के काफी लोग हैं। तालिबान के पिछले शासनकाल में सिखों और गुरुद्वारों पर हमले भी हुए थे, कई सिखों की हत्याएं हुईं थीं। लेकिन अब कई सिख भारत आने से इनकार कर रहे हैं। इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक के अनुसार बहुत से अफगानी सिख और हिन्दू भारत की बजाए अमेरिका या कनाडा जाना चाहते हैं। इसकी वजह से ये लोग वहां रुके हुए हैं और तरह तरह की अड़ंगेबाजी कर रहे हैं। चंडोक ने बताया है कि अफगानिस्तान के गुरुद्वारा करते परवान में मौजूद करीब 80 सिखों और हिन्दू अन्य लोगों को बाहर ले जाने के काम में भी कई अड़चनें डाल रहे हैं। इन लोगों ने भारत जाने वाली दो फ्लाइट्स को छोड़ दिया, सिर्फ इसलिए कि अमेरिका या कनाडा जाने का मौका मिल जाए।
गुरुद्वारा करते परवान में मौजूद लोगों के कथित नेता तलविंदर सिंह ने तो एक वीडियो संदेश में मांग की है कि सभी लोगों को अमेरिका या कनाडा ही ले जाया जाए। एक खबर के अनुसार, अफगानिस्तान में मौजूद इन लोगों का कहना है कि 'कनाडा और अमेरिका जाने में बुराई क्या है, हमें पता है कि जो लोग पहले भारत गए थे उनका क्या हुआ। वहां रोजगार के अवसर हैं नहीं। इसलिए बहुत से लोग या तो वापस आ गए या किसी अन्य देश में माइग्रेट कर गए।


Dharmendra Singh

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