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Afghanistan Taliban News : तालिबान की धमकी और ग्लोबल दबाव में फंसा अमेरिका
Afghanistan Taliban News: काबुल एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ रही है और उनको कंट्रोल करना भी मुश्किल हो रहा है। अफरा-तफरी बढ़कर कई बार भगदड़ में बदल चुकी है और गोलीबारी भी हो चुकी है।
Afghanistan Taliban News: अमेरिका ने तय कर रखा है कि 31 अगस्त को अफगानिस्तान से उसकी पूर्ण वापसी हो जायेगी और उसके बाद वहां कोई भी अमेरिकी सैनिक नहीं रह जाएगा। लेकिन अफगानिस्तान के हालात के चलते प्रेसिडेंट जो बिडेन पर समय सीमा बढ़ाने का जबर्दस्त दबाव है, वहीं तालिबान ने चेतावनी दे दी है कि समय सीमा में कोई बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दरअसल, पश्चिम देशों के हजारों लाखों लोग अब भी अफगानिस्तान में हैं और उनको वापस लाने का काम बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसके अलावा लाखों अफगान नागरिक देश से बहार निकलने के लिए बेताब हैं, ऐसे लोगों में कौन वाकई में तालिबान से डर के भाग रहा है, कौन अमेरिका-यूरोप जाने का बढ़िया मौक़ा देख रहा और कौन शरणार्थी के भेष में आतंकी है – कुछ कहा नहीं जा सकता। बहरहाल, काबुल एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ रही है और उनको कंट्रोल करना भी मुश्किल हो रहा है। अफरा-तफरी बढ़कर कई बार भगदड़ में बदल चुकी है और गोलीबारी भी हो चुकी है। इस कारण करीब 20 लोगों की जान जा चुकी है। काबुल एयरपोर्ट फिलहाल पश्चिमी सेनाओं, खासकर अमेरिकी सेना के नियंत्रण में है।
31 अगस्त की तारीख
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अप्रैल में घोषणा की थी कि अफगानिस्तान में उसका 20 साल लंबा अभियान 31 अगस्त 2021 को खत्म हो जाएगा और उसके सभी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे।
लेकिन 20 साल के अभियान के दौरान अमेरिका व नाटो देशों की मदद करने वाले सभी लोगों को निकालने का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है इस कारण बहुत से देश चाहते हैं कि अमेरिका अपनी समयसीमा को 31 अगस्त से बढ़ा दे। जो बिडेन ने पिछले हफ्ते कहा भी था कि जरूरत पड़ने पर अमेरिकी सैनिक ज्यादा समय तक रुक सकते हैं, लेकिन तालिबान ने साफ़ कहा है कि तारीख में किसी तरह का बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसा होता है तो अमेरिका को नतीजे भुगतने होंगे। हालाँकि बाद में तालिबान ने ये भी कहा कि उचित दस्तावेजों के साथ कोई भी अफगान कमर्शियल फ्लाइट्स से विदेश जा सकता है। तालिबान के प्रवक्ता शाहीन ने कहा है कि 31 अगस्त के बाद यहां विदेशी सेनाओं का रुकना दोहा समझौते का उल्लंघन होगा।
अमेरिका का रुख
फ़िलहाल तो अमेरिकी प्रेसिडेंट बिडेन ने उम्मीद जताई है कि तारीख बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और 31 तक सब काम पूरा कर लिया जाएगा। पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता जॉन किर्बी ने भी कहा है कि अमेरिका का पूरा ध्यान इस महीने के आखिर तक ज्यादा से ज्यादा लोगों को निकाल लेने पर है और अगर समयसीमा बढ़ाने पर बातचीत की जरूरत पड़ती है तो हम सही समय पर यह बातचीत करेंगे।
प्रेसिडेंट बिडेन के सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन ने कहा है कि अमेरिका पहले से ही तालिबान से इस बारे में बातचीत कर रहा है लेकिन आखिर में समयसीमा बढ़ाने का फैसला राष्ट्रपति का होगा।
ब्रिटन ने डाला दबाव
ब्रिटेन का मानना है कि 31 अगस्त की समयसीमा बढ़ाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन जी-7 की बैठक में अमेरिका से इस बारे में आग्रह भी किया है। फ्रांस ने भी अफगानिस्तान से लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए ज्यादा समय की जरूरत बताई है जबकि जर्मनी के विदेश मंत्री हाईको मास ने कहा है कि वह नाटो और तालिबान दोनों के साथ बातचीत कर रहे हैं कि काबुल एयरपोर्ट को समयसीमा के बाद भी काम करते रहने दिया जाए।
ऐसे में मुमकिन है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूर्ण वापसी हो जाये और स्थिति पर निगाह रखी जाए कि किसी अपरिहार्य स्थिति में तत्काल सैन्य हस्तक्षेप किया जा सके। भले ही तालिबान ने चेतवानी दी है लेकिन वह नहीं चाहेगा कि विदेशिओं के साथ किसी तरह का खूनखराबा किया जाये। अभी अफगानिस्तान में औपचारिक रूप से सरकार का अगथान भी नहीं हुआ है और अफगानिस्तान में किसी भी गड़बड़ी को कोई भी देश, खासकर अमेरिका बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसे में सम्भावना यही है कि अमेरिका की पूर्ण वापसी हो जायेगी, तालिबान शांत रहेगा और विदेशी नागरिकों की वापसी का काम चलता रहेगा।