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Afghanistan-Taliban News: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने CAA को सही ठहराया

Afghanistan-Taliban News: अफगानिस्तान में गहराते संकट को सीखते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 को लागू करना सही ठहराया है।

Akshita
Written By AkshitaPublished By Divyanshu Rao
Published on: 25 Aug 2021 3:56 AM GMT
Afghanistan-Taliban News
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तालिबानी नेता और भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री हरदीर सिंह पुरी (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Afghanistan-Taliban News: अफगानिस्तान में गहराते संकट को सीखते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 को लागू करना सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि अफ़गानी हिन्दू और सिक्ख जिस हिसाब से पीड़ा सह रहे हैं उनके हालातों को देखते हुए तुरंत ही CAA लागू किया जाना जरूरी है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बड़े पैमाने पर आफगान नागरिक देश छोड़ रहे हैं। और दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। इस बीच केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री व पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने की वकालत की है।

कंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)


जानें क्या है CAA

CAA में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मौजूदा कानून के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। लेकिन इस समय सीमा को पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए 11 से घटाकर छह साल किया जाना है। Citizenship (Amendment) Act, 2019 को संसद में पास किया जा चुका है। लेकिन दिसंबर 2019 के बाद से इसे अब तक लागू नहीं किया गया है।

अन्य देशों ने छोड़ा साथ

खुद को मुस्लिम हितों का कथित चैंपियन और दुनियाभर के मुसलमानों का कथित रहनुमा दिखाने की कोशिश के तहत तुर्की ने भारत के संशोधित नागरिकता कानून का विरोध किया था। इस लिस्ट में ईरान, यूएई और बांग्लादेश भी शामिल हैं। आज काबुल से डराने वाली तस्वीरें आ रही हैं। लेकिन न तो तुर्की ने, न ही ईरान ने इन असहाय लोगों के लिए हाथ बढ़ाया है।

तुर्की न तो ईरान के साथ लगती अपनी सीमा पर तेजी से कंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी है। ताकि अफगानिस्तान के शरणार्थी ईरान के रास्ते उसके यहां दाखिल न हो सकें।

अफगानिस्तान के मानवीय संकट ने तुर्की के असली चेहरे को बेनकाब किया

अफगानिस्तान के इस मानवीय संकट ने तुर्की के असली चेहरे को बेनकाब किया है। अपने यहां शरण लिए 12 हजार से ज्यादा अफगानिस्तानियों को इस साल अबतक डिपोर्ट कर चुका है। और ज्यादा शरणार्थी न आएं। इसके लिए वह ईरान के साथ लगती अपनी 295 किलोमीटर लंबी सीमा पर बहुत ही तेजी से कंक्रीट की दीवार खड़ा कर रहा है।

तुर्की की सीमा अफगानिस्तान से नहीं लगती। ईरान की सीमा अफगानिस्तान से लगती है। उसने अपने तीन सरहदी प्रांतों में 'अस्थायी शरणार्थी शिविर' बनाने का ऐलान भले किया है लेकिन वह भी बाहें खोलकर इन लोगों को स्वीकार करता नहीं दिख रहा।

दूसरी तरफ भारत है, जिसने काबुल से न सिर्फ अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट किया है। बल्कि अफगानिस्तानी लोगों को भी। भारत ने भले ही अफगानिस्तान में अपने दूतावास को बंद कर दिया है। सभी स्टाफ को वापस बुला लिया है। लेकिन संकट की इस घड़ी में अफगानिस्तान के लोगों के लिए ई-वीजा का विकल्प जारी रखा है। वैसे जिस सीएए का विरोध तुर्की जैसे देश कर रहे थे, वह तो अफगानिस्तान से अभी आने वाले हिंदू और सिखों तक पर लागू नहीं होता क्योंकि उसके प्रावधान 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके लोगों के लिए था।

नेताओं के विवादित बयान

अफगानिस्तान में तालिबान के पूर्ण कब्जे के बाद भारत समेत तमान देशों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।भारत में कई नेताओं और तथाकथित सामाजिक संगठनों ने तालिबान का समर्थन किया है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भागीदारी संकल्प मोर्चा के संयोजक पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर (OM Prakash Rajbhar) ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को लेकर ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि 'जो भारतीय 'लात खाने' अफगानिस्तान गए हैं। वह यहीं आकर 'लात खाएं। पढ़-लिख लेने के बाद लोग विदेश कमाने चले जाते हैं। भारत वापसी के बाद ऐसे लोगों से बाकायदा लिखवाया भी जाये कि अब वह देश छोड़कर नहीं जाएंगे। ये लोग देश छोड़कर गए, यही उनकी गलती है।'

मौलाना सज्जाद नोमानी ने अफगानिस्तान पर तालिबाज के कब्जे को सही ठहराया

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी (Maulana Sajjad Nomani) ने बयान जारी कर अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को सही बताया और कहा कि तालिबान ने पूरी दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं को धूल चटाई है। उन्होंने आगे कहा कि इन नौजवानों ने काबुल की जमीन को चूमा है।

इससे पहले उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq ) ने विवादित बयान दिया था। जिसके लिए उनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे की तुलना ने भारत के ब्रिटिश राज से की थी और कहा था कि कि हिंदुस्तान में जब अंग्रेजों का शासन था और उन्हें हटाने के लिए हमने संघर्ष किया। ठीक उसी तरह तालिबान ने भी अपने देश को आजाद करा लिया।

Divyanshu Rao

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