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Afghanistan: तालिबान ने कंधार जेल तोड़ भगाया कैदियों को, अफगानिस्तान के 60% क्षेत्र पर किया कब्जा
Afghanistan: तालिबान का आतंक हर रोज बढ़ाता जा रहा है। अपनी ताकत के दम पर तालिबान अफगानिस्तान के कई शहरों पर कब्जा कर चुका है।
Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक हर रोज बढ़ाता जा रहा है। अपनी ताकत के दम पर तालिबान अफगानिस्तान के कई शहरों पर कब्जा कर चुका है। ऐसे में अब ये खबर आ रही है कि तालिबान ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कंधार जेल को तोड़ डाल है। जेल में कैद कई राजनैतिक कैदियों को छुड़ा लिया है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
ऐसे में अफगानिस्तान की जमीन पर तालिबान के बुलंद हौसलों और काबुल के पतन की खबरों के बीच व्हाइट हाउस से बड़ा बयान आया है। जिसमें अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का आकलन है कि करीब 60 प्रतिशत अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर दिया है।
तालिबान से लड़ने के लिए एकजुट
आतंकी संगठन तालिबान ने भारत द्वारा 2019 में अफगानिस्तान सेना को तोहफे में दिए एमआई-24 लड़ाकू हेलिकॉप्टर पर कब्जा कर लिया है। बीते दिन कुंदुज एयरपोर्ट पर कब्जे के दौरान तालिबान ने इसे हथिया लिया।
इस बारे में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन पास्की ने वॉशिंगटन में कहा कि "अंतत:, अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा रक्षा बलों के पास वापस लड़ने के लिए अस्त्र, शस्त्र, संख्याबल और प्रशिक्षण है। उनके पास वह है जो उन्हें चाहिए। अब उन्हें यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि क्या उनके पास तालिबान से मुकाबला करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति है? और क्या उनके पास तालिबान से लड़ने के लिए नेताओं में एकजुट होने की क्षमता है?
तबाही को झेल रहे अफगानिस्तान की मदद का भरोसा जाहिर करते हुए अमेरिकी अधिकारी बोलीं कि हम अफगान सेनाओं के सहयोग से एयरस्ट्राइक करते रहेंगे और जैसा कि राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया है कि इस नाजुक मौके पर अफगानिस्तान के नेताओं को एकजुट होना चाहिए और इस देश का भविष्य उनके कंधों पर है।
इस पर अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंगाटन के प्रेस सचिव जॉन किरबी ने पत्रकारों को कहा कि हम अफगानिस्तान की स्थिति से अवगत हैं अभी हमारी प्राथमिकता अफगानिस्तान की सेना को मदद देने की है। जहां और ऐसा संभव है हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान सेना की लगातार मदद कर रहे हैं लेकिन हम प्लान और इसके नतीजे की जानकारी नहीं दे सकते हैं।
आगे जॉन किरबी ने कहा कि काबुल के पतन सहित कोई भी संभावित परिणाम अपरिहार्य नहीं है, जिसके बारे में हर कोई रिपोर्ट कर रहा है। इसे ऐसे नहीं देखा जाना चाहिए। यह अफगानियों के उस राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व पर निर्भर करता है, जो वे इस हालात को बदलने के लिए जुटा सकते हैं। उनके पास क्षमता है, उनके पास योग्यता है, और अब वास्तव में इन चीजों का उपयोग करने का समय आ गया है।