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अंतत: अफ्रीका के राष्ट्रपति जेकब जुमा ने दे ही दिया इस्तीफा

raghvendra
Published on: 17 Feb 2018 12:30 PM GMT
अंतत: अफ्रीका के राष्ट्रपति जेकब जुमा ने दे ही दिया इस्तीफा
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भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जेकब जुमा ने अंतत: इस्तीफा दे दिया है। जुमा की पार्टी एएनसी ने उन्हें पद छोडऩे या फिर 15 फरवरी को संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को कहा था। 75 वर्षीय जुमा की जगह सिरिल रामापोसा नए राष्ट्रपति होंगे। जुमा वर्ष 2009 से सत्ता में हैं।

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जुमा ने इस्तीफे से पहले अपने आखिरी भाषण में कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों की अपनी क्षमता के मुताबिक भरपूर सेवा की है। उन्होंने कहा, ‘ मेरे नाम पर किसी की जान नहीं जानी चाहिए और मेरे नाम पर एएनसी में कभी विभाजन नहीं होना चाहिए।’ एएनसी ने कहा है कि जुमा के इस्तीफे से ‘दक्षिण अफ्रीका के लोगों को निश्चिंतता मिलेगी।’ देश के नए राष्ट्रपति सिरिल रामापोसा के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती है भ्रष्टाचार से निपटने की। देश में ट्रैफिक सिपाही से ले कर सत्ता के शीर्ष तक घूस खोरी की बीमारी गहरे पैठ कर गई है।

देश का बुरा हाल

देश में नस्लवादी और रंगभेदी शासन समाप्त होने के 23 साल बाद भी दक्षिण अफ्रीका ऐसा देश है जहां जबर्दस्त प्राकृतिक संसाधन और दौलत होने के बावजूद असमानता और गरीबी का बोलबाला है। देश में बिजली, साफ-सफाई, स्कूल, अस्पताल जैसे बेसिक जरूरतें ही पूरी नहीं हो सकी हैं। एक सर्वे के अनुसार देश में नौ साल की उम्र वाले 80 फीसदी बच्चे अनपढ़ हैं।

दक्षिण अफ्रीका में अपराध दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। देश में एचआईवी पीडि़त लोगों की तादाद भी अच्छी खासी है, सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2002 में 47 लाख लोग एचआईवी पीडि़त थे और ये संख्या 2016 में 73 लाख हो गई। देश में 27.7 फीसदी जनता बेरोजगार है और युवाओं में यह आंकड़ा तो 68 फीसदी है। देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर केप टाउन में पानी की अत्यंत गंभीर स्थिति है।

भ्रष्टाचार में नप गए जुमा

जुमा पर भारतीय मूल के कारोबारी गुप्ता परिवार के असर में काम करने के आरोप लगते रहे हैं। दो साल पहले प्रिटोरिया स्थित दक्षिण अफ्रीकी मिलिट्री एयरफोर्स बेस पर एक निजी विमान उतरा था जो देश की राजधानी के सम्पन्न इलाके सन सिटी में एक विवाह समारोह के लिए भारतीय मेहमानों को लेकर आया था। यह शादी थी देश में प्रभावशाली भारतीय मूल के कारोबारी घराने गुप्ता की एक लडक़ी की।

सेना के अधिकारियों ने मेहमानों का वीआईपी अतिथियों जैसा स्वागत किया था। लेकिन विमान की यह लैंडिंग अनौपचारिक और गैरकानूनी थी और एक अति सुरक्षित सैन्य स्थल का दुरुपयोग था। घटना के प्रकाश में आते ही यह एक राजनीतिक स्कैंडल का रूप ले लिया।

इस पूरे कांड में जैकब जुमा का नाम आया था। एक संसदीय समिति की जांच में राष्ट्रपति जुमा को क्लीन चिट मिल गई लेकिन उनके चीफऑफ प्रोटोकॉल और दो वायु सेना अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए। इस पहेली में नया मोड़ तब आया जब वायु सेना के दोनों अधिकारियों के खिलाफ आरोप वापस ले लिए गए और वहीं चीफ ऑफ प्रोटोकॉल को नीदरलैंड्स में दक्षिण अफ्रीका का राजदूत नियुक्त कर दिया गया। इस कांड को दक्षिण अफ्रीका में ‘गुप्तागेट’ कहा गया है।

साल 2016 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व उप वित्त मंत्री जोनास मेबिसी ने आरोप लगाया कि गुप्ता परिवार ने उन्हें अगला वित्त मंत्री बनाने के लिए 60 करोड़ रैंड (5 करोड़ डॉलर) की पेशकश की थी। इसके बाद दक्षिण अफ्रीकी सरकार के लोकपाल ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें आरोप लगाया गया था कि गुप्ता परिवार और राष्ट्रपति जुमा ने सरकारी ठेके पाने के लिए एक-दूसरे की मदद की थी।

इसके बाद मामला तब और भी बिगड़ गया जब 2017 में एक लाख से अधिक ईमेल लीक हुए जिनमें इस बात का ब्योरा था कि किस प्रकार इस परिवार ने प्रभुत्व दिखा कर अपना काम किया। इसमें सरकारी ठेकों, कथित तौर पर रिश्वत और पैसों के हेरफेर से संबंधित जानकारी थी। इसके बाद गुप्ता परिवार और जेकब जुमा के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किए और इस मिलीभगत के लिए दोनों का नाम ‘जुप्ता’ रख दिया। जुमा की एक बीवी, बेटा और कई रिश्तेदार गुप्ता की कंपनी अहम पदों पर हैं। इसके अलावा जुमा सरकार के कई मंत्रियों के रिश्तेदार भी उनकी कंपनियों में आला अफसर हैं।

जुमा पर लग चुका है दोस्त की बेटी से रेप का आरोप

दक्षिण अफ्रीका में श्वेतों के खिलाफ संघर्ष में जैकब जुमा की अहम भूमिका मानी जाती है मगर इसके साथ ही उनका विवादों से भी पुराना नाता रहा है। उन पर भ्रष्टाचार व सत्ता के दुरुपयोग से लेकर बलात्कार और गैर वैवाहिक संबंधों तक के आरोप लग चुके हैं।

उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उन पर दोस्त की एड्स पीडि़त बेटी के साथ बलात्कार का आरोप लगा। हालांकि 2006 में जुमा इस आरोप से बरी हो गए मगर एक बयान को लेकर काफी विवाद भी हुआ। जुमा ने अपने बयान में कहा था कि एड्स पीडि़त के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद वह अच्छी तरह नहाए थे ताकि एचआईवी का असर कम हो जाए। उनके इस बयान की चौतरफा निंदा हुई थी। इस आरोप के चलते जुमा को अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी।

2010 में जुमा को दोस्त इरविन खोजा की बेटी सोनोनो खोजा के साथ रिश्ते को लेकर पार्टी, परिवार और देश से माफी मांगनी पड़ी थी। जुमा की पांचवीं शादी के बाद इस रिश्ते का खुलासा हुआ था। 2012 में जुमा पर अश्वेत लोगों के साथ आपत्तिजनक व्यवहार करने का आरोप भी लग चुका है। उन पर अश्वेतों की परंपराओं पर कटाक्ष करने का आरोप लगा था। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में विवादों में रहने वाले जुमा हमेशा विवादों में फंसते रहे और निकलते रहे मगर इस बार उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

एएनसी के नेता नहीं चाहते थे कि सिरिल बनें ताकतवर

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी और नस्लवादी शासन के खात्मे के प्रमुख नेताओं में सिरिल रामाफोसा भी शामिल रहे हैं। उनको नेल्सन मंडेला ने अपना उत्तराधिकारी भी चुना था लेकिन जब देश के उपराष्ट्रपति पद की रेस में वो थाबो बेकी से हार गए तो उनके राजनीतिक जीवन में ठहराव आ गया। माना जाता है कि एएनसी के नेता नहीं चाहते थे कि सिरिल ताकतवर बनें। बहरहाल, सिके बाद सिरिल निजी क्षेत्र में चले गए जहां उन्होंने करोड़ों डॉलर कमाए। उनको सरकारी ठेकों से बहुत फायदा पहुंचा।

किसी भी बिजनेस में अश्वेत दक्षिण अफ्रीकियों के संग पार्टनरशिप अनिवार्य कर देने के कानून के कारण भी सिरिल को बहुत फायदा हुआ। वे दर्जनों बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल रहे। 1996 में सिरिल को मंडेला ने देश का संविधान रचने के लिए बुलाया। आज यह संविधान दुनिया के सबसे प्रगतिशील संविधानों में गिना जाता है। 2012 में रामाफोसा राजनीति में लौटे और एएनसी के उपाध्यक्ष बनाए गए।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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