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जानिए क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर, जो एशिया के लाखों सूअरों की ले जा रहा जान
एशिया में एक बार फिर से अफ्रीकी स्वाइन बुखार फैल रहा है। अगर इस वायरस को जल्द से जल्द कंट्रोल में नहीं किया गया, तो इसके काफी भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।और यह बीमारी मलेशिया के तटों पर भी पहुंच गई है। इस वायरस के रोकथाम के लिए अभी तक कोई भी टीका नहीं बना है।
नई दिल्ली: एशिया में एक बार फिर से अफ्रीकी स्वाइन बुखार फैल रहा है। अगर इस वायरस को जल्द से जल्द कंट्रोल में नहीं किया गया, तो इसके काफी भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आपकों बता दें कि ये बुखार सूअरों के लिए घातक है लेकिन इससे मनुष्यों को कोई नुकसान नहीं होता हैं। एशिया में ये वायरस फिर से फैलने की वजह से लाखों सूअरों की जान को खतरा है। इस वर्ष चीन और वियतनाम में भी प्रकोपों की सूचना दी गई है। और यह बीमारी मलेशिया के तटों पर भी पहुंच गई है। इस वायरस के रोकथाम के लिए अभी तक कोई भी टीका नहीं बना है। जिसको लेकर अधिकारी सख्त जैव सुरक्षा उपायों और अतिसंवेदनशील जानवरों के पकड़ने पर भरोसा कर रहे हैं।
चीन में हुआ सबसे अधिक नुकसान
चीन में सबसे ज्यादा स्वाइन बुखार का प्रकोप देखने को मिला। 2018 में इस बुखार से सबसे अधिक नुकसान चीन में ही हुआ। हेबै, हेनान, सिचुआन, युन्नान और शाइन में इस वायरस ने अपना वर्चस्व बनाकर रखा है। हाल ही में नए उप-प्रचातियां इस प्रकोप में शामिल हैं, जो कि मध्य वर्ष तक सरकार द्वारा इस झुंड को पूर्ण के लक्ष्य पर सवाल उठाते हैं। वहीं इस वर्ष अनाज और मांस की जरूरत को परिभाषित करने के लिए व्यापारियों द्वारा सुअर की संख्या के फिर से पूरा करना देश की प्रगति के तौर पर देखा जा रहा है।
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वियतनाम में भी इसका असर
आपको बता दें कि कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस साल और फरवरी के बीच में इस बुखार ने वियतनाम में लगभग 2 हजार सूअरों की जान ली है। और वहीं देश में 20 से भी अधिक क्षेत्र नए प्रकोप की शरण में आ सकते है। इस बीमारी से बचने के लिए जून के अंत तक या जुलाई की शुरूआत में इस बीमारी से बचाव के लिए टीके का उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
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