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Corona Vaccine: अमेरिका बनेगा सबसे बड़ा वैक्सीन दानी, चीन को पछाड़ने की रणनीति

Corona Vaccine: कोरोना की वैक्सीन लांच होने के बाद सबसे पहले भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी शुरू की।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 11 Jun 2021 9:07 AM GMT
Corona Vaccine: अमेरिका बनेगा सबसे बड़ा वैक्सीन दानी, चीन को पछाड़ने की रणनीति
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Corona Vaccine: कोरोना महामारी के साथ वैक्सीन डिप्लोमेसी भी नए रंग दिखा रही है. वैक्सीन एक्सपोर्ट और दूसरे मुल्कों की मदद करने में चीन के प्रभुत्व को ख़त्म करने के लिए अमेरिका ने अब कमर कस ली है और 58 करोड़ खुराकें दूसरे देशों को दान स्वरूप देने का ऐलान कर दिया है. अमेरिका ने पहले 8 करोड़ खुराकें दान देने का ऐलान किया था और अब प्रेसिडेंट जो बिडेन ने जी-7 देशों की बैठक में कहा है कि अमेरिका फाइजर से 50 करोड़ खुराकें खरीद कर दान में बंटेगा.

भारत से हुई शुरुआत

कोरोना की वैक्सीन लांच होने के बाद सबसे पहले भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी शुरू की और कोरोना की ताजा लहर आने से पहले भारत करीब 100 देशों को 6 करोड़ 70 लाख खुराकें निर्यात कर चुका था.

लेकिन कुछ समय बाद भारत में वैक्सीनेशन में दिक्कतें आने लगीं और कोरोना की दूसरी लहर आ गयी तो भारत ने वैक्सीन एक्सपोर्ट बंद कर दिया. ऐसे में चीन ने आगे बढ़ कर बहुत तेजी से वैक्सीनें एक्सपोर्ट का काम बढ़ा दिया और देखते देखते उसने 75 से ज्यादा देशों को 35 करोड़ खुराकें भेज दीं.

हमेशा आगे रहने वाला अमेरिका वैक्सीन डिप्लोमेसी में बहुत पिछड़ गया था क्योंकि उसका पूरा फोकस अपने देश में हर नागरिक को वैक्सीन लगाने पर था. अब अमेरिका में आधी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग चुकी है और देश में वैक्सीनों का सरपल्स स्टॉक जमा हो गया है सो अब अमेरिका ने फिर कमर कस ली है.


फाइजर करेगा सप्लाई

अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और उसकी जर्मन सहयोगी बायोएनटेक ने अमेरिका को इस साल 20 करोड़ और अगले साल 30 करोड़ वैक्सीन खुराक सप्लाई करने पर सहमति जताई है. फाइजर जो वैक्सीन अमेरिका में बनाएगा, उन्हें बिना किसी मुनाफे के बेचा जाएगा और सौ देशों को सप्लाई किया जाएगा.

फाइजर के प्रमुख बोरला ने अमेरिका के 50 करोड़ खुराकें दान करने के वादे पर कहा कि अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर यह घोषणा हमारे दुनियाभर में और ज्यादा जानें बचाने की क्षमता को बढ़ाती है.

अमेरिका द्वारा वैक्सीन दान देने का आमतौर पर स्वागत हुआ है लेकिन अमीर देशों से अपने यहां बना लिए गए वैक्सीन भंडारों को खोलने की मांग भी बढ़ी है. सामाजिक संस्था ऑक्सफैम ने कहा है कि अमेरिका द्वारा 50 करोड़ खुराक दान देने की बात एक बाल्टी में एक बूंद के सामान है.

अमेरिका का रोडमैप

अमेरिका ने अपने पास मौजूद 8 करोड़ सरपल्स वैक्सीन खुराकों को दुनिया के अन्य देशों में बाँटने का रोडमैप भी जारी कर दिया गया है. इसमें से 75 फीसदी खुराकें कोवैक्स के जरिये दान दी जायेंगी. बाकी 25 फीसदी वैक्सीनें उन देशों को दी जायेंगी जिनको तत्काल मदद की दरकार है.

शुरूआती ढाई करोड़ खुराकें बांटने की जो योजना में 1 करोड़ 30 लाख खुराकें 29 देशों के बीच बटेंगी. बिडेन प्रशासन ने शुरुआती ढाई करोड़ खुराकों के आबंटन का रोडमैप जारी किया है. उसके अनुसार, 1 करोड़ 90 लाख खुराकें कोवैक्स के खाते में जायेंगी. इनमें से 60 लाख खुराकें ब्राजील, अर्जेंटीना, कोलंबिया, कोस्टा रीका, पेरू, इक्वेडोर, पैराग्वे, बोलीविया, ग्वाटेमाला, एल सल्वाडोर, होंडुरास, पनामा, हैती, डोमिनिकन रिपब्लिक और अन्य कैरेबियन देशों को जायेंगी.

70 लाख खुराकें भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव, मलेशिया, फिलिपीन्स, विएतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, लाओस, पापुआ न्यू गिनी, ताइवान और पैसिफिक आइलैंड को जायेंगी. 50 लाख खुराकें अफ्रीका के देशों को भेजी जायेंगी.


कोवैक्स के बाद 60 लाख खुराकें क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर तथा सहयोगियों को दी जायेंगी. इन देशों में भारत, मेक्सिको, कनाडा, कोरिया, वेस्ट बैंक व गाज़ा, यूक्रेन, कोसोवो, हैती, जॉर्जिया, इजिप्ट जॉर्डन, ईराक और यमन को दी जायेंगी.

सबसे ज्यादा खुराकें आस्ट्रा ज़ेनेका वैक्सीन की

अमेरिका जिन 8 करोड़ वैक्सीनों को दान स्वरूप दे रहा है उनमें से 6 करोड़ वैक्सीनें आस्ट्रा ज़ेनेका की हैं. बाकी 2 करोड़ खुराकें फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की हैं. चूँकि आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन को अमेरिका में लगाने की मंजूरी अभी तक नहीं मिली है सो सबसे ज्यादा स्टॉक उसी का बांटा जाएगा.

क्या है कोवैक्स

दुनिया के तमाम जरूरतमंद मुल्कों के बीच वैक्सीन की उपलब्धता बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक वैश्विक साझेदारी परियोजना बनाई है जिसका नाम कोवैक्स रखा गया है. कोवैक्स का गठन इसीलिए किया गया है ताकि दुनिया के तमाम देशों को वैक्सीन पारदर्शी तरीके से मुहैया कराई जा सके.

एक अनुमान है कि साल 2021 के आखिरी तक कोवैक्स के पास वैक्सीन की दो अरब डोज़ होगी. कोवैक्स पूल में कम्पनियाँ और देश अपनी तरफ से धन और वैक्सीनें देते हैं और फिर इसी पूल से वैक्सीन बांटी जाती हैं. धन का इस्तेमाल कंपनियों से वैक्सीन खरीदने के लिए किया जाता है.

चीन की भूमिका

भले ही चीनी वैक्सीनों की प्रभाविता को लेकर संदेह बना हुआ है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन की सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाई गई वैक्सीनों को मंजूरी दे दी है. भारत से सप्लाई बंद हो जाने के बाद तमाम देशों ने चीन से ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनें देने की गुहार लगाई है।

इस स्थिति का चीन पूरा फायदा भी उठा रहा है। चीन ने इस साल 5 अरब और खुराकें देने का संकल्प भी व्यक्त किया है। चीन के विदेश मंत्री बोल भी चुके हैं कि जो देश भारत पर निर्भर थे, उनकी मदद अब चीन करेगा।

बंग्लादेश ने तो चीन के साथ डिफेंस समझौता करने के साथ सिनोफार्म वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। क्योंकि बंग्लादेश ने सीरम इंस्टिट्यूट को डेढ़ करोड़ डोज़ के लिए भुगतान किया था लेकिन उसे वैक्सीन नहीं मिली। फिलीपींस का चीन से विवाद चल रहा लेकिन इसके बावजूद उसने सिनोवैक वैक्सीन की 40 लाख डोज़ मांगी हैं। अभी तक फिलीपींस भारत की वैक्सीन पर निर्भर था।

अमीर देश काफी आगे

फिलहाल अमीर देश टीकाकरण के मामले में बाकी दुनिया से काफी आगे चल रहे हैं. अमेरिका, यूरोप, इजरायल और बहरीन बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा चुके हैं. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक दुनिया की आठ अरब आबादी में से कुल दो अरब 20 करोड़ लोगों को टीका लगा है.

Vidushi Mishra

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